हरिद्वार जमीन घोटाले में धामी सरकार का बड़ा एक्शन, DM समेत 12 सस्पेंड
उत्तराखंड के हरिद्वार में जमीन घोटाले में धामी सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए DM समेत 12 अधिकारियों और कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। विजिलेंस जांच के आदेश।

उत्तराखंड की धामी सरकार ने हरिद्वार में हुए जमीन घोटाले में एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। इस मामले में कार्रवाई करते हुए सरकार ने हरिद्वार के जिलाधिकारी (DM) आईएएस कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त आईएएस वरुण चौधरी और एसडीएम अजयवीर सिंह समेत कुल 12 अधिकारियों और कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही, पूरे जमीन घोटाले के मामले को विजिलेंस विभाग के हवाले कर दिया गया है, जो अब इसकी गहन जांच करेगा।
यह मामला लगभग 15 करोड़ रुपये की कृषि भूमि की कीमत को कथित तौर पर अधिकारियों की मिलीभगत से 54 करोड़ रुपये तक बढ़ाने से जुड़ा है। आरोप है कि इस पूरे खेल में अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर वित्तीय अनियमितताएं बरतीं। डीएम कर्मेंद्र सिंह की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध मानी जा रही है, खासकर जमीन खरीदने की अनुमति देने के संबंध में। वहीं, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी पर वित्तीय नियमों का उल्लंघन करने और एसडीएम अजयवीर सिंह पर जमीन के निरीक्षण और सत्यापन में लापरवाही बरतकर गलत रिपोर्ट शासन तक पहुंचाने का आरोप है। इन तीनों बड़े अधिकारियों के अलावा, इस घोटाले में 9 अन्य कर्मचारियों की संलिप्तता भी सामने आई है, जिन्हें भी निलंबित कर दिया गया है।
गौरतलब है कि आईएएस कर्मेंद्र सिंह, जो 2011 बैच के अधिकारी हैं, हरिद्वार में डीएम के तौर पर अपनी तेज तर्रार कार्यशैली के लिए जाने जाते थे। उन्होंने प्रशासनिक अनुशासन को लेकर कई सख्त कदम भी उठाए थे, जिनकी काफी सराहना हुई थी। वहीं, आईएएस वरुण चौधरी, जो 2017 बैच के अधिकारी हैं और वर्तमान में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में अपर सचिव के पद पर तैनात हैं, हरिद्वार में नगर आयुक्त के पद पर नवंबर 2023 में आए थे।
पूरे मामले की बात करें तो हरिद्वार नगर निगम ने शहर के बाहरी इलाके में स्थित लगभग 35 बीघा कृषि भूमि को खरीदा था, जो कूड़ा डंपिंग जोन के पास है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार इस जमीन का सर्किल रेट लगभग 6000 रुपये प्रति वर्ग मीटर था, जिससे इसकी अनुमानित कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये होनी चाहिए थी। लेकिन इस जमीन के लिए 54 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जो वास्तविक कीमत से लगभग तीन गुना अधिक है।
धामी सरकार की इस त्वरित और कड़ी कार्रवाई से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रहेगी। अब इस पूरे मामले की जांच विजिलेंस विभाग करेगा, जिससे उम्मीद है कि घोटाले में शामिल सभी दोषियों पर कानून का शिकंजा कसेगा।