IC-814 हाईजैक से संसद अटैक तक... ऑपरेशन सिंदूर में ढेर हुआ अब्दुल रऊफ अज़हर, जानिए इस खूंखार आतंकी के काले कारनामे

ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया अब्दुल रऊफ अज़हर कौन था? IC-814 हाईजैक से संसद अटैक तक, जानिए इस खूंखार आतंकी के काले कारनामे और 'ऑपरेशन सिंदूर' में उसके अंत की कहानी।

IC-814 हाईजैक से संसद अटैक तक... ऑपरेशन सिंदूर में ढेर हुआ अब्दुल रऊफ अज़हर, जानिए इस खूंखार आतंकी के काले कारनामे

वाराणसी/नई दिल्ली: पाकिस्तान में हाल ही में भारत द्वारा किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' में कई आतंकवादियों को मार गिराया गया है। इन आतंकियों में एक ऐसा नाम भी शामिल है, जिसने भारत को दशकों तक लहूलुहान किया - अब्दुल रऊफ अज़हर। जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का यह टॉप कमांडर भारत में अनगिनत आतंकी हमलों की साजिश रचने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंक का जाल फैलाने में कुख्यात था। भारतीय सेना ने बहावलपुर में जैश के मुख्यालय पर धावा बोलकर आखिरकार इस शैतान को उसके अंजाम तक पहुंचा दिया है।

अब्दुल रऊफ अज़हर: आतंक का पर्याय

अब्दुल रऊफ अज़हर, जिसे दुनिया मुफ्ती अजहर और सादा बाबा जैसे नामों से भी जानती थी, पाकिस्तान स्थित कुख्यात आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का एक खूंखार कमांडर था। वह JeM के संस्थापक और वैश्विक स्तर पर वांछित आतंकवादी मसूद अज़हर का छोटा भाई था। 1 जनवरी 1977 को पाकिस्तान में जन्मा रऊफ आतंक की दुनिया में तेजी से उभरा।

साल 2007 में जब उसका बड़ा भाई मसूद अज़हर पर्दे के पीछे चला गया, तो अब्दुल रऊफ ने इस आतंकी संगठन की कमान संभाली। उसने न केवल भारत में बल्कि अफगानिस्तान तक JeM के आतंकी नेटवर्क को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह संगठन के भीतर एक निर्विवाद नेता के तौर पर स्थापित हो गया था, जिसके इशारे पर खून की नदियां बहाई जाती थीं।

'ऑपरेशन सिंदूर': कैसे हुआ खात्मा?

7 मई 2025 की तारीख भारतीय इतिहास में दर्ज हो गई, जब भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (POJK) में छिपे आतंकवादी ठिकानों पर गरजते हुए हवाई हमले किए। यह जवाबी कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए उस बर्बर आतंकी हमले के बाद की गई, जिसमें 25 निर्दोष भारतीयों और एक नेपाली नागरिक को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के बहावलपुर में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय को भी निशाना बनाया। 15 एकड़ में फैले इस आतंकी ठिकाने, जिसे 'मरकज सुबहान अल्लाह' के नाम से जाना जाता था, पर हुई सटीक कार्रवाई में ही अब्दुल रऊफ अज़हर मारा गया। इस ऑपरेशन में न केवल रऊफ बल्कि उसके कई करीबी रिश्तेदार भी ढेर हुए, जिनमें उसकी बहन और बहनोई समेत कुल 14 परिजन शामिल थे।

दुनिया की नजरों में रऊफ: एक वैश्विक आतंकवादी

भारत ने इस खूंखार आतंकी के काले कारनामों को देखते हुए 27 अक्टूबर 2020 को अब्दुल रऊफ अज़हर को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत नामित आतंकवादियों की सूची में शामिल किया था। लेकिन भारत अकेला नहीं था। रऊफ के खिलाफ तो साल 2000 से ही इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी था। इसके अलावा, 2010 में संयुक्त राज्य अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने भी उसे आधिकारिक तौर पर 'वैश्विक आतंकवादी' घोषित कर दिया था, जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान एक ऐसे शख्स के तौर पर बन गई थी, जिसका खात्मा दुनिया के लिए जरूरी था।

अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल से कनेक्शन: बर्बरता का प्रतीक

साल 2002 में अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल पाकिस्तान के बहावलपुर गए थे, जहां उन्हें आतंकवादियों ने अगवा कर लिया और फिर उनकी निर्मम हत्या कर दी गई। इस जघन्य अपराध में रऊफ के संगठन जैश-ए-मोहम्मद की एक प्रमुख भूमिका थी। 'ऑपरेशन सिंदूर' में बहावलपुर पर हुई कार्रवाई को डैनियल पर्ल के परिवार और उनके सहयोगियों ने 'न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम' माना है। डैनियल पर्ल की सहयोगी असरा नोमानी ने तो एक भावुक बयान जारी कर भारतीय सेना का आभार जताया है। वहीं, RAIR फाउंडेशन की संस्थापक और अमेरिकी कार्यकर्ता एमी मेक ने भी भारत की इस कार्रवाई की सराहना करते हुए इसे न्याय की जीत बताया है।

अब्दुल रऊफ अज़हर के काले कारनामे: खून से रंगे हाथ

अब्दुल रऊफ अज़हर का इतिहास भारत के खिलाफ रची गई आतंकी साजिशों से भरा पड़ा है। उसके हाथ अनगिनत निर्दोषों के खून से रंगे हुए हैं। कुछ प्रमुख हमलों में उसकी सीधी संलिप्तता पाई गई थी:

  • IC-814 हाईजैक (1999): 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को नेपाल की राजधानी काठमांडू से अपहरण कर अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। इस कुख्यात आतंकी घटना को हरकत-उल-मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने अंजाम दिया था, लेकिन इस पूरे हाईजैक की खतरनाक योजना अब्दुल रऊफ अज़हर ने ही तैयार की थी। बंधकों की रिहाई के बदले में भारत सरकार को तीन खूंखार आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा था, जिनमें ओमर सईद शेख भी शामिल था, जिसने बाद में अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल का अपहरण कर उसकी बर्बर तरीके से हत्या कर दी थी।

  • भारतीय संसद पर हमला (2001): 13 दिसंबर 2001 को भारत की संसद पर हुए कायरतापूर्ण हमले की साजिश में भी अब्दुल रऊफ अज़हर का नाम प्रमुखता से सामने आया था। इस आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को एक नए निचले स्तर पर पहुंचा दिया था और दोनों देशों के बीच जबरदस्त तनाव पैदा हो गया था।

  • पठानकोट एयरबेस पर हमला (2016): 2 जनवरी 2016 को पंजाब के पठानकोट स्थित भारतीय वायुसेना स्टेशन पर हुए आतंकवादी हमले की साजिश भी अब्दुल रऊफ अज़हर ने ही रची थी। इस हमले में भारत के कई वीर जवान शहीद हो गए थे, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई थी।

  • अन्य हमले: इन बड़े हमलों के अलावा, अब्दुल रऊफ अज़हर का नाम जम्मू-कश्मीर के कठुआ, सांबा, तंगधार और पंजाब के गुरदासपुर के दीना नगर में हुए आर्मी पोस्ट और पुलिस स्टेशनों पर हुए कई आतंकी हमलों में भी सामने आया था। वह लगातार भारत में आतंकवाद को फैलाने और आतंकी नेटवर्क को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा था।

'ऑपरेशन सिंदूर' में अब्दुल रऊफ अज़हर का मारा जाना भारत के लिए एक बहुत बड़ी सफलता है। यह न केवल पहलगाम में शहीद हुए निर्दोषों को श्रद्धांजलि है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। इस खूंखार आतंकी के खात्मे से जैश-ए-मोहम्मद की कमर टूट गई है और भारत ने दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आतंकियों को उनके किए की सजा मिलकर रहेगी।