व्योमिका सिंह की जाति पर रामगोपाल की टिप्पणी, अखिलेश के मिशन दलित पर ग्रहण?
रामगोपाल यादव ने व्योमिका सिंह को जाटव और चमार कहकर संबोधित किया, जिससे अखिलेश यादव के मिशन दलित पर सवाल खड़े हो गए हैं। बीजेपी और बसपा ने सपा को दलित विरोधी बताया।

समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में शामिल एयर विंग कमांडर व्योमिका सिंह की जाति पर टिप्पणी करके एक नए राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। उनके इस बयान ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है, बल्कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के 'मिशन दलित' पर भी सवालिया निशान लगा दिया है।
दरअसल, रामगोपाल यादव ने मुरादाबाद में एक जनसभा के दौरान व्योमिका सिंह को जाटव और चमार कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि व्योमिका सिंह हरियाणा की जाटव, चमार हैं और एयर मार्शल एके भारती बिहार के पूर्णिया के यादव हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कर्नल सोफिया कुरैशी मुस्लिम हैं और मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने उनकी मुस्लिम पहचान के कारण उन्हें गाली दी, लेकिन व्योमिका सिंह को राजपूत समझकर कुछ नहीं कहा गया। रामगोपाल यादव ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की जीत बताया और भाजपा पर इसका श्रेय लेने का आरोप लगाया।
रामगोपाल यादव की इस टिप्पणी ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सपा को दलित विरोधी बताते हुए उस पर हमला बोला है।
भाजपा का हमला:
- उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि सपा ने जाति के आधार पर विंग कमांडर व्योमिका सिंह का अपमान कर अपनी 'नीच मानसिकता' और 'महिला विरोधी सोच' उजागर की है।
- भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को पाकिस्तान की हार बर्दाश्त नहीं हो रही है, इसलिए वे सेना में जाति ढूंढ रहे हैं।
- भाजपा एमएलसी लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि रामगोपाल का बयान पीडीए की 'विकृत सोच' को दर्शाता है, जो दलितों का सम्मान नहीं करता, बल्कि उन्हें सिर्फ वोट बैंक मानता है।
बसपा का हमला:
- बसपा प्रमुख मायावती ने रामगोपाल यादव के बयान की निंदा करते हुए कहा कि सेना को धर्म और जाति के आधार पर आंकना और बांटना 'घोर अनुचित' है।
- उन्होंने कहा कि सेना का हर जवान राष्ट्र के लिए बलिदान देता है और इस तरह की 'संकीर्ण सोच' देश की एकता और सेना की गरिमा को ठेस पहुंचाती है।
रामगोपाल यादव की इस टिप्पणी ने अखिलेश यादव के 'मिशन दलित' पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनावों में पीडीए के दांव से 37 सीटें जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी इसी रणनीति को मजबूत करने का प्लान बनाया है, जिसके लिए वे मायावती के दलित वोट बैंक पर नजरें गड़ाए हुए हैं।
अखिलेश यादव ने हाल ही में बसपा के पुराने नेता दद्दू प्रसाद को सपा में शामिल किया है और रामजीलाल सुमन के साथ भी मजबूती से खड़े रहे हैं। उन्होंने रामजीलाल सुमन के खिलाफ करणी सेना के प्रदर्शन के बाद आगरा जाकर उनसे मुलाकात की और भाजपा पर हमला बोला।
सपा का पूरा फोकस दलित वोटों पर है, जिसे अपने साथ मिलाने के लिए वे बसपा के बैकग्राउंड वाले नेताओं को साधने में जुटे हैं। लेकिन रामगोपाल यादव की इस टिप्पणी ने सपा के इन प्रयासों को झटका दिया है। भाजपा ने इसे दलित विरोधी मुद्दा बना दिया है और दलित समुदाय में भी इसे लेकर नाराजगी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी रामगोपाल यादव के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि सेना की वर्दी को जातिवादी चश्मे से नहीं देखा जाता। उन्होंने इसे 'राष्ट्र भक्ति को बांटने का दुस्साहस' बताया।
रामगोपाल यादव की इस टिप्पणी ने सपा के दलित वोटों को साधने की कोशिशों पर पानी फेर दिया है। अब यह देखना होगा कि अखिलेश यादव इस नुकसान की भरपाई कैसे करते हैं और अपने 'मिशन दलित' को कैसे आगे बढ़ाते हैं।