ताजमहल के आसपास पेड़ काटने पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: अब बिना अनुमति संभव नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल से 5 किमी के भीतर पेड़ काटने पर 2015 के आदेश को दोहराया है। अब इस क्षेत्र में किसी भी पेड़ की कटाई के लिए केंद्रीय समिति की सिफारिश और पूर्व अनुमति अनिवार्य होगी।

नई दिल्ली, 1 मई 2025 — भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ताजमहल और आसपास के ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के पांच किलोमीटर के दायरे में बिना उसकी अनुमति के पेड़ काटने पर 2015 के आदेश को फिर से लागू किया है। अब चाहे एक पेड़ ही क्यों न काटना हो, पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा, चाहे वह भूमि निजी ही क्यों न हो।
2015 के आदेश को दोहराया गया
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह कदम टीटीजेड (ताज ट्रेपेजियम जोन) की पारिस्थितिकी को संरक्षित करने और वनों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाने के लिए दोबारा आवश्यक हो गया है। अदालत ने यह भी कहा कि पेड़ों की संख्या चाहे 50 से कम हो, अनुमति फिर भी लेनी होगी।
क्या है TTZ और क्यों है ये क्षेत्र महत्वपूर्ण?
ताज ट्रेपेजियम जोन (TTZ) उत्तर प्रदेश और राजस्थान के छह जिलों में फैला 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है, जिसमें ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी जैसे विश्व धरोहर स्थल शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई बार इस क्षेत्र में प्रदूषण और पेड़ों की कटाई को लेकर गंभीर रुख अपनाता रहा है।
केवल अत्यावश्यक स्थितियों में ही अनुमति
कोर्ट ने यह भी कहा कि पेड़ों की कटाई तभी की जा सकती है जब उसकी बहुत अधिक आवश्यकता हो — जैसे कि मानव जीवन को खतरा हो। उस स्थिति में भी सीईसी की सिफारिश और डीएफओ की स्वीकृति जरूरी होगी, और साथ ही प्रतिपूरक वनरोपण सहित सभी शर्तों का पालन करना होगा।
याचिका खारिज, कोर्ट की सख्ती जारी
इस आदेश के अंतर्गत, आगरा के एक ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका जिसमें निजी भूमि पर पेड़ काटने के लिए ढील मांगी गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से खारिज कर दी। अदालत ने यह भी संकेत दिया है कि आगरा किला और फतेहपुर सीकरी जैसे अन्य ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी अतिरिक्त पर्यावरणीय सुरक्षा नियम लागू किए जा सकते हैं।
क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?
यह निर्णय न केवल भारत की संस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा करता है, बल्कि बढ़ते पर्यावरणीय संकट को देखते हुए स्थायी विकास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। सुप्रीम कोर्ट ने यह संदेश दिया है कि ताजमहल जैसे धरोहरों के आसपास का पर्यावरण सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक की साझा जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह ताजा निर्देश बताता है कि देश की न्यायपालिका अब पर्यावरण और विरासत स्थलों के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। ताजमहल के आसपास का हर पेड़ अब केवल एक संसाधन नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक संरचना की ढाल है।