"हिंदी नहीं लागू होने देंगे!" MNS प्रमुख राज ठाकरे की मांग- महाराष्ट्र के स्कूलों में सिर्फ मराठी और अंग्रेजी में हो पढ़ाई
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने शिक्षा मंत्री दादा भुसे को पत्र लिखकर मांग की है कि राज्य के स्कूलों में पहली कक्षा से केवल मराठी और अंग्रेजी ही पढ़ाई जाए। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की त्रिभाषा नीति का विरोध किया है, जिसमें हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का प्रस्ताव था।

महाराष्ट्र: में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने स्कूली शिक्षा में तीन भाषा नीति का कड़ा विरोध करते हुए शिक्षा मंत्री दादा भुसे को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने साफ मांग की है कि पहली कक्षा से केवल मराठी और अंग्रेजी ही पढ़ाई जाए और इस संबंध में एक स्पष्ट लिखित आदेश जल्द से जल्द जारी किया जाए।
राज ठाकरे ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत प्रस्तावित त्रिभाषा नीति (Three-language formula) का विरोध किया है, जिसमें हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में शामिल करने की बात थी।
राज ठाकरे ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि "सरकार ने पहले घोषणा की थी कि पहली से पांचवीं कक्षा तक मराठी, अंग्रेजी और हिंदी पढ़ाई जाएगी। लेकिन जनता के विरोध और मराठी भाषा की अस्मिता को लेकर उठे सवालों के बाद सरकार ने स्पष्ट किया था कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी।" उन्होंने चिंता जताई कि इसके बावजूद, इस संबंध में कोई लिखित आदेश अब तक जारी नहीं हुआ है, जिससे स्कूलों और अभिभावकों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
"सरकार पुराने फैसले पर लौटती है, तो जिम्मेदार खुद होगी": ठाकरे
अपने पत्र में ठाकरे ने यह भी बताया कि "तीन भाषा नीति के आधार पर हिंदी की किताबों की छपाई शुरू हो चुकी है।" ठाकरे ने चेतावनी दी कि "अगर भविष्य में सरकार अपने पुराने फैसले पर लौटती है, तो इसकी जिम्मेदार वह खुद होगी।" उन्होंने शिक्षा विभाग से जल्द से जल्द एक स्पष्ट और लिखित आदेश जारी करने की मांग की, जिसमें साफ हो कि पहली कक्षा से केवल मराठी और अंग्रेजी ही पढ़ाई जाएगी।
ठाकरे ने तर्क दिया कि कई अन्य राज्यों ने भी दो भाषाओं की नीति को ही अपनाया है और महाराष्ट्र को भी उसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि मराठी भाषा और संस्कृति महाराष्ट्र की पहचान है और इसे हर हाल में बचाना ज़रूरी है।
राज ठाकरे का पत्र क्यों है अहम?
यह पत्र महाराष्ट्र में भाषा नीति को लेकर चल रही बहस को और अधिक गरमाने वाला है। ठाकरे की यह मांग मराठी अस्मिता के मुद्दे को एक बार फिर केंद्र में ला सकती है, खासकर तब जब स्थानीय संस्थाओं के चुनाव नज़दीक हैं। MNS ने पहले भी हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले का कड़ा विरोध किया था और अब यह पत्र उस विरोध को और मज़बूत करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र सरकार इस मांग पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या इससे राज्य की शिक्षा नीति में कोई बदलाव आता है।