हाथ से धोते-धोते थक गए दारोगा साहब, निकाला ऐसा जुगाड़ कि… खतरे में पड़ गई नौकरी
बिहार के सिवान में एक दरोगा ने जमीनी विवाद में रिश्वत के तौर पर वॉशिंग मशीन और पैसे की मांग की। निगरानी विभाग ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया, नौकरी खतरे में।

बिहार के सिवान जिले के असाव थाने में तैनात एक दरोगा की एक अनोखी रिश्वत की मांग ने उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। हाथ से कपड़े धोते-धोते थक चुके दरोगा साहब ने एक जमीनी विवाद के मामले में फरियादी से सीधे वॉशिंग मशीन की डिमांड कर डाली। उनकी इस 'क्रिएटिव' रिश्वत की चाहत ने न केवल उन्हें निगरानी विभाग के हत्थे चढ़ा दिया, बल्कि उनकी नौकरी पर भी तलवार लटक रही है।
दरअसल, असाव थाना क्षेत्र के ससराव गांव निवासी चंदन कुमार यादव का अपने पट्टीदार से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से असाव थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी और जांच की जिम्मेदारी थाना प्रभारी मिथलेश कुमार मांझी को सौंपी गई थी।
पीड़ित चंदन कुमार के अनुसार, जांच के नाम पर थाना प्रभारी मिथलेश कुमार मांझी ने उनके घर आकर पूरे परिवार को जेल भेजने की धमकी दी। इसके बाद उन्हें थाने बुलाया गया और कहा गया कि कुछ नाम केस से हटा दिए जाएंगे और केस को कमजोर भी कर दिया जाएगा, जिसके बदले में उन्हें "थाना प्रभारी का ख्याल" रखना होगा। पीड़ित ने बताया कि पहले थाना प्रभारी ने उनसे पैसे की मांग की, और जब वे तुरंत इंतजाम नहीं कर पाए तो फिर से घर आकर धमकाने लगे।
इसी बीच, रिश्वत की कहानी में एक दिलचस्प मोड़ आया। थाना प्रभारी मिथलेश कुमार मांझी ने पीड़ित से कहा कि उनके घर में वॉशिंग मशीन नहीं है और कपड़े धोने में उन्हें बहुत दिक्कत होती है। इसलिए उन्होंने सीधे एक वॉशिंग मशीन और 50 हजार रुपये की रिश्वत की मांग रख दी, जिसके बाद उनका काम आसानी से हो जाएगा।
पीड़ित चंदन कुमार ने हार नहीं मानी और इसकी शिकायत पटना स्थित निगरानी विभाग में दर्ज करा दी। निगरानी विभाग ने शिकायत की प्रारंभिक जांच में मामला सही पाया और दरोगा को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। तय योजना के अनुसार, पीड़ित ने 5-6 दिन पहले एक वॉशिंग मशीन खरीद ली और थाना प्रभारी को हॉस्पिटल रोड पर पैसे और वॉशिंग मशीन लेकर बुलाया।
जैसे ही थाना प्रभारी मिथलेश कुमार मांझी अपनी गाड़ी लेकर हॉस्पिटल रोड पहुंचे और चंदन कुमार से वॉशिंग मशीन (जिसकी कीमत लगभग 19000 रुपये थी) और 20 हजार रुपये नकद लिए, आसपास मौजूद निगरानी विभाग की टीम ने उन्हें तुरंत दबोच लिया। निगरानी की गिरफ्त में आते ही रिश्वतखोर दरोगा की बोलती बंद हो गई और वह माफी की गुहार लगाने लगा।
निगरानी विभाग के डीएसपी राजन प्रसाद के नेतृत्व में इस पूरे ऑपरेशन को सफलता पूर्वक अंजाम दिया गया। गिरफ्तार दरोगा मिथलेश कुमार मांझी को निगरानी विभाग अपने साथ पटना ले गई है, जहां उनसे आगे की पूछताछ की जा रही है। एक छोटी सी वॉशिंग मशीन की चाहत में एक पुलिस अधिकारी का इस तरह से रिश्वत लेते पकड़ा जाना न केवल पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भ्रष्टाचार किस कदर हमारी व्यवस्था में जड़ें जमाए हुए है। अब देखना यह है कि इस दरोगा पर विभाग क्या कार्रवाई करता है, लेकिन फिलहाल उनकी नौकरी खतरे में जरूर पड़ गई है।