एहसान फरामोश तुर्की ने यूं ही नहीं की पाकिस्तान की मदद, ये है उसका असली 'खेल'
तुर्की क्यों कर रहा है पाकिस्तान की खुलकर मदद? दोस्ती या कोई छुपा हुआ मकसद? जानिए अंकारा का असली 'खेल'।

वाराणसी, गुरुवार, 15 मई 2025। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था, तो एक देश खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा दिखाई दिया - तुर्की। मुस्लिम बहुल तुर्की ने न केवल पाकिस्तान को कूटनीतिक समर्थन दिया, बल्कि सैन्य साजोसामान भी भेजा। यह वही तुर्की है जिसने विनाशकारी भूकंप के बाद भारत से तुरंत सहायता प्राप्त की थी और भारत को अपना सच्चा दोस्त बताया था। लेकिन, मौजूदा हालात देखकर लगता है कि दोस्ती से बढ़कर तुर्की का कोई और ही 'खेल' चल रहा है।
तुर्की ने हमेशा पाकिस्तान का समर्थन किया है, चाहे वह कूटनीतिक मंच हो या सैन्य साझेदारी। लेकिन क्या यह सिर्फ दोस्ती का रिश्ता है? गहराई से देखें तो तुर्की की पाकिस्तान को मदद करने के पीछे उसका एक बड़ा और रणनीतिक मकसद छिपा हुआ है।
तुर्की का सबसे बड़ा मकसद: हथियार बाजार पर कब्जा
दरअसल, तुर्की ने हाल के वर्षों में अपने रक्षा उद्योग को तेजी से मजबूत किया है और अब वह दुनिया के शीर्ष हथियार निर्यातकों में शामिल होने की महत्वाकांक्षा रखता है। उसका सबसे बड़ा लक्ष्य वैश्विक हथियार बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनना है। पाकिस्तान, जिसकी सेना अपनी रक्षा जरूरतों के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर है, तुर्की के लिए एक आदर्श ग्राहक साबित हो सकता है।
इसी रणनीति के तहत तुर्की ने पाकिस्तान के साथ कई बड़े रक्षा सौदे किए हैं, जिनमें MILGEM श्रेणी के युद्धपोत, T-129 अटैक हेलीकॉप्टर और विभिन्न प्रकार के ड्रोन शामिल हैं। ये अरबों डॉलर के सौदे तुर्की के रक्षा उद्योग के लिए एक बड़ी आय का स्रोत हैं।
रणनीतिक निवेश है पाकिस्तान को समर्थन
तुर्की का पाकिस्तान को समर्थन महज दोस्ती नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीतिक चाल है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान का साथ देकर तुर्की न केवल एक मित्र राष्ट्र की छवि बना रहा है, बल्कि वह अपने हथियारों के बाजार का भी विस्तार कर रहा है। इसके अलावा, पाकिस्तान के साथ मजबूत सैन्य संबंध तुर्की की रक्षा कंपनियों को नए अनुबंध और बिक्री के अवसर प्रदान करते हैं।
वैश्विक हथियार बाजार में लीडर बनने की चाहत
तुर्की का लक्ष्य सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित नहीं है। वह दुनिया भर में अपने हथियार बेचना चाहता है। मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशिया में तुर्की तेजी से अपने रक्षा उत्पादों का बाजार बढ़ा रहा है। पाकिस्तान जैसे देशों को मदद और सहयोग देकर, तुर्की इन बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
अभी 11वें पायदान पर है तुर्की
हथियार बनाने और बेचने के मामले में तुर्की ने काफी प्रगति की है। वह अब दुनिया का 11वां सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश बन गया है। इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के अनुसार, 2014-2018 की तुलना में 2019-2023 में तुर्की के हथियार निर्यात में 106 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है। 2019 से 2023 के बीच तुर्की ने सबसे ज्यादा हथियार संयुक्त अरब अमीरात (15%), फिर कतर (13%) और उसके बाद पाकिस्तान (11%) को बेचे हैं।
स्पष्ट है कि तुर्की का पाकिस्तान को समर्थन केवल एक कूटनीतिक कदम नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक रणनीति है जो उसके हथियार उद्योग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आने वाले वर्षों में, तुर्की इस रणनीति के माध्यम से अपने रक्षा उद्योग को और मजबूत करेगा और वैश्विक हथियार निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति को और भी सुदृढ़ करेगा, भले ही इसके लिए उसे अपने 'मित्र' भारत के हितों को भी नजरअंदाज करना पड़े।