दिल्ली बीजेपी में बड़ा फेरबदल, नए जिला अध्यक्षों और संसदीय परिषद सदस्यों की नियुक्ति
दिल्ली बीजेपी ने संगठन को मजबूत करने के लिए बड़ा फेरबदल किया है। 14 जिला अध्यक्षों में से 11 बदले गए हैं और नए चेहरे लाए गए हैं। इसके साथ ही 105 सदस्यीय संसदीय प्रदेश परिषद का भी गठन किया गया है, जिसमें दूसरे दलों से आए नेताओं को प्राथमिकता दी गई है।

दिल्ली में अपनी राजनीतिक जड़ों को मजबूत करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बड़ा संगठनात्मक बदलाव किया है। पार्टी ने सोमवार को दिल्ली के 14 जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ-साथ संसदीय प्रदेश परिषद के 105 सदस्यों के नामों का ऐलान किया। इस फेरबदल में पार्टी ने 14 में से 11 जिला अध्यक्षों को बदल दिया है और उनकी जगह नए चेहरों को कमान सौंपी है। इसके साथ ही, संसदीय परिषद में भी दूसरे दलों से आए नेताओं को खास तवज्जो दी गई है।
बदले गए जिला अध्यक्ष:
बीजेपी ने दिल्ली के 14 जिला अध्यक्षों की घोषणा की है, जिनमें से मयूर विहार, शाहदरा और पश्चिमी दिल्ली के जिला अध्यक्ष अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे हैं। बाकी 11 जिलों में नए चेहरों या पूर्व में इस पद पर रह चुके अनुभवी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इस बदलाव के जरिए अपनी एक मजबूत टीम बनाने का प्रयास किया है।
जिला अध्यक्षों की सूची:
- शाहदरा: दीपक गाबा
- मयूर विहार: विजेंद्र धामा
- चांदनी चौक: अरविंद गर्ग
- करोल बाग: वीरेंद्र बब्बर
- महरौली: रवीन्द्र सोलंकी
- न्यू शाहदरा: मास्टर विनोद
- नार्थ ईस्ट: यू के चौधरी
- केशवपुरम: अजय खटाना
- उत्तर पश्चिम: विनोद सहरावत
- नई दिल्ली: रविंद्र चौधरी
- बाहरी दिल्ली: रामचंद्र चावरिया
- दक्षिण दिल्ली: माया बिष्ट
- पश्चिमी दिल्ली: चंद्रपाल बख्शी
- नजफगढ़: राज शर्मा गौतम
संसदीय प्रदेश परिषद:
बीजेपी ने 105 सदस्यीय संसदीय प्रदेश परिषद का भी गठन किया है। इस परिषद में कपिल मिश्रा, पवन शर्मा, कैलाश गहलोत, करतार सिंह तंवर, प्रद्युम्न राजपूत, संदीप सहरावत, राजकुमार चौहान, नीरज बसोया, अनिल शर्मा, राजकुमार भाटिया, तिलक राम गुप्ता, पूनम भारद्वाज, जितेंद्र महाजन, कुलवंत राणा और शाम शर्मा जैसे नेताओं को शामिल किया गया है। इसके अलावा, पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी, पूर्व महापौर सुभाष आर्य, प्रीति अग्रवाल और नरेंद्र चावला, और प्रदेश पदाधिकारी सुनीता कांगड़ा, विनय रावत, नरेश कुमार ऐरन, सारिका जैन, डॉ. सुमित भसीन और प्रवीण शंकर कपूर भी परिषद के सदस्य बनाए गए हैं।
दलबदलुओं को मिली तवज्जो:
संसदीय प्रदेश परिषद में बीजेपी ने दूसरे दलों से आए नेताओं को प्राथमिकता दी है। 105 सदस्यों में से 15 मौजूदा विधायकों को ही जगह मिली है, जिनमें से चार ऐसे हैं जो पहले अन्य दलों से निर्वाचित हो चुके हैं। इनमें आम आदमी पार्टी (आप) से आए कपिल मिश्रा, कैलाश गहलोत और करतार सिंह तंवर, और कांग्रेस से आए राजकुमार चौहान और नीरज बसोया शामिल हैं। दिल्ली सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा और राजकुमार आनंद को भी परिषद में शामिल किया गया है।
असंतोष की आशंका:
बीजेपी के इस फैसले से पार्टी में असंतोष पनपने की आशंका जताई जा रही है। पार्टी के पुराने और सक्रिय नेताओं को सूची से बाहर रखने और दूसरे दलों से आए नेताओं को अहमियत देने से पार्टी में नाराजगी बढ़ सकती है। प्रदेश परिषद प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाती है, और ऐसे में इस परिषद में दलबदलुओं को ज्यादा तवज्जो देने से पार्टी के भीतर आंतरिक कलह पैदा हो सकती है। दिल्ली की सत्ता में वापसी के बाद से बीजेपी ने दूसरे दलों से आए नेताओं पर खास ध्यान दिया है, लेकिन अब देखना होगा कि यह रणनीति पार्टी के लिए कितनी कारगर साबित होती है।