Pahalgam Attack : पहलगाम में धोखे की मौत: कश्मीरी आतंकियों ने पर्यटकों से की दोस्ती, फिर ले गए मौत के मुहाने पर!
"पहलगाम आतंकी हमले में बड़ा खुलासा, दो कश्मीरी आतंकियों ने पर्यटकों से की दोस्ती, फिर पाकिस्तानी आतंकियों ने धर्म पूछकर बरसाईं गोलियां।"

पहलगाम/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की पड़ताल में सामने आया है कि इस खौफनाक साजिश में स्थानीय आतंकियों ने भी अहम भूमिका निभाई थी। पता चला है कि हमले में शामिल चार आतंकियों में से दो कश्मीरी थे, जिन्होंने पर्यटकों से दोस्ती का नाटक किया और फिर उन्हें उस जगह ले गए, जहां घात लगाए बैठे पाकिस्तानी आतंकियों ने धर्म पूछकर गोलियां बरसाईं।
इस सनसनीखेज खुलासे ने सुरक्षा एजेंसियों को भी हैरान कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, ये दो स्थानीय आतंकी पहले अटारी बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान गए थे, लेकिन उनके वापस लौटने का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। माना जा रहा है कि वे जम्मू के कठुआ इलाके से चुपचाप भारत में दाखिल हुए थे। इसके बाद उन्होंने पर्यटकों के बीच घुलमिलना शुरू कर दिया और उन्हें एक फूड कोर्ट में इकट्ठा किया।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, इसके बाद जो हुआ वह और भी खौफनाक था। फूड कोर्ट में इकट्ठा हुए पर्यटकों से अन्य दो आतंकियों ने, जो पाकिस्तानी बताए जा रहे हैं, उनका धर्म पूछा। पहचान उजागर होने के बाद, उन्होंने बेरहमी से उन निहत्थे पर्यटकों पर गोलियां चला दीं, जिनमें ज्यादातर हिंदू थे। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी।
जांच में यह भी सामने आया है कि ये आतंकी हमले से 4-5 दिन पहले से ही बैसरन के आसपास मौजूद थे। अधिकारियों का मानना है कि स्थानीय लोगों की मदद के बिना आतंकियों का इतने दिनों तक छिपे रहना मुमकिन नहीं था। खुफिया जानकारी में वायरलेस चैट से भी आतंकियों की मौजूदगी का पता चला था, लेकिन उनके संचार सेट अलग होने के कारण बातचीत को पूरी तरह से समझा नहीं जा सका।
इस घटना ने सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएं बढ़ा दी हैं कि हथियारबंद आतंकी किस तरह से खुलेआम घूम रहे हैं। मुठभेड़ स्थलों से बरामद आधुनिक हथियार, जैसे स्नाइपर राइफल और एम-सीरीज राइफल, इस बात की ओर इशारा करते हैं कि आतंकियों के पास घातक हथियार मौजूद हैं, जिनके अफगानिस्तान में NATO सैनिकों के बचे हुए हथियार होने का शक है।
पहलगाम हमले से पहले खतरे की जानकारी मिलने के बावजूद, आतंकियों का इस तरह पर्यटकों के बीच घुलमिल जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चूक साबित हुई है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, श्रीनगर के होटलों में ठहरे पर्यटकों को निशाना बनाने की चेतावनी पहले ही दी गई थी, जिसके बाद डल झील और मुगल गार्डन के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। लेकिन, आतंकियों ने पहलगाम को अपना निशाना बनाकर सुरक्षा एजेंसियों को चकमा दे दिया। हमले से पहले डाचीगाम, निशात और आसपास के इलाकों में 10-15 दिनों तक सर्च ऑपरेशन भी चलाया गया था, लेकिन आतंकियों का कोई सुराग नहीं मिल सका।
इस खुलासे के बाद, जांच एजेंसियां अब स्थानीय स्तर पर आतंकियों को मदद करने वाले लोगों की पहचान करने में जुट गई हैं। यह साफ है कि इस जघन्य अपराध को अंजाम देने में सीमा पार बैठे आतंकियों के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर भी कुछ लोगों ने उनकी मदद की थी। पहलगाम में पर्यटकों के साथ दोस्ती का नाटक कर उन्हें मौत के मुंह में धकेलने वाले इन आतंकियों के चेहरे बेनकाब होने बाकी हैं।