वाराणसी: खाना बनाने को लेकर डांट पड़ी, छात्रा ने तीसरी मंजिल से लगाई छलांग, हालत गंभीर
वाराणसी के धीरेन्द्र महिला कॉलेज में एमएससी की छात्रा ने तीसरी मंजिल से छलांग लगाई। घरेलू तनाव के चलते हुई घटना, हालत गंभीर।

वाराणसी।
शहर के चितईपुर थाना क्षेत्र स्थित धीरेन्द्र महिला कॉलेज, कर्मजीतपुर में गुरुवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। एमएससी बॉटनी की छात्रा दीपिका सिंह (24 वर्ष) ने कॉलेज की तीसरी मंजिल से पार्क की ओर छलांग लगा दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। छात्रा को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे बीएचयू ट्रामा सेंटर रेफर किया गया है।
घटना की पूरी जानकारी:
घटना गुरुवार सुबह करीब 10:30 बजे की है। दीपिका सिंह, जो कि मंडुवाडीह थाना क्षेत्र के कंदवा इलाके की रहने वाली है, सुबह अपने घर पर खाना बनाकर पिता को दिया और बीमार मां के लिए अस्पताल भी खाना भेजा। इसके बाद वह कॉलेज गई, कुछ देर क्लास में रही और फिर कॉलेज की तीसरी मंजिल पर जाकर छलांग लगा दी।
छात्रा की हालत गंभीर है। जबड़ा, कमर, हाथ और पैर में कई फ्रैक्चर हुए हैं। जानकारी मिलते ही चितईपुर थाना प्रभारी प्रवीण कुमार मौके पर पहुंचे और छात्रा को सुंदरपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां से प्राथमिक उपचार के बाद हालत गंभीर होने के कारण उसे बीएचयू ट्रामा सेंटर भेजा गया।
छात्रा के मानसिक तनाव की वजह क्या थी?
प्रभारी निरीक्षक प्रवीण कुमार ने बताया कि छात्रा के पिता ने सुबह खाना बनाने को लेकर उसे डांट दिया था। इसके बाद छात्रा ने अपने कर्तव्य को निभाते हुए खाना बनाकर पिता को दिया और मां के लिए अस्पताल भेजा। लेकिन इस घरेलू तनाव का छात्रा के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा, जिसका नतीजा इस हादसे के रूप में सामने आया।
बताया जा रहा है कि छात्रा की मां गंभीर रूप से बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। ऐसे में परिवार की जिम्मेदारियां पूरी तरह दीपिका पर थीं। पिता की डांट, पढ़ाई का दबाव और घर की स्थिति ने शायद उसे मानसिक रूप से इतना कमजोर कर दिया कि उसने यह आत्मघाती कदम उठाया।
कॉलेज प्रशासन की भूमिका और चुप्पी
इस घटना के बाद कॉलेज में हड़कंप मच गया। छात्राएं सहमी हुई हैं और प्रशासनिक अमले में भी तनाव का माहौल है। हालांकि, कॉलेज प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। सवाल उठता है कि अगर छात्रा मानसिक रूप से परेशान थी, तो क्या कॉलेज प्रशासन ने कभी उस पर ध्यान दिया? क्या मानसिक परामर्श जैसी कोई सुविधा उपलब्ध थी?
आखिर मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी कब तक?
यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी छात्र-छात्रा ने घरेलू तनाव या पढ़ाई के दबाव के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठाया हो। मानसिक स्वास्थ्य आज के समय में सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है, लेकिन इसे लेकर समाज में जागरूकता की भारी कमी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि छात्र जीवन में जब कई जिम्मेदारियां एक साथ आती हैं—जैसे पढ़ाई, घरेलू काम, सामाजिक अपेक्षाएं—तो युवा मानसिक रूप से थक जाते हैं। ऐसे में उन्हें समय पर मानसिक सहयोग, काउंसलिंग और परिवारिक समर्थन मिलना जरूरी होता है।
पड़ताल और आगे की कार्रवाई
पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। प्रथम दृष्टया इसे आत्महत्या की कोशिश माना जा रहा है, लेकिन कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। छात्रा के पिता और परिवार से भी पूछताछ की जा रही है। अस्पताल में छात्रा का इलाज जारी है और डॉक्टरों की टीम उसकी जान बचाने की कोशिश में लगी है।
निष्कर्ष:
दीपिका सिंह की यह घटना सिर्फ एक छात्रा की निजी पीड़ा नहीं है, बल्कि समाज को एक आईना दिखाने वाली त्रासदी है। यह हमें याद दिलाती है कि मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य।
परिवार, शिक्षण संस्थान और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी युवा अकेलापन, बोझ या असहायता के चलते इतना बड़ा कदम न उठाए।