मोरारी बापू के काशी विश्वनाथ दर्शन और कथावाचन पर विवाद: अखिल भारतीय मनीषी परिषद ने 'धर्म विरुद्ध' बताया, तत्काल रोकने की मांग

Varanasi mein kathavachak Murari Bapu par vivad, patni ke nidhan ke baad sutak avastha mein Kashi Vishwanath darshan aur katha vachan ko lekar Akhil Bharatiya Manishi Parishad ne virodh kiya.

मोरारी बापू के काशी विश्वनाथ दर्शन और कथावाचन पर विवाद: अखिल भारतीय मनीषी परिषद ने 'धर्म विरुद्ध' बताया, तत्काल रोकने की मांग

वाराणसी: कथावाचक मोरारी बापू द्वारा अपनी पत्नी के निधन के तत्काल बाद 'सूतक' अवस्था में काशी आकर भगवान श्री विश्वेश्वर विश्वनाथ जी का स्पर्श दर्शन व पूजन करने और उसके बाद व्यास पीठ पर बैठकर भगवान श्री रामचंद्र जी की कथा का वाचन किए जाने की अखिल भारतीय मनीषी परिषद ने घोर भर्त्सना की है। परिषद ने इस कृत्य को न केवल 'धर्म विरुद्ध' बल्कि 'जनभावना के विरुद्ध' भी बताया है।


सूतक काल और सनातन धर्म की मान्यताएं

परिषद के पदाधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पति-पत्नी के संबंधों के बीच सूतक काल 10 दिनों का होता है। सनातन धर्म के मान्य ग्रंथ 'धर्म सिंधु' में स्पष्ट कहा गया है: "दाम्पत्योह पारस्परम देशांतरे कालांतरेपि पूर्व दशाहमेव"। इसका अर्थ है कि स्त्री और पुरुष को परस्पर देशांतर (अलग स्थान पर होने पर भी) और कालांतर (समय बीतने पर भी) में भी पूरा दशाह (दस दिन) का पालन करना होता है।

सनातन की लोक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल में जिस घर में भगवान श्री विष्णु, भगवान श्री शंकर आदि देवों का पूजन होता है, उन्हें जल शयन दे दिया जाता है और उस परिवार द्वारा पूजन कार्य को विराम दे दिया जाता है। इस प्रकार, शास्त्र ने पूजन कार्य को निषिद्ध किया है। देवों के श्री विग्रह के स्पर्श की बात तो दूर, देवालयों में प्रवेश भी वर्जित होता है। शास्त्रों में कहा गया है: "यद्यपि शुद्धम् लोक विरुद्धम् न कथनीयम् न करणीयम्" (जो शुद्ध होते हुए भी लोक विरुद्ध हो, वह न कहा जाना चाहिए और न किया जाना चाहिए)।


मोरारी बापू पर शास्त्र अवहेलना और लोक मान्यता उल्लंघन का आरोप

अखिल भारतीय मनीषी परिषद ने मोरारी बापू पर धर्मशास्त्रों की घोर अवहेलना करने और लोकनीति व लोक मान्यता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। परिषद का कहना है कि कथावाचन के कार्य को जारी रखकर वह इस अवहेलना और उल्लंघन को जारी रखे हुए हैं। जहाँ भगवान श्री रामचंद्र जी की कथा हो रही हो, वहाँ हनुमान जी महाराज का आवाहन होता है और वह श्री राम कथा के सर्वप्रथम श्रोता के रूप में वहाँ उपस्थित होते हैं।


सूतक और श्राद्ध का संबंध, हनुमान जी के समक्ष कथा पर आपत्ति

परिषद ने इस बात पर भी जोर दिया कि सूतक और श्राद्ध का अनिवार्य पारस्परिक संबंध होता है। सूतक काल गतात्मा (मृत आत्मा) के श्राद्ध का समय होता है। ऐसी स्थिति में सूतक से ग्रस्त व्यक्ति द्वारा श्राद्ध कर्म न करके हनुमान जी के समक्ष कथावाचन करना और प्रसाद इत्यादि का वितरण घोर निंदनीय है। परिषद ने उनके इस कृत्य को "नहिं कोउ अस जन्मा जग माही, प्रभुता पाइ जाहि मद नाहीं" (संसार में कोई ऐसा जन्म नहीं लेता जिसे प्रभुता पाकर मद न हो) का द्योतक बताया।

अखिल भारतीय मनीषी परिषद की बैठक में उपस्थित सभी लोगों का यह स्पष्ट मत रहा कि काशी की पवित्र भूमि पर मोरारी बापू को कथा वाचन के कार्य को तत्काल बंद कर देना चाहिए। बैठक में परिषद के अध्यक्ष डॉ. विद्यासागर पाण्डेय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशि प्रकाश मिश्रा, राष्ट्रीय महासचिव दिवाकर द्विवेदी, महानगर अध्यक्ष नीरज चौबे सहित गायक कलाकार अरुण मिश्रा गुंजन, अंबरीश उपाध्याय, डॉ. अभय मिश्रा, देवेन्द्र उपाध्याय एवं प्रभात मिश्रा आदि उपस्थित रहे।