काशीवासियों का दर्द : चाची की कचौड़ी और पहलवान की लस्सी सहित 35 से ज़्यादा दुकानें ध्वस्त
वाराणसी के लंका रविदास की किताब पर सुगम यात्रा के लिए 35 से अधिक दुकानें। इनमें 'चाची की कचौरी' और 'पहलवान की लस्सी' की दुकानें भी शामिल हैं, जिनमें काशीवासी दुखी हैं।

Varanasi News : मंगलवार रात (17 जून 2025) वाराणसी में सुगम यातायात और चौड़ीकरण के तहत लंका रविदास चौराहे पर एक बड़ा विध्वंस अभियान चलाया गया। इस अभियान में 35 से भी ज़्यादा दुकानें बुलडोजर से जमींदोज़ कर दी गईं, जिनमें काशी की पहचान बन चुकी 'चाची की कचौड़ी की दुकान' और 'पहलवान की लस्सी की दुकान' भी शामिल रहीं।
सुबह के स्वाद पर बुलडोजर
इस कार्रवाई से लंका रविदास गेट के पास से गुजरने वाले हर बाइक सवार और राहगीर की जुबान पर एक ही सवाल था, "अरे, ई का हो गईल... चाची की कचौड़ी की दुकान टूट गईल। उधर, पहलवान के लस्सी क दुकान भी टूटत हव..., अब कहां सबेरे चाची की कचौड़ी खाइब, अउर पहलवान के लस्सी कहां भेंटाई..?"
वाराणसी की गलियों का यह चिरपरिचित दृश्य था कि सुबह-सुबह लोग चाची की गर्मागरम कचौड़ी और पहलवान की ताज़गी भरी लस्सी का लुत्फ़ लेने पहुँचते थे। इन दुकानों का ध्वस्त होना केवल इमारतों का गिरना नहीं, बल्कि काशी की पुरानी यादों और जायकों का मिटना भी है, जिसने स्थानीय लोगों को मर्माहत कर दिया है।
देर रात तक चली कार्रवाई, भारी फ़ोर्स तैनात
लंका रामलीला मैदान स्थित इन दुकानों पर रात करीब 10:30 बजे जैसे ही बुलडोजर चला, लोगों की भीड़ लग गई। कार्रवाई देर रात तक जारी रही। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए मौके पर लंका पुलिस, पीएसी समेत भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।
यह कार्रवाई शहर में यातायात को सुगम बनाने और सड़कों को चौड़ा करने की सरकारी योजना का हिस्सा है, लेकिन इसके साथ ही इसने कई दशकों पुरानी परंपराओं और रोज़गार के साधनों को भी प्रभावित किया है, जिससे स्थानीय लोगों में निराशा है।