राहुल गांधी पर मालवीय का 'मुनीर' अटैक, कांग्रेस का पलटवार, 'औकात में रहो'
अमित मालवीय ने राहुल गांधी पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पाकिस्तान समर्थक बयान देने का आरोप लगाया, जिसके बाद कांग्रेस ने तीखा पलटवार करते हुए मालवीय को 'औकात में रहने' की नसीहत दी। विवाद में मुनीर का नाम भी आया है

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर एक सनसनीखेज आरोप लगाया है। मालवीय ने राहुल गांधी पर 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता को कमतर आंकने और पाकिस्तान समर्थक बयान देने का आरोप लगाते हुए एक विवाद को जन्म दिया है। इस विवाद में मुनीर का नाम भी सामने आया है, जिससे मामला और उलझ गया है।
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मालवीय के इस हमले के बाद कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने तीखा पलटवार करते हुए मालवीय को 'औकात में रहने' की नसीहत दी है। खेड़ा ने मोरारजी देसाई का उदाहरण देते हुए कहा कि 'मुखबिरी' की आदत बीजेपी की ही है। उन्होंने कहा कि देश में सिर्फ एक व्यक्ति को 'निशान-ए-पाकिस्तान' मिला है, और वह हैं मोरारजी देसाई।
मालवीय ने अपने एक्स पोस्ट में राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए लिखा, "यह आश्चर्य की बात नहीं है कि राहुल गांधी पाकिस्तान और उसके हितैषियों की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को बेदाग 'ऑपरेशन सिंदूर' के लिए बधाई नहीं दी, जो स्पष्ट रूप से भारत के प्रभुत्व को दर्शाता है। इसके बजाय, वह बार-बार पूछते हैं कि हमने कितने जेट खो दिए हैं, ये सवाल जो पहले ही डीजीएमओ ब्रीफिंग में संबोधित किया जा चुका है। मजे की बात यह है कि उन्होंने एक बार भी यह नहीं पूछा कि संघर्ष के दौरान कितने पाकिस्तानी जेट मार गिराए गए, या कितने तब नष्ट हो गए जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी एयरबेस पर बमबारी की। राहुल गांधी के लिए आगे क्या है? निशान-ए-पाकिस्तान?"
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मालवीय के इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि अमित मालवीय अपनी 'औकात' में रहें। उन्होंने मोरारजी देसाई का उदाहरण देते हुए कहा कि 1990 में जब बीजेपी के समर्थन से वीपी सिंह की सरकार थी, तो क्या बीजेपी ने इसका विरोध किया था? खेड़ा ने आरोप लगाया कि मोरारजी देसाई ने मुखबिरी करके भारतीय एजेंसियों की जानकारी जियाउल हक को दी थी, जिसके एवज में हमारे 'रॉ' को भारी नुकसान हुआ था।
खेड़ा ने यह भी कहा कि कई और लोग 'निशान-ए-पाकिस्तान' के लिए लाइन में लगे हैं। उन्होंने आडवाणी का उदाहरण देते हुए कहा कि वह जिन्ना की मजार पर जाकर उन्हें सेक्युलर कह आए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी बिना बुलाए पाकिस्तान गए थे, और उन्हें भी 'निशान-ए-पाकिस्तान' मिल सकता है। खेड़ा ने अटल बिहारी वाजपेयी पर बटेश्वर कांड में एक क्रांतिकारी की मुखबिरी करने और सजा दिलवाने का आरोप लगाया।
पवन खेड़ा ने सवाल उठाया कि पीएम मोदी और जयशंकर ने चुप्पी क्यों साध रखी है? उन्होंने पूछा कि पहलगाम के 5 आतंकी कहां हैं, क्या यह सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए? खेड़ा ने विदेश मंत्री पर भी निशाना साधते हुए कहा कि भारत के टैक्सपेयर के पैसे से तनख्वाह लेने वाला विदेश मंत्री यह कह रहा है कि हमने हमले से पहले पाकिस्तान को बता दिया था।
इस विवाद में मुनीर का नाम आने से मामला और भी उलझ गया है। हालांकि, मुनीर के बारे में स्पष्ट जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन इस नाम ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को तेज कर दिया है।
यह विवाद लगातार गहराता जा रहा है, जिसमें पहलगाम हमले के आतंकियों के बचने और सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद किस दिशा में आगे बढ़ता है।