द्वार पूजा बना युद्ध का मैदान: शादी की खुशियां तब्दील हुईं खूनी संघर्ष में
उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले में एक विवाह समारोह के दौरान द्वार पूजा के समय बाराती और घराती पक्ष के बीच जमकर विवाद हुआ। बात इतनी बढ़ गई कि मामला खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया, जिसमें 14 लोग घायल हो गए और दूल्हे सहित परिजनों को बंधक बना लिया गया।

उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले के महुली थाना क्षेत्र के एक गांव में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब एक पारंपरिक विवाह समारोह की द्वार पूजा रस्म खूनी संघर्ष में तब्दील हो गई। बेलडुहा गांव में बुधवार की रात बारात आई थी, लेकिन हर्ष और उल्लास से भरे इस पल को कुछ ही क्षणों में लाठी, डंडों और लोहे की रॉड की खड़खड़ाहट ने निगल लिया।
इस हिंसक घटना ने न केवल शादी की खुशियों पर ग्रहण लगा दिया, बल्कि पूरे गांव में तनाव का माहौल भी पैदा कर दिया। लड़ाई इतनी गंभीर थी कि दोनों पक्षों से कुल 14 लोग घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। दूल्हे और उसके परिवार को बंधक बना लिया गया, और पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई।
द्वार पूजा के दौरान शुरू हुआ विवाद
बारात महुली क्षेत्र के भैंसही उर्फ भैसवरिया गांव से बेलडुहा आई थी। दूल्हा प्रवीण पुत्र विश्वनाथ शर्मा था। विवाह की रस्में जैसे ही द्वार पूजा के दौरान शुरू हुईं, अचानक कुछ बात को लेकर दोनों पक्षों में कहासुनी होने लगी। उपस्थित लोगों ने स्थिति को संभालने की कोशिश की और मामला शांत भी हो गया।
लेकिन यह शांति अस्थायी निकली। जैसे ही जयमाल की तैयारी हुई, विवाद दोबारा भड़क उठा। इस बार मामला इतना बढ़ा कि लोग लोहे की रॉड और लाठियों से एक-दूसरे पर टूट पड़े। गाली-गलौज से शुरू हुई बात हाथापाई और फिर गंभीर मारपीट में बदल गई।
14 लोग घायल, इलाज जारी
इस खूनी संघर्ष में बाराती और घराती पक्ष से 14 लोग घायल हो गए। घायलों में दूल्हे के पिता विश्वनाथ शर्मा (60), भाई गोविंद शर्मा, अवधेश यादव, रवि किशन, राम जनक, राम यज्ञ, विनोद, गोविंद, शिवपूजन शर्मा, आकाश शर्मा और आनंद गोंड शामिल हैं। वहीं घराती पक्ष से सत्येंद्र शर्मा और सुरेंद्र शर्मा घायल हुए।
घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
बंधक बने दूल्हा और परिजन
विवाद के बाद तनाव और अधिक बढ़ गया, जब घराती पक्ष ने दूल्हे प्रवीण शर्मा और उसके परिजनों को बंधक बना लिया। आरोप है कि विवाह से संबंधित नगदी और जेवरात भी छीन लिए गए। यह आरोप दूल्हे के पिता द्वारा लगाया गया, हालांकि इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है।
गुरुवार दोपहर तक दूल्हे को विवाह के बाद ही छोड़ने की शर्त रखी गई थी। फिलहाल दुल्हन के घर पर पुलिस बल तैनात है और दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौता कराने की कोशिशें जारी हैं।
विवाद की वजह: आतिशबाज़ी और सिंघौरा?
विवाद की वजहों पर दोनों पक्षों की अलग-अलग राय है। बाराती पक्ष का कहना है कि उन्हें निशाना बनाकर हमला किया गया, जबकि घराती पक्ष का आरोप है कि द्वार पूजा के दौरान बारातियों ने महिलाओं की ओर आतिशबाज़ी की और सिंघौरा (विवाह रस्म में प्रयुक्त आवश्यक सामग्री) नहीं लाने से नाराज़गी उत्पन्न हुई।
यह भी कहा जा रहा है कि पारंपरिक रस्मों में अपमानजनक व्यवहार और आपसी असहमति ने विवाद को हिंसा की ओर मोड़ दिया।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
घटना के बाद बाराती पक्ष ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया। घायल और खून से लथपथ लोग महुली थाने पहुंचे, लेकिन ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मी ने उन्हें यह कहकर लौटा दिया कि पहले विवाह कराओ, फिर कार्रवाई होगी।
इस रवैये से पीड़ित परिवार बेहद आहत है। उनका कहना है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में पुलिस को तत्परता दिखानी चाहिए थी।
सामाजिक परिप्रेक्ष्य: रस्में और हिंसा
द्वार पूजा जैसी पारंपरिक रस्में विवाह के सौंदर्य का हिस्सा होती हैं। यह वो क्षण होते हैं, जब दोनों परिवारों के बीच मेल-जोल और सौहार्द की शुरुआत होती है। लेकिन जब वही रस्में अहम, ईगो टकराव, और अंधविश्वास का शिकार बन जाएं, तो उनके पीछे का पूरा अर्थ ही खो जाता है।
यह घटना दर्शाती है कि समाज में छोटी-छोटी बातों को लेकर कैसे बड़े और हिंसक झगड़े हो सकते हैं। विवाह जैसे पवित्र आयोजन को लहूलुहान करने वाली मानसिकता पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
प्रशासन की चुनौती
स्थानीय प्रशासन के लिए यह घटना एक चेतावनी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक कार्यक्रमों में कानून-व्यवस्था की निगरानी कितनी जरूरी है। पुलिस की निष्क्रियता और घटनास्थल पर देर से पहुंचना स्थिति को और भयावह बना देता है।
निष्कर्ष
एक छोटे से विवाद ने न केवल 14 लोगों को घायल कर दिया, बल्कि दूल्हे और उसके परिवार की गरिमा और सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए। विवाह की वह रात जो जीवन भर की यादगार बननी चाहिए थी, वह एक खौफनाक हादसे में बदल गई। अब समय आ गया है कि समाज, प्रशासन और प्रत्येक नागरिक विवाह जैसे आयोजनों को लेकर अधिक संवेदनशील और जिम्मेदार बने।
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