बगराम एयरबेस पर ट्रंप का बड़ा बयान: चीन के कब्जे का दावा, बोले- जल्द वापस लेंगे यह रणनीतिक ठिकाना
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर दोहराया कि अफगानिस्तान स्थित बगराम एयरबेस पर चीन का कब्जा है और अमेरिका उसे जल्द वापस लेगा। उन्होंने बाइडन प्रशासन की अफगान नीति को 'शर्मनाक और विनाशकारी' करार दिया।

बगराम एयरबेस पर ट्रंप की दो टूक: चीन ने कर लिया कब्जा, अमेरिका इसे वापस लेगा
वॉशिंगटन डीसी:
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अफगानिस्तान के रणनीतिक रूप से अहम बगराम एयरबेस को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने दावा किया कि इस एयरबेस पर फिलहाल चीन का कब्जा है और अमेरिका इसे "बहुत जल्द" फिर से अपने नियंत्रण में लेगा। यह बयान उन्होंने व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान दिया।
बगराम: एक रणनीतिक अड्डा
अफगानिस्तान के परवान प्रांत में स्थित बगराम एयरफील्ड न सिर्फ एक विशाल सैन्य अड्डा है, बल्कि इसका भौगोलिक महत्व भी अत्यधिक है। यह काबुल से करीब 47 किलोमीटर और चीन के परमाणु हथियार निर्माण स्थलों से एक घंटे की दूरी पर स्थित है। ट्रंप के अनुसार, इस आधार पर यह अड्डा अमेरिका की निगरानी और रणनीतिक मौजूदगी के लिए बेहद आवश्यक था।
"हमने बगराम को नहीं छोड़ना चाहिए था"
ट्रंप ने कहा,
"हम बगराम एयरबेस को अपने पास रखने जा रहे थे। मैंने स्पष्ट रूप से कहा था कि इसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। लेकिन बाइडन प्रशासन ने इसे ऐसे छोड़ दिया जैसे यह कोई महत्वहीन संपत्ति हो।"
उन्होंने बाइडन सरकार पर निशाना साधते हुए इसे "दुनिया के सबसे मजबूत और लंबी रनवे वाले एयरबेस को चीन को सौंपने" जैसा पागलपन करार दिया।
बाइडन की अफगान नीति पर करारा हमला
ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को "शर्मनाक और विनाशकारी" बताया। उन्होंने कहा कि बाइडन ने सैनिकों को पहले निकाला और उपकरण व आधारभूत संरचनाएं बाद में छोड़ दीं। इससे 13 अमेरिकी सैनिकों की जान गई और 42 घायल हुए।
उन्होंने कहा,
"हमने पहले सैनिकों को बाहर नहीं निकाला होता, तो यह नुकसान नहीं होता। यह सब बाइडन की योजना विफलता थी।"
रूस और चीन को मिला मौका
ट्रंप का कहना था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी वापसी की कमजोरी को देखा और इससे उन्हें "अतिरिक्त साहस" मिला।
"मैंने पुतिन से घंटों बात की थी। जब उन्होंने बगराम खाली देखा, तो उन्हें लगा कि यह सही समय है।"
चीन को लेकर भी ट्रंप ने चेतावनी दी कि बगराम जैसे अड्डे को खाली करने से चीन की सामरिक स्थिति मजबूत हुई है, खासतौर पर उसके परमाणु हथियारों के निर्माण के मद्देनज़र।
बगराम का सामरिक महत्व
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रनवे की लंबाई: 11,800 फीट
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सक्षमता: बमवर्षक और भारी मालवाहक विमानों के संचालन में सक्षम
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स्थिति: चारिकर शहर से 11 किमी, काबुल से 47 किमी दूर
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इतिहास: अमेरिका ने 2001 में कब्जा किया था, 2021 में छोड़ दिया गया
क्या अमेरिका वाकई बगराम को वापस लेगा?
ट्रंप का बयान आने वाले 2024 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनज़र देखा जा रहा है, जहां विदेश नीति और सुरक्षा एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका किसी सैन्य कार्रवाई की योजना बना रहा है या नहीं, लेकिन ट्रंप के बयान से यह साफ है कि बगराम अब कूटनीतिक और राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन चुका है।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप का बगराम एयरबेस पर दोबारा बयान देना यह संकेत देता है कि अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव आगे और गहराएंगे। साथ ही, यह भी स्पष्ट है कि बाइडन प्रशासन की अफगानिस्तान नीति अब भी आलोचना के केंद्र में बनी हुई है।