Pahalgam Attack: जन्मदिन पर भाई की अस्थियां लेकर संगम पहुंचे सौरभ, बोले- विधाता को कुछ और ही मंजूर था
पहलगाम आतंकी हमले में दिवंगत शुभम द्विवेदी की अस्थियां अपने जन्मदिन पर लेकर संगम पहुंचे छोटे भाई सौरभ, कहा- ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था।

कानपुर: आमतौर पर जन्मदिन खुशियों का दिन होता है, लेकिन सौरभ द्विवेदी के लिए इस बार का जन्मदिन ऐसा दुख लेकर आया, जिसे शब्दों में बयान करना कठिन है। पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए भाई शुभम द्विवेदी की अस्थियां लेकर वह शनिवार को प्रयागराज संगम पहुंचे। वहां उन्होंने अपने बड़े भाई का अंतिम क्रिया-कर्म करते हुए कहा, “विधाता को कुछ और ही मंजूर था।”
शहीद शुभम की अस्थियां, भाई के हाथों संगम में विसर्जित
शनिवार को सौरभ अपने पिता पंडित मनोज कुमार द्विवेदी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ प्रयागराज रवाना हुए। संगम तट पर उन्होंने भाई शुभम की अस्थियों का विधिवत विसर्जन किया।
इस दौरान पूरे परिवार की आंखें नम थीं और आस-पास मौजूद लोग भी भावुक हो उठे। सबसे भावुक क्षण तब आया जब सौरभ ने कहा, “पिछले साल इसी दिन भैया के साथ जन्मदिन स्टेटस क्लब में मनाया था और आज उनकी अस्थियां हाथ में हैं।”
विसर्जन से पहले श्रद्धांजलि, हर तरफ शहीद को सलाम
शुभम द्विवेदी के घर पर बीते ग्यारह दिनों से श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ लगी हुई है। शुभम की बहादुरी और बलिदान को देखते हुए लोग उन्हें शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं।
सौरभ ने मीडिया से कहा, “जो दर्द आतंकियों ने हमारे परिवार को दिया है, उसका हिसाब ऊपर वाला करेगा। लेकिन सरकार से हमारी मांग है कि भैया को शहीद का दर्जा मिले और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जाए।”
शुभम के परिजनों से मिले अरुण पाठक
5 मई को तेरहवीं, लेकिन मन में सिर्फ एक सवाल – क्यों?
परिवार ने बताया कि शुभम की तेरहवीं 5 मई को तय है। इस मौके पर कानपुर में सामाजिक, धार्मिक और सुरक्षा संगठनों के प्रतिनिधियों के शामिल होने की संभावना है।
शुभम के पिता ने कहा, “ऐसा लग रहा है मानो ईश्वर ने हमें ही परीक्षा में डाल दिया है। जवान बेटा अचानक चला गया और छोटा बेटा उसका अंतिम संस्कार कर रहा है। ये कोई सामान्य दृश्य नहीं है।”
???????? शुभम को शहीद घोषित करने की उठ रही मांग
स्थानीय लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शुभम के शुभचिंतकों की ओर से लगातार मांग उठ रही है कि शुभम द्विवेदी को ‘शहीद’ का दर्जा दिया जाए।
उनकी हत्या एक आतंकी साजिश में हुई और इसलिए सरकार को इसे केवल सामान्य मौत के रूप में नहीं देखना चाहिए।
शुभम की बहन और माता ने भी सरकार से इस संबंध में हस्तक्षेप की मांग की है।
बदले की मांग, एक सुर में उठी आवाजें
गांव से लेकर शहर तक, हर जगह पाकिस्तान के खिलाफ नाराजगी जताई जा रही है। लोग कह रहे हैं कि अब सिर्फ निंदा से काम नहीं चलेगा, बल्कि कड़ी कार्रवाई और जवाब जरूरी है।
निष्कर्ष: एक जन्मदिन, दो कहानियां
सौरभ द्विवेदी का यह जन्मदिन जीवनभर का घाव बन गया है। एक ओर भाई की यादें, दूसरी ओर अस्थियों का विसर्जन — यह विरोधाभास किसी भी इंसान को भीतर से तोड़ सकता है।
इस घटना ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद न सिर्फ जानें लेता है, बल्कि परिवारों को मानसिक रूप से भी तबाह कर देता है।
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