चंदौली के दानुपूर में 'अधिकार' की खूनी नींव: जमीन विवाद में पंचायत सदस्य पर भी आंच

चंदौली के दानुपूर गांव में जमीन विवाद को लेकर दो पक्षों में हिंसक झड़प हुई, जिसमें कई लोग घायल हो गए। जिला पंचायत सदस्य पर भी आरोप लगे हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

चंदौली के दानुपूर में 'अधिकार' की खूनी नींव: जमीन विवाद में पंचायत सदस्य पर भी आंच

चंदौली, सोमवार, 19 मई 2025, दोपहर 1:55 बजे। चंदौली जिले के सदर थाना क्षेत्र का दानुपूर गांव रविवार को उस समय रणक्षेत्र में तब्दील हो गया, जब जमीन पर अपने-अपने 'अधिकार' की नींव मजबूत करने की कोशिश में दो पक्ष आपस में भिड़ गए। एक टीन शेड के निर्माण को लेकर पनपा मामूली विवाद देखते ही देखते लाठी-डंडों और ईंट-पत्थरों की बरसात में बदल गया, जिससे गांव की शांति भंग हो गई और कई लोग लहूलुहान हो गए।

इस हिंसक झड़प में एक पक्ष के तीन और दूसरे पक्ष के दो युवक बुरी तरह से घायल हुए हैं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। लेकिन इस विवाद की आंच यहीं तक सीमित नहीं रही। एक पक्ष ने सीधे तौर पर जिला पंचायत सदस्य साहब सिंह मौर्या पर भी आरोप लगाया है, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया है।

हालांकि, साहब सिंह मौर्या ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सफाई दी है कि उनकी वहां उपस्थिति केवल एक संस्था के आमंत्रण पर एक अतिथि के तौर पर थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके चाचा ने अपनी जमीन उक्त संस्था को दान की थी, और उसी जमीन पर जिला पंचायत निधि से टीन शेड का निर्माण कार्य कराया जा रहा था। उनके अनुसार, इस निर्माण कार्य से उनका कोई सीधा संबंध नहीं है।

प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो, जब संस्था से जुड़े लोग निर्माण कार्य के लिए जमीन में गड्ढा खोद रहे थे, तभी दूसरे पक्ष ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। इसी विरोध के बाद दोनों पक्षों के बीच तीखी कहासुनी शुरू हुई, जो पल भर में हिंसक मारपीट में बदल गई। 'अपनी जमीन' और 'अपना हक' की इस लड़ाई में कानून और व्यवस्था ताक पर रख दी गई।

साहब सिंह मौर्या ने जोर देकर कहा कि इस मारपीट की घटना से उनका कोई लेना-देना नहीं है। फिलहाल, पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में कर लिया है और घटना की गहन जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों की ओर से दर्ज कराई गई शिकायतों के आधार पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

दानुपूर में जमीन के एक टुकड़े पर 'अधिकार' की इस खूनी नींव ने गांव में तनाव और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है। यह घटना एक बार फिर जमीन संबंधी विवादों की संवेदनशीलता और उनके हिंसक रूप लेने की प्रवृत्ति को उजागर करती है। अब देखना यह है कि पुलिस की जांच में सच्चाई क्या निकलती है और इस 'अधिकार' की लड़ाई में कानून का शिकंजा किस पर कसता है।