Allahabad High Court : ऑनलाइन सट्टेबाजी पर हाई कोर्ट का चला चाबुक, यूके और अमेरिका की तरह जैसे नया कानून बनाए सरकार

ऑनलाइन सट्टेबाजी पर हाई कोर्ट का चला चाबुक, यूके और अमेरिका की तरह जैसे नया कानून बनाए सरकार।

Allahabad High Court : ऑनलाइन सट्टेबाजी पर हाई कोर्ट का चला चाबुक, यूके और अमेरिका की तरह जैसे नया कानून बनाए सरकार

Allahabad High Court : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी के बढ़ते जाल पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से तत्काल प्रभावी कानून बनाने की सिफारिश की है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि 1867 का सार्वजनिक जुआ अधिनियम वर्तमान डिजिटल युग की चुनौतियों का सामना करने में पूरी तरह से अपर्याप्त और अप्रासंगिक हो चुका है। न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने यह महत्वपूर्ण आदेश आगरा निवासी इमरान खान व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाकर्ताओं ने अपने खिलाफ तीन वर्ष पूर्व सार्वजनिक जुआ अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे को रद्द करने की मांग की थी।

कोर्ट ने राज्य सरकार को एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने का स्पष्ट निर्देश दिया है। इस समिति की अध्यक्षता आर्थिक सलाहकार प्रो. के. वी. राजू करेंगे और इसमें प्रमुख सचिव (राज्य कर) के साथ-साथ तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। यह समिति मौजूदा स्थिति का गहन मूल्यांकन करेगी और ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग को नियंत्रित करने के लिए एक नई विधायी व्यवस्था का मसौदा तैयार करेगी।

न्यायमूर्ति दिवाकर ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग प्लेटफॉर्म युवाओं और किशोरों को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं। उन्होंने कहा, "आसानी से पैसे कमाने की लालसा में युवा पीढ़ी अवसाद, अनिद्रा, चिंता और सामाजिक अलगाव जैसे गंभीर मानसिक संकटों का शिकार हो रही है।" कोर्ट ने विशेष रूप से निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों को ऑनलाइन सट्टेबाजी के कारण होने वाले भारी आर्थिक नुकसान पर प्रकाश डाला।

कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि 1867 का सार्वजनिक जुआ अधिनियम, जिसमें अधिकतम 2000 रुपये का जुर्माना और 12 महीने की कैद का प्रावधान है, ऑनलाइन जुए के व्यापक प्रसार के सामने बिल्कुल भी प्रभावी साबित नहीं हो रहा है। इसके अतिरिक्त, फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर और ई-स्पोर्ट्स जैसे विभिन्न ऑनलाइन गेम्स को लेकर भी कानूनी अस्पष्टता बनी हुई है, क्योंकि अक्सर इनके सर्वर भारत से बाहर स्थित होते हैं, जिससे कानून का शिकंजा कसना मुश्किल हो जाता है। कोर्ट ने रजिस्ट्रार को इस आदेश की प्रति तत्काल उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव को सौंपने का निर्देश दिया है, ताकि इस पर उचित कार्रवाई और अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।

ऑनलाइन जुए को नियंत्रित करने के लिए अन्य देशों द्वारा अपनाई गई व्यवस्था का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि यूके, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने ऑनलाइन जुए को कानूनी दायरे में लाकर सफलतापूर्वक उसे नियंत्रित किया है। कोर्ट ने यूके के 2005 के जुआ अधिनियम का उदाहरण दिया, जिसमें लाइसेंसिंग, आयु सत्यापन, विज्ञापन मानक और मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी उपायों जैसे प्रभावी प्रावधान शामिल हैं। कोर्ट ने खेद व्यक्त किया कि भारत में नीति आयोग द्वारा दिसंबर 2020 में एक नीति पत्र जारी किए जाने के बावजूद, यह क्षेत्र अभी भी एक 'ग्रे ज़ोन' में ही बना हुआ है, जिससे ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग अनियंत्रित रूप से फल-फूल रहा है।