यदि प्रधान का सहयोग ही अपराध है, तो अब चुप नहीं बैठेंगे" — वाराणसी में प्रदेशव्यापी प्रधान आंदोलन की चेतावनी
वाराणसी में ग्राम प्रधानों के प्रशासनिक उत्पीड़न को लेकर उबाल, झूठे मुकदमे में फंसाए गए प्रधान के समर्थन में जिला प्रधान संगठन ने दी प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी।

वाराणसी में ग्राम प्रधानों का फूटा गुस्सा, जिला प्रशासन के खिलाफ सख्त तेवर
वाराणसी जनपद में ग्राम प्रधानों पर हो रहे प्रशासनिक उत्पीड़न के खिलाफ जिला प्रधान संगठन में जबरदस्त नाराजगी देखी जा रही है। आराजीलाइन ब्लॉक के ग्राम प्रधान विवेक कुमार सिंह उर्फ मोहित को मिर्जामुराद पुलिस द्वारा लगातार चार दिनों तक थाने में बैठाए रखना, ग्राम प्रधानों की लोकतांत्रिक गरिमा का घोर अपमान बताया जा रहा है।
"सहयोग ही अपराध है तो अब चुप नहीं बैठेंगे" – जिला अध्यक्ष राकेश सिंह
जिला प्रधान संगठन के अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
"अगर प्रधान का सहयोग करना ही अब गुनाह है, तो अब संगठन इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रशासन को यह साफ संदेश है कि प्रधान अब अन्याय के खिलाफ चुप नहीं बैठेगा।"
उन्होंने बताया कि प्रधान ने पुलिस प्रशासन के निर्देश पर एक अपराधी को थाने पहुंचाने में मदद की, लेकिन अब उसी प्रधान को झूठे केस में फंसाया जा रहा है।
प्रदेश स्तर तक पहुंचा मामला, सौंपा गया ज्ञापन
राकेश सिंह ने बताया कि इस पूरे प्रकरण की जानकारी प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी और मंडल प्रभारी को दे दी गई है। प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश पर आज एक प्रतिनिधिमंडल ने ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन भी सौंपा। यदि इसके बाद भी प्रधान को न्याय नहीं मिला, तो वाराणसी से प्रदेश स्तरीय आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।
संगठन की प्रमुख माँगें:
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प्रधान विवेक कुमार सिंह के विरुद्ध दर्ज फर्जी मुकदमे की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
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झूठी शिकायत करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही हो।
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ग्राम प्रधानों की गरिमा और सम्मान की रक्षा हेतु प्रशासनिक आदेश पारित किया जाए।
धरना और आंदोलन की चेतावनी
जिला प्रधान संगठन ने स्पष्ट किया कि यदि निर्दोष प्रधानों का उत्पीड़न बंद नहीं किया गया, तो पूरे प्रदेश के प्रधानगण वाराणसी में एकत्र होकर अनिश्चितकालीन धरना देंगे। इस आंदोलन की पूर्ण जिम्मेदारी जिला प्रशासन और पुलिस विभाग की होगी।
निष्कर्ष: यह अब सिर्फ एक प्रधान का मामला नहीं, लोकतंत्र की गरिमा का प्रश्न है
ग्राम प्रधान गांवों के लोकतांत्रिक प्रतिनिधि होते हैं। उनके साथ ऐसा व्यवहार न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही पर भी सवाल खड़ा करता है। यदि इस मामले में शीघ्र न्याय नहीं हुआ, तो यह लहर प्रदेश भर में आंदोलन में बदल सकती है।