प्रेम या पागलपन? जबलपुर में गर्लफ्रेंड की हत्या करने वाला अब्दुल समद बोला - "वो मुझे धोखा दे रही थी"

जबलपुर में गर्लफ्रेंड की हत्या: अब्दुल समद ने बताया- क्यों उतारा मौत के घाट?

प्रेम या पागलपन? जबलपुर में गर्लफ्रेंड की हत्या करने वाला अब्दुल समद बोला - "वो मुझे धोखा दे रही थी"

मध्य प्रदेश के जबलपुर में 19 वर्षीय अब्दुल समद ने जिस तरह अपनी गर्लफ्रेंड लक्ष्मी की बेरहमी से हत्या की, उसने पूरे इलाके को दहला दिया है। महज शक और जलन के चलते, अब्दुल ने पहले उसे मिठाई खिलाई और फिर चाकुओं से गोदकर मौत के घाट उतार दिया। पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने जो वजह बताई, वो न सिर्फ चौंकाने वाली है बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस हद तक ‘प्यार’ का जुनून पागलपन में बदल सकता है।


शुरुआत: नागपुर में हुआ था दोनों का मेल

जनवरी 2025 में अब्दुल समद और 18 वर्षीय लक्ष्मी की मुलाकात नागपुर में हुई थी। लक्ष्मी एक निर्माणाधीन इमारत में मजदूरी कर रही थी और अब्दुल वहीं वाटर प्लांट में काम करता था। धीरे-धीरे दोनों के बीच दोस्ती हुई, फिर फोन पर बातचीत और अफेयर शुरू हो गया।

फरवरी में जब काम खत्म हुआ, तो लक्ष्मी अपने परिवार के साथ खजुराहो लौट गई। इसके बाद भी अब्दुल से उसका संवाद बना रहा। दोनों घंटों मोबाइल पर बातें किया करते थे।


शक की शुरुआत: कॉल डिटेल से हुआ खुलासा

अब्दुल के मुताबिक, कुछ समय बाद उसने नोटिस किया कि लक्ष्मी का फोन अक्सर व्यस्त रहता है। उसने कई बार लक्ष्मी से इस बारे में पूछा लेकिन वह टालती रही। अप्रैल में जब वह लक्ष्मी से मिलने जबलपुर आया, तो उसने उसे नया मोबाइल गिफ्ट किया और पुराना मोबाइल अपने साथ ले गया।

लक्ष्मी ने सिम तो निकाल दी थी, लेकिन अब्दुल ने पुराने मोबाइल की कॉल डिटेल चेक की और उसे पता चला कि लक्ष्मी किसी अन्य युवक से घंटों बात करती थी। यही वह क्षण था जिसने अब्दुल के भीतर की ईर्ष्या और क्रोध को उफान पर ला दिया।


मौत का दिन: पहले मिठाई खिलाई, फिर चाकू से वार

9 मई 2025 को लक्ष्मी अपने परिवार के साथ जबलपुर के देवताल मंदिर परिसर में निर्माण कार्य कर रही थी। दोपहर को वह शौच के बहाने घर से निकली और अब्दुल से मिलने चली गई। वहां अब्दुल पहले से इंतज़ार कर रहा था।

उसने लक्ष्मी को मिठाई खिलाई और कहा कि वह एक नई शुरुआत करना चाहता है, बशर्ते लक्ष्मी दूसरे लड़के से बात करना बंद कर दे। जब लक्ष्मी ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया, तो अब्दुल का गुस्सा फूट पड़ा।

उसने जेब से चाकू निकाला और लक्ष्मी पर ताबड़तोड़ वार करने शुरू कर दिए। लक्ष्मी चीखती रही, तड़पती रही, लेकिन अब्दुल ने उस पर कई वार किए जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।


लाश की बरामदगी और जांच

एक घंटे तक जब लक्ष्मी घर नहीं लौटी तो परिजनों को शक हुआ। उन्होंने उसकी तलाश शुरू की और करीब 200 मीटर दूर देवताल पहाड़ी पर उसकी खून से सनी लाश देखी। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई।

मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को मेडिकल कॉलेज भेजा और घटनास्थल से मोबाइल समेत कई साक्ष्य इकट्ठे किए। मोबाइल डाटा खंगालने पर पता चला कि हत्या से ठीक पहले अब्दुल समद ने लक्ष्मी से बातचीत की थी और उसके बाद उसका फोन बंद हो गया।


आरोपी की गिरफ्तारी: टेक्नोलॉजी से लगा सुराग

पुलिस ने मोबाइल लोकेशन ट्रेस की और घटनास्थल के आसपास लगे CCTV फुटेज को खंगाला। मोबाइल लोकेशन के आधार पर अब्दुल की पहचान और लोकेशन पक्की हुई। पुलिस की टीम ने 11 मई को अब्दुल समद को उसके घर नागपुर से गिरफ्तार कर लिया।

पूछताछ में उसने जुर्म कबूल किया और पूरी कहानी पुलिस को बताई, जिसे सुनकर अफसर भी स्तब्ध रह गए।


अब्दुल की स्वीकारोक्ति: "वो मेरी नहीं तो किसी की नहीं"

अब्दुल ने कहा,

“मैं उसे बहुत प्यार करता था। शादी करना चाहता था। लेकिन उसने मुझे धोखा दिया। जब पता चला कि वह किसी और से घंटों बात करती है तो मेरा खून खौल गया। उसी वक्त तय कर लिया कि या तो वो मेरी होगी या किसी की नहीं।"

यह स्वीकारोक्ति बताती है कि कैसे एकतरफा प्यार कब जुनून और पागलपन का रूप ले लेता है, और आखिर में किसी मासूम की जान ले लेता है।


समाज और परिवार की भूमिका पर सवाल

इस केस ने समाज में कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:

  • क्या आज भी लड़कियों की स्वतंत्रता को पुरुष अपनी "मालिकाना हक" से जोड़कर देखते हैं?

  • क्या रिश्तों में शक और नियंत्रण की भावना इतनी हावी हो चुकी है कि उसका अंत हत्या में हो?

  • और सबसे अहम सवाल – क्या हम अपने बच्चों को भावनात्मक परिपक्वता और रिश्तों की समझ दे पा रहे हैं?


निष्कर्ष: प्रेम की आड़ में पागलपन?

इस हत्याकांड ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि "प्यार" के नाम पर होने वाले अपराधों की जड़ में कई बार "स्वामित्व", "ईगो" और "आक्रोश" छुपा होता है। अब्दुल समद का यह अपराध न सिर्फ कानूनन सजा योग्य है, बल्कि सामाजिक जागरूकता के लिए भी एक चेतावनी है।

हमें रिश्तों में भरोसे, संवाद और स्वतंत्रता को समझने और सिखाने की ज़रूरत है — वरना हर अब्दुल अपने भीतर एक खतरनाक अपराधी पालता रहेगा।