भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच पाकिस्तानी नागरिकों को राहत: देश छोड़ने की समयसीमा बढ़ाई गई
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार ने भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने की समयसीमा अगले आदेश तक बढ़ा दी है।

भारत और पाकिस्तान के संबंधों में एक बार फिर तल्खी बढ़ गई है, जिसका ताजा कारण बना है जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ वीभत्स आतंकी हमला। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे और एक विदेशी नागरिक भी शामिल था। इस संवेदनशील स्थिति के बीच भारत सरकार ने देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को एक अस्थायी राहत देते हुए उन्हें वाघा-अटारी सीमा से देश छोड़ने की समयसीमा को अगले आदेश तक बढ़ा दिया है।
पहलगाम हमला: एक वीभत्स घटना जिसने सबको झकझोरा
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पर्यटक स्थल पहलगाम की बायसरन घाटी में आतंकवादियों ने एक ऐसी घटना को अंजाम दिया, जिसने देशभर को आक्रोशित कर दिया। सेना की वर्दी में आए आतंकियों ने पहले पर्यटकों से उनका धर्म पूछा, फिर पहचान पत्र देखे और हिंदू पहचान वालों को गोलियों से भून डाला। इस नृशंस घटना में 25 पर्यटक और एक स्थानीय कश्मीरी मारे गए। यह हमला घाटी में पर्यटन को निशाना बनाने वाली सबसे बड़ी घटनाओं में से एक माना जा रहा है।
सरकार की सख्ती और मानवीय निर्णय
इस हमले के बाद भारत सरकार ने एक ओर जहां पाकिस्तान से विभिन्न स्तरों पर रिश्तों में कटौती शुरू कर दी, वहीं देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को लेकर मानवीय रुख अपनाया गया। पहले 30 अप्रैल तक देश छोड़ने की समयसीमा तय की गई थी, लेकिन गृह मंत्रालय के ताजा निर्देश में इस समयसीमा को "अगले आदेश तक" बढ़ा दिया गया है।
गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “आदेश की समीक्षा की गई है और आंशिक संशोधन के साथ यह निर्णय लिया गया है कि पाकिस्तानी नागरिकों को उचित मंजूरी के साथ अटारी एकीकृत जांच चौकी के माध्यम से भारत छोड़ने की अनुमति दी जा सकती है।”
कितने लोग भारत से लौटे, कितने आए?
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, केंद्र के निर्देश के बाद पिछले छह दिनों में 786 पाकिस्तानी नागरिक, जिनमें 55 राजनयिक और उनके सहायक कर्मचारी शामिल हैं, अटारी-वाघा सीमा पार कर पाकिस्तान लौट चुके हैं। वहीं, इसी अवधि में पाकिस्तान से 1,465 भारतीय नागरिक भारत वापस लौटे हैं। यह अदला-बदली न केवल राजनयिक पहलू को दर्शाती है, बल्कि दोनों देशों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
वीज़ा शर्तों में बदलाव
सरकार ने स्पष्ट निर्देश जारी किए थे कि कोई भी पाकिस्तानी नागरिक निर्धारित समय सीमा से अधिक भारत में न रहे। विशेष रूप से अल्पकालिक और सार्क वीज़ा धारकों को 27 अप्रैल तक और मेडिकल वीज़ा धारकों को 29 अप्रैल तक भारत छोड़ने को कहा गया था। गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को फोन कर यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि ये निर्देश सख्ती से लागू हों।
यह कदम न केवल देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया, बल्कि आतंकवाद की आड़ में किसी भी प्रकार की घुसपैठ या स्लीपर सेल गतिविधियों को रोकने के लिए भी आवश्यक था।
भारत-पाकिस्तान संबंध: फिर एक तनावपूर्ण मोड़
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता भी स्थगित कर दिया है, जो दोनों देशों के बीच सहयोग का एक ऐतिहासिक प्रतीक था। यह निर्णय बताता है कि भारत इस बार केवल कूटनीतिक विरोध तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि रणनीतिक स्तर पर भी पाकिस्तान पर दबाव बनाएगा।
भारत ने यह भी संकेत दिए हैं कि वह पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के समर्थन को लेकर सख्त रुख अपनाएगा। संयुक्त राष्ट्र, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और G20 जैसे मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद को शह देने के आरोपों के साथ घेरा जा सकता है।
नागरिकों की सुरक्षा बनी प्राथमिकता
सामान्य नागरिकों की सुरक्षा भारत सरकार की पहली प्राथमिकता है। चाहे वे भारतीय नागरिक हों या भारत में रह रहे विदेशी नागरिक, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी संकट की स्थिति में उचित सहायता और सुरक्षित निकासी की प्रक्रिया उपलब्ध हो। इस ताजा आदेश में भी यही झलकता है कि भारत सरकार संवेदनशील मुद्दों पर मानवीय दृष्टिकोण बनाए रखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करती।
मानवीय पहल और रणनीतिक सोच का संतुलन
जहां एक ओर सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने के लिए अधिक समय देकर मानवीय दृष्टिकोण अपनाया है, वहीं दूसरी ओर, आतंकी हमले के बाद उठाए गए कदम—जैसे वीजा शर्तों में सख्ती, सिंधु जल समझौते की समीक्षा, और कूटनीतिक दबाव—यह दिखाते हैं कि भारत इस बार आतंकवाद के खिलाफ न केवल भावनात्मक बल्कि रणनीतिक और कानूनी स्तर पर भी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है।
निष्कर्ष: कड़ी चेतावनी और करुणा की दोहरी नीति
भारत-पाकिस्तान तनाव का यह दौर एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि आतंकवाद सिर्फ सीमा पार से नहीं आता, बल्कि यह हमारे समाज की मूलभूत सुरक्षा और मानवता को चुनौती देता है। पहलगाम जैसे हमले यह संकेत देते हैं कि आतंकवादी संगठन भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता को नुकसान पहुंचाने की मंशा रखते हैं।
ऐसे में भारत की नीति—जहां एक ओर राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर कठोर निर्णय लिए जा रहे हैं और दूसरी ओर आम नागरिकों के प्रति सहानुभूति बनाए रखी जा रही है—एक संतुलित, परिपक्व और जिम्मेदार राष्ट्र की पहचान को परिभाषित करती है