क्या बिहार में बिगड़ने वाला है सत्ता-संतुलन? विधायक बनने के पीछे क्या है चिराग की सियासी चाहत?
Chirag Paswan's decision to contest Bihar assembly elections raises questions about NDA's power dynamics and his political aspirations. Is it a power play or a strategic move?

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताकर राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। इस घोषणा से कई सवाल उठ रहे हैं, जैसे कि क्या यह एनडीए में राजनीतिक खींचतान का संकेत है, या सीटों के लिए दबाव की रणनीति? क्या यह कदम एनडीए की रणनीति का हिस्सा है या चिराग की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा?
चिराग पासवान ने स्पष्ट किया है कि अगर उनकी पार्टी चाहेगी, तो वे विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। उनकी पार्टी के सूत्रों के अनुसार, पार्टी कार्यकारिणी के सभी सदस्य भी चाहते हैं कि चिराग मैदान में उतरें। यह भी संकेत मिल रहा है कि वे किसी आरक्षित सीट से नहीं, बल्कि सामान्य सीट से चुनाव लड़ेंगे, ताकि वे केवल दलित या पिछड़े वर्ग का नहीं, बल्कि पूरे बिहार का प्रतिनिधित्व कर सकें।
चिराग विधायक क्यों बनना चाहते हैं?
चिराग पासवान का कहना है कि बिहार की राजनीति दिल्ली में बैठकर नहीं की जा सकती। माना जा रहा है कि 8 जून को आरा में होने वाले उनके कार्यक्रम के जरिए वे यह संदेश देना चाहते हैं कि वे केवल एक जाति विशेष के नेता नहीं हैं, बल्कि सर्वजन के नेता हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि तीन बार सांसद और केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद चिराग अब विधायक क्यों बनना चाहते हैं?
एनडीए की सत्ता संरचना में चिराग की जगह?
चिराग के इस कदम को केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि एनडीए की रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। उनका मानना है कि उनके मैदान में उतरने से एलजेपी के स्ट्राइक रेट में सुधार होगा। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यदि वे चुनाव जीतते हैं, तो एनडीए की मौजूदा सत्ता संरचना में उनकी जगह क्या होगी? क्या वे नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी बनने की तैयारी कर रहे हैं, या एनडीए की नई धुरी?
आरजेडी का आरोप:
आरजेडी ने चिराग के चुनाव लड़ने की खबर को एनडीए में सिर फुटव्वल करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि एनडीए में कई मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो गए हैं। उन्होंने दावा किया कि जहां जेडीयू और बीजेपी नीतीश कुमार को चेहरा बता रही हैं, वहीं एलजेपी (आर) अब चिराग को आगे कर रही है।
चुनाव जीतने के बाद चिराग का स्थान:
स्पष्ट है कि चिराग पासवान बिहार की राजनीति में एक निर्णायक भूमिका की तैयारी कर रहे हैं। असली सवाल यह है कि चुनाव जीतने के बाद वे कहां खड़े होंगे? क्या वे नीतीश कुमार के बाद बिहार में अपनी राजनीतिक हैसियत बढ़ाकर राज्य की राजनीति में एक मजबूत धुरी बनना चाहते हैं?
चिराग का यह कदम केवल सीट जीतने का नहीं, बल्कि सत्ता के समीकरण बदलने का है। यह चुनावी मौसम में एक दिलचस्प मोड़ लेकर आया है।