शेयर बाज़ार में ₹40,000 करोड़ से ज़्यादा की बिकवाली: क्या निफ्टी के लिए खतरे की घंटी है?
Pichhle 2 hafton mein share bazar mein ₹40,000 crore se zyada ki bikwali hui hai, jismein promoters aur PE/VC niveshak shamil hain. Kya yeh Nifty ke liye khatre ki ghanti hai, ya DIIs ka nivesh bazar ko sambhal payega?

पिछले दो हफ्तों से शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल देखने को मिल रही है. प्रमोटर्स, प्राइवेट इक्विटी (PE) और वेंचर कैपिटल (VC) निवेशकों ने जमकर बिकवाली की है जिसका आंकड़ा 40,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है. यह भारी-भरकम बिकवाली बाजार में बढ़ती कीमतों और सप्लाई के दबाव को लेकर सवाल खड़े कर रही है. क्या यह निफ्टी के बुल के लिए खतरे की घंटी है? आइए, विस्तार से समझते हैं.
जून के पहले 15 दिनों में प्रमोटर्स और PE/VC निवेशकों ने ब्लॉक डील्स और बल्क डील्स के जरिए भारी मात्रा में शेयर बेचे हैं. अगर यह रफ्तार बनी रही तो जून में कुल बिकवाली पिछले महीने के 43,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को भी पीछे छोड़ सकती है. मंगलवार को ही विशाल मेगा मार्ट के प्रमोटर ने 19.6% हिस्सेदारी म्यूचुअल फंड्स को 10,220 करोड़ रुपये में बेच दी.
बढ़ रही है निवेशकों के बीच चिंता
वहीं, महीने की शुरुआत में बजाज फिनसर्व के प्रमोटर ने करीब 5,500 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. इसके अलावा, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एशियन पेंट्स में 9,580 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी बेची और वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट ने आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल (ABFRL) में अपनी पूरी 6% हिस्सेदारी 588 करोड़ रुपये में बेच दी. इनके अलावा अल्केम लैबोरेट्रीज, जुबिलेंट फूडवर्क्स, आजाद इंजीनियरिंग, सुजलॉन एनर्जी और कायनेस टेक्नोलॉजी इंडिया जैसी कंपनियों में भी प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी बेची है.
प्राइम डेटाबेस और NSE के मुताबिक, जून के पहले हफ्ते में प्रमोटर्स ने 23,820 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी बेची, जबकि PE/VC निवेशकों ने 8,500 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. अगर इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज की 9,580 करोड़ रुपये की बिकवाली को जोड़ा जाए, तो कुल आंकड़ा 41,900 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है. यह भारी बिकवाली बाजार में सप्लाई का दबाव बढ़ा रही है, जिससे निवेशकों के बीच चिंता बढ़ रही है.
पैसा जा कहां रहा है?
यह सवाल हर निवेशक के दिमाग में है कि इतनी बड़ी रकम कहां जा रही है? मेरिसिस PMS के फंड मैनेजर अक्षय बजटे के मुताबिक, यह पैसा रियल एस्टेट और वैकल्पिक निवेश विकल्पों जैसे पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) और कैटेगरी II/III अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स (AIFs) की ओर बढ़ रहा है. SEBI के ताजा आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 तक कैटेगरी II AIFs (रियल एस्टेट और प्राइवेट इक्विटी फंड्स) 13.58 लाख करोड़ रुपये का प्रबंधन कर रहे हैं जो सितंबर 2023 के 9.54 लाख करोड़ रुपये से 42% ज्यादा है. वहीं, कैटेगरी III AIFs, जो लिस्टेड इक्विटीज और डेरिवेटिव्स पर फोकस करते हैं, मार्च 2025 तक 2.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गए जो पिछले साल के मुकाबले 58% की बढ़ोतरी है.
पिछले दो सालों (जून 2023 से जून 2025) में इनसाइडर बिकवाली के साथ-साथ कैटेगरी II/III AIF और PMS में 5.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश देखा गया है. इसमें से रियल एस्टेट ने दिसंबर 2024 तक 74,000 करोड़ रुपये सोख लिए हैं. यह ट्रेंड दिखाता है कि बड़े निवेशक अपने पैसे को इक्विटी से निकालकर रियल एस्टेट और वैकल्पिक निवेश विकल्पों में डाल रहे हैं.
जून में प्रमोटर और अन्य बड़ी संस्थाओं द्वारा शेयर बिक्री
लेन-देन की तारिख | कंपनी का नाम | विक्रेता | सौदे की राशि (₹ करोड़ में) |
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17 जून | विशाल मेगा मार्ट | प्रमोटर | 10,220 |
12-16 जून | एशियन पेंट्स | रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) | 9,580 |
9 जून | सुजलॉन एनर्जी | प्रमोटर | 973 |
6 जून | बजाज फिनसर्व | प्रमोटर | 5,506 |
4 जून | अल्केम लैब्स | प्रमोटर | 829 |
3 जून | एप्टस वैल्यू हाउसिंग | पीई/वीसी | 1,906 |
डीआईआई ने संभाला मोर्चा
इतनी भारी बिकवाली के बावजूद बाजार में तेजी बरकरार है और इसका श्रेय डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (DIIs) को जाता है. जून में DIIs ने 49,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी की है जो इस बिकवाली के दबाव को संभालने में मदद कर रही है. दूसरी ओर, विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) इस महीने नेट सेलर रहे हैं और उन्होंने करीब 7,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं.
Share.Market के मार्केट एनालिस्ट मयंक जैन का कहना है, प्रमोटर और PE/VC की बिकवाली से सप्लाई का दबाव बढ़ा है, लेकिन DIIs के मजबूत निवेश ने बाजार को अब तक संभाल रखा है. इससे बाजार में बड़ी गिरावट नहीं आई है. हालांकि, अगर ग्लोबल अस्थिरता बढ़ती है या डोमेस्टिक निवेश में कमी आती है, तो यह सप्लाई बाजार की तेजी को सीमित कर सकती है.
क्या यह पैनिक सेलिंग है?
SBI सिक्योरिटीज के डीवीपी और फंडामेंटल रिसर्च एनालिस्ट सनी अग्रवाल का मानना है कि यह बिकवाली जरूरी नहीं कि पैनिक सेलिंग हो. कई PE फंड्स को अपने निवेशकों को तय समय में रिटर्न देना होता है जिसके लिए वे सही समय पर मुनाफा बुक करते हैं. अग्रवाल कहते हैं, प्रमोटर्स भी कई बार निजी जरूरतों के लिए अपनी हिस्सेदारी बेचते हैं. इसलिए इसे हमेशा खतरे की घंटी नहीं मान सकते. हर कंपनी का मामला अलग होता है.
वैल्यूएशन को लेकर बढ़ रही है चिंता
इस भयंकर बिकवाली को लेकर बाजार में वैल्यूएशन को लेकर चिंता बढ़ रही है. मेरिसिस PMS के अक्षय बजटे कहते हैं, यह भारी बिकवाली बाजार के पीक का संकेत तो नहीं है लेकिन यह स्मॉल और मिड-कैप सेगमेंट में मौजूदा ऊंचे वैल्यूएशन की चिंता को जरूर दर्शाती है. निफ्टी मिडकैप 150 इंडेक्स में जून में 1.5% की गिरावट देखी गई है जो बाजार के कुछ हिस्सों पर दबाव को दिखाता है.
अग्रवाल का कहना है, कुछ चुनिंदा कंपनियों में प्रमोटर और PE की बिकवाली हो रही है जिससे उन शेयरों में शॉर्ट टर्म में तेजी सीमित हो सकती है लेकिन पूरे बाजार के लिहाज से इसका असर सीमित रहेगा क्योंकि बाजार अब चुनिंदा कंपनियों पर केंद्रित हो गया है, जिनके पास मजबूत अर्निंग्स ग्रोथ की संभावना है.
मेरिसिस PMS के अक्षय बजटे की सलाह हैं कि निवेशकों को ऐसी कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए, जहां प्रमोटर्स की हिस्सेदारी स्थिर हो या बढ़ रही हो. वे कहते हैं, जिन कंपनियों में प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी बनाए रखते हैं या बढ़ाते हैं, वहां उनके बिजनेस की भविष्य की संभावनाओं को लेकर आशावाद दिखता है.
क्या बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई छूएगा?
सेंसेक्स और निफ्टी नए रिकॉर्ड हाई की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या DIIs का यह मजबूत निवेश इस भारी बिकवाली के दबाव को संभाल पाएगा? बाजार के जानकारों का मानना है कि जब तक डोमेस्टिक निवेश की रफ्तार बनी रहती है तब तक बाजार में बड़ी गिरावट की आशंका कम है लेकिन अगर ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता बढ़ती है या DIIs का निवेश कम होता है तो यह बिकवाली बाजार की तेजी पर ब्रेक लगा सकती है.