जनता की आवाज़ बनी जनसुनवाई: जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने सुनी समस्याएं, दिए समाधान के निर्देश

वाराणसी के जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने जनता दर्शन के दौरान फरियादियों की समस्याएं सुनीं और अधिकारियों को समयबद्ध व संतोषजनक निस्तारण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

जनता की आवाज़ बनी जनसुनवाई: जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने सुनी समस्याएं, दिए समाधान के निर्देश

वाराणसी।
जिले के प्रशासनिक मुखिया जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार जनता की समस्याओं के समाधान के लिए लगातार प्रयासरत हैं। मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर स्थित अपने कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई में जिलाधिकारी ने आमजन की शिकायतें गंभीरता से सुनीं और उन्हें समयबद्ध व गुणवत्तापूर्ण तरीके से हल करने के निर्देश दिए। इस जनसुनवाई के दौरान कई प्रकार की समस्याएं सामने आईं, जिनमें भूमि विवाद, पेंशन संबंधी विलंब, विद्युत बिल की अनियमितताएं, शौचालय निर्माण में गड़बड़ी, आवास योजना से वंचित रहने जैसी शिकायतें प्रमुख रहीं।

गंभीरता से सुनी हर फरियाद

जनसुनवाई के दौरान जिलाधिकारी ने प्रत्येक फरियादी की बात को ध्यानपूर्वक सुना और उनकी फाइलों व आवेदन पत्रों का अवलोकन भी किया। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि जनता की शिकायतें केवल औपचारिकता न बनें, बल्कि उन पर त्वरित और गुणवत्ता पूर्ण कार्रवाई होनी चाहिए, जिससे फरियादी को न सिर्फ समाधान मिले, बल्कि प्रशासन पर उसका विश्वास भी मजबूत हो।

डीएम ने कहा कि शासन की मंशा है कि आम जनता की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाए। इसके लिए अधिकारियों को चाहिए कि वे न सिर्फ कागजों में कार्यवाही करें, बल्कि ज़मीनी स्तर पर निस्तारण की स्थिति को देखें और लाभार्थी को व्यक्तिगत रूप से संतुष्टि मिले, इसका विशेष ध्यान रखें।

दिए दूरभाष पर तत्काल निर्देश

कुछ शिकायतों में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों से तत्काल मोबाइल पर बातचीत की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उदाहरण स्वरूप एक महिला फरियादी ने पेंशन न मिलने की शिकायत की, जिस पर जिलाधिकारी ने समाज कल्याण अधिकारी को फोन कर मामले की तत्काल जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए।

इसी तरह एक वृद्ध व्यक्ति ने भूमि अतिक्रमण की शिकायत की, जिस पर जिलाधिकारी ने तहसीलदार को मौके पर जाकर जांच करने और एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए। जनसुनवाई में यह भी देखने को मिला कि जिलाधिकारी खुद हर मामले में रुचि ले रहे थे और अधिकारियों से यह स्पष्ट कह रहे थे कि "समस्या का समाधान सिर्फ कागजों में नहीं, धरातल पर दिखना चाहिए।"

समस्याओं की विविधता

जनसुनवाई में जो समस्याएं सामने आईं, वे इस बात का संकेत हैं कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अब भी कई योजनाएं आमजन तक समुचित रूप से नहीं पहुंच रही हैं। एक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित होने की शिकायत की, जबकि दूसरे ने बताया कि उसे बीते तीन वर्षों से वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रही है। एक अन्य महिला ने शिकायत की कि उसके शौचालय निर्माण के पैसे नहीं मिले, जबकि निर्माण पूरा हो चुका है।

इन समस्याओं को सुनते हुए जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को फटकार भी लगाई और कहा कि यह स्थिति शासन की योजनाओं को बदनाम कर रही है। उन्होंने कहा कि "हर अधिकारी की यह जिम्मेदारी है कि वह विभागीय योजनाओं को पारदर्शिता के साथ लागू करे और आमजन को उनका पूरा लाभ मिले।"

डिजिटल मॉनिटरिंग की व्यवस्था

जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने जनसुनवाई के दौरान यह भी बताया कि अब जनसुनवाई प्रकरणों की डिजिटल मॉनिटरिंग की जाएगी। हर शिकायत को पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा और उसकी प्रगति की समीक्षा साप्ताहिक आधार पर होगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोई भी शिकायत बिना निस्तारण के न पड़ी रह जाए। उन्होंने कहा कि "जन सुनवाई जनता से संवाद का सबसे मजबूत माध्यम है, इसे औपचारिकता में तब्दील होने नहीं दिया जाएगा।"

अधिकारियों को दी सख्त चेतावनी

डीएम ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो अधिकारी जनता की समस्याओं के निस्तारण में लापरवाही बरतेंगे, उनके विरुद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि "हमारा प्रशासन जनहित में कार्य कर रहा है और किसी भी स्तर पर यदि जनता को उचित सेवा नहीं मिल रही है, तो इसकी सीधी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी की होगी।"

जनसुनवाई की सामाजिक उपयोगिता

जनसुनवाई केवल समस्याओं को सुनने का माध्यम नहीं, बल्कि शासन और जनता के बीच एक संवाद का जरिया है। यह प्रशासन की जवाबदेही को सुनिश्चित करता है और लोगों को यह विश्वास देता है कि उनकी बात सुनी जा रही है। वाराणसी में आयोजित यह जनसुनवाई इस बात की मिसाल बनी कि जब प्रशासन गंभीरता से काम करे तो समाधान अवश्य संभव है।

फरियादी न सिर्फ अपनी समस्या लेकर आए थे, बल्कि वे इस बात को लेकर भी आश्वस्त दिखे कि जिलाधिकारी स्वयं उनकी बात सुन रहे हैं। एक बुजुर्ग फरियादी ने कहा, "पहली बार ऐसा लग रहा है कि कोई अधिकारी हमारी बात दिल से सुन रहा है।"

भविष्य की कार्ययोजना

जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया कि आगामी दिनों में जनसुनवाई को और प्रभावी बनाने के लिए ब्लॉक स्तर पर भी विशेष शिविर लगाए जाएंगे, जहां पर राजस्व, विकास, बिजली, समाज कल्याण जैसे विभागों के प्रतिनिधि एक साथ मौजूद रहेंगे और समस्याओं का निस्तारण करेंगे। इसके अतिरिक्त, ग्राम स्तर पर भी “जनसुनवाई सप्ताह” मनाने की योजना है, जिससे सबसे अंतिम पायदान तक प्रशासन की पहुंच सुनिश्चित हो सके।


निष्कर्ष:

वाराणसी में आयोजित जिलाधिकारी की जनसुनवाई न केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया थी, बल्कि यह लोकतंत्र के उस मूल भाव को साकार करने का प्रयास भी था, जिसमें जनता की समस्याएं ही शासन का मार्गदर्शन तय करती हैं। जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार द्वारा की गई यह पहल न केवल सराहनीय है, बल्कि इसे अन्य जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को भी अपनाना चाहिए। जब प्रशासन जनता की आवाज़ सुनता है और समाधान की दिशा में कदम उठाता है, तभी एक ‘संपन्न भारत’ का सपना हकीकत बनता है।