Bihar News : बिहार में रेल क्रांति की तैयारी: बौद्ध सर्किट से नए पुल तक, राज्य सरकार ने रेलवे बोर्ड को भेजे छह अहम प्रस्ताव
बिहार सरकार ने राज्य के रेलवे नेटवर्क को मजबूत करने, पर्यटन को बढ़ावा देने और सामाजिक महत्व के स्थानों को जोड़ने के लिए रेलवे बोर्ड को छह महत्वपूर्ण प्रस्ताव भेजे हैं। इन प्रस्तावों में बौद्ध सर्किट रेल कॉरिडोर, नए रेल पुल और उपनगरीय परिवहन नेटवर्क जैसी बड़ी परियोजनाएं शामिल हैं।

बिहार में रेल अवसंरचना को एक नई दिशा देने और राज्य के विकास को गति प्रदान करने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने एक महत्वाकांक्षी पहल की है। राज्य के मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को एक विस्तृत पत्र लिखकर बिहार में रेलवे नेटवर्क को सशक्त बनाने के लिए छह महत्वपूर्ण प्रस्ताव भेजे हैं। इन प्रस्तावों का उद्देश्य न केवल यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाना है, बल्कि पर्यटन और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को जोड़कर राज्य के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देना है।
अपने पत्र में, मुख्य सचिव मीणा ने बिहार में रेल परिवहन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रेल परिवहन बिहार जैसे राज्य के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो न केवल यात्रियों और वस्तुओं के परिवहन का एक सुविधाजनक साधन है बल्कि राज्य की प्रगति का भी आधार है। उन्होंने बिहार के उच्च जनसंख्या घनत्व (2024 में 1388 प्रति वर्ग किलोमीटर) का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य में प्रति लाख जनसंख्या पर रेलवे ट्रैक की उपलब्धता राष्ट्रीय औसत से काफी कम है, जिसे बढ़ाने की आवश्यकता है।
छह महत्वपूर्ण प्रस्ताव:
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बुद्ध सर्किट रेल कॉरिडोर: दोहरीकरण और नई ट्रेन की मांग: बिहार सरकार ने बौद्ध सर्किट के महत्व को देखते हुए पटना-गया-तिलैया-राजगीर-फतुहा रेल मार्ग पर एक सर्कुलर ट्रेन सेवा शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। इस मार्ग पर बख्तियारपुर-तिलैया खंड के दोहरीकरण की स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है। यह पहल बोधगया और राजगीर जैसे महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों तक यात्रियों की पहुंच को आसान बनाएगी और पटना, जहानाबाद, गया, नवादा और नालंदा जिलों के निवासियों को लाभ पहुंचाएगी। यह प्रस्ताव राज्य सरकार के बजट भाषण 2025 के 'पूर्वोदय' विजन को भी आगे बढ़ाएगा।
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दक्षिण बिहार उपनगरीय परिवहन नेटवर्क: अतिरिक्त रेल लाइन की मांग: दक्षिण बिहार के बक्सर, भोजपुर, रोहतास, लखीसराय, मुंगेर, शेखपुरा, भागलपुर, जमुई और बांका जिलों को राजधानी पटना से बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए एक मजबूत उपनगरीय परिवहन नेटवर्क विकसित करने का प्रस्ताव है। इसके लिए पटना तक तीसरी और चौथी अतिरिक्त रेल लाइनों के निर्माण की मांग की गई है, जिससे इन क्षेत्रों में मुंबई की तरह लोकल ट्रेन सेवाएं शुरू की जा सकें।
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उत्तर बिहार उपनगरीय परिवहन नेटवर्क: अतिरिक्त रेल लाइन की मांग: उत्तर बिहार के सीवान, सारण, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और दरभंगा जिलों को पटना से जोड़ने के लिए एक उपनगरीय परिवहन नेटवर्क विकसित करने की योजना है। इसके लिए सीवान-छपरा-हाजीपुर-मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-दरभंगा खंड पर अतिरिक्त रेल लाइनों के निर्माण की आवश्यकता बताई गई है। सीवान-छपरा-हाजीपुर-बरौनी-कटिहार खंड में यात्रियों की भारी संख्या को देखते हुए इस खंड में तीसरी और चौथी रेल लाइन का विकास भी आवश्यक है।
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पटना क्षेत्रीय परिवहन नेटवर्क: फतुहा-बिदुपुर के बीच रेल पुल की मांग: पटना और इसके आसपास के क्षेत्रों में परिवहन व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए फतुहा और बिदुपुर के बीच गंगा नदी पर एक रेल पुल के निर्माण का प्रस्ताव दिया गया है। यह पुल फतुहा स्टेशन के डाउन साइड में बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, पटना-पटना साहिब-फतुहा-बिदुपुर-हाजीपुर-सोनपुर-पाटलिपुत्र-पटना मार्ग पर एक क्षेत्रीय परिवहन नेटवर्क विकसित करने की योजना है। यह फतुहा में मेगा कोचिंग टर्मिनल और आधुनिक गुड्स शेड के सफल संचालन के लिए महत्वपूर्ण है और पटना के आसपास पांच सैटेलाइट टाउन सह मल्टी-मॉडल हब स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी सहायक होगा।
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उच्च घनत्व नेटवर्क में अतिरिक्त रेलवे लाइन: अतिरिक्त रेल लाइन की मांग: डीडीयू-बक्सर-आरा-पटना-किउल खंड पर यात्रियों की अत्यधिक संख्या को देखते हुए, इस उच्च घनत्व वाले नेटवर्क पर यात्री सुविधाओं का विस्तार करने के लिए तीसरी और चौथी रेलवे लाइनों को शीघ्र मंजूरी देने का अनुरोध किया गया है। मुख्य सचिव ने रेलवे बोर्ड को सूचित किया है कि डीपीआर बनाने की प्रक्रिया जारी है और राज्य सरकार गुलजारबाग-पटना सिटी जैसे भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेगी, जिसमें सार्वजनिक सुविधाओं का स्थानांतरण और सड़कों का विकास शामिल है।
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आरा-छपरा के बीच गंगा नदी पर नया रेल पुल बनाने की मांग: शाहाबाद और सारण के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए आरा और छपरा के बीच गंगा नदी पर एक नए रेल पुल के निर्माण का प्रस्ताव दिया गया है। वर्तमान में इस क्षेत्र में जेपी सेतु, राजेंद्र सेतु और मुंगेर घाट पुल ही रेल पुल के रूप में कार्यरत हैं, और कहलगांव के पास एक नए पुल की योजना है। आरा और छपरा के बीच नया पुल बनने से उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच यातायात और सुगम हो सकेगा।
बिहार सरकार का यह व्यापक दृष्टिकोण राज्य के रेलवे ढांचे को आधुनिक बनाने और इसे राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब यह देखना होगा कि रेलवे बोर्ड इन महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर कितनी जल्दी विचार करता है और इन्हें मंजूरी देता है, ताकि बिहार में विकास की एक नई गाथा लिखी जा सके।