पायल का 14वां शिकार बनने से बाल-बाल बचा विनीत, पुलिस की पैनी नजर ने खोली ब्लैकमेलिंग की पोल
गाजियाबाद में पायल नाम की युवती ने एक सीए पर गैंगरेप का आरोप लगाया, लेकिन सीसीटीवी और पुलिस की जांच में कहानी झूठी निकली। ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठने की आदी पायल अब सलाखों के पीछे।

गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां पायल नाम की एक युवती ने मधुबन बापूधाम इलाके में रहने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) विनीत गर्ग पर गैंगरेप का सनसनीखेज आरोप लगाया। पायल ने पुलिस को बताया कि विनीत ने उसे नशीला पदार्थ खिलाया, उसकी अश्लील वीडियो बनाई और फिर अपने दोस्तों के साथ मिलकर गाड़ी में उसका गैंगरेप किया। लेकिन पायल की यह कहानी ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई, क्योंकि पुलिस की पैनी नजर और घटनास्थल के सीसीटीवी कैमरों ने इस झूठ का पर्दाफाश कर दिया।
पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की, तो पायल के दावों में कई झोल नजर आए। सबसे पहले पुलिस ने उस ढाबे के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जिसका जिक्र पायल ने अपनी शिकायत में किया था। फुटेज में पायल अकेले ही ढाबे पर जाती हुई और अकेली ही वापस आती हुई दिखाई दी। इसके बाद पुलिस ने पायल और विनीत गर्ग के मोबाइल की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) निकलवाई। CDR और मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस ने पाया कि घटना के समय विनीत गर्ग और पायल अलग-अलग स्थानों पर थे।
इन इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के सामने पायल की कहानी पूरी तरह से झूठी साबित हो गई। लेकिन कहानी में असली ट्विस्ट तब आया, जब पुलिस ने पायल का आपराधिक रिकॉर्ड खंगालना शुरू किया। जांच में पता चला कि पायल कोई मामूली पीड़िता नहीं, बल्कि शातिर अपराधी है। उसके खिलाफ पहले से ही ब्लैकमेलिंग, गैंगस्टर एक्ट और ठगी के कुल 14 मामले दर्ज हैं। यानी, विनीत गर्ग पायल का पहला शिकार नहीं था, बल्कि वह पहले भी इसी तरह से लड़कों को फंसाकर उनसे लाखों रुपये वसूल चुकी थी।
पुलिस के मुताबिक, पायल रेप केस के बहाने विनीत गर्ग को ब्लैकमेल करके उससे मोटी रकम ऐंठना चाहती थी। लेकिन इस बार उसकी चाल कामयाब नहीं हो पाई। पुलिस ने झूठी कहानी गढ़ने, झूठे सबूत बनाने और पैसे वसूलने की साजिश रचने के आरोप में पायल को गिरफ्तार कर लिया है। अब पायल, जो खुद को पीड़िता बता रही थी, सलाखों के पीछे पहुंच गई है।
इस मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि कानून के दुरुपयोग के मामले भी सामने आते रहते हैं। पायल जैसी शातिर महिलाएं झूठे आरोप लगाकर न सिर्फ निर्दोष लोगों को फंसाती हैं, बल्कि पुलिस का कीमती समय और संसाधन भी बर्बाद करती हैं। गाजियाबाद पुलिस की इस त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई ने एक बेकसूर शख्स को जेल जाने से बचा लिया और एक आदतन अपराधी को उसके किए की सजा दिलाई। यह घटना उन सभी लोगों के लिए एक सबक है जो ब्लैकमेलिंग और झूठे आरोपों के जरिए दूसरों को फंसाने की कोशिश करते हैं कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और सच्चाई आखिरकार सामने आ ही जाती है।