Rajasthan News :बकरीद पर बवाल: कुर्बानी या केक? राजस्थान में नया ट्विस्ट
राजस्थान में बकरीद की कुर्बानी पर नया विवाद छिड़ गया है. VHP और बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कुर्बानी के बजाय 'इको-फ्रेंडली' तरीकों से त्योहार मनाने की अपील की है, जिसमें बकरे की जगह केक काटने का सुझाव भी शामिल है.

राजस्थान में इस साल बकरीद का त्योहार कुर्बानी को लेकर एक नए विवाद के साथ सुर्खियों में है. हमेशा की तरह धार्मिक आस्था और परंपरा का सवाल तो है ही, लेकिन इस बार इसमें पर्यावरण संरक्षण और अहिंसा का नया रंग भी घुल गया है. विश्व हिंदू परिषद (VHP) के बाद अब बीजेपी के फायरब्रांड विधायक बालमुकुंद आचार्य ने भी इस बहस को हवा दे दी है. उन्होंने सीधे-सीधे मुसलमानों से बकरीद पर बकरे की कुर्बानी के बजाय केक काटने की अपील कर दी है.
जयपुर की हवा महल सीट से विधायक बालमुकुंद आचार्य का तर्क सीधा और सपाट है. उनका कहना है कि अगर परंपराओं का पालन करना ही है, तो क्यों न बकरे की आकृति का केक बनाकर उसे काटा जाए? उन्होंने यह भी दावा किया कि इस्लाम धर्म के किसी भी धर्म ग्रंथ में जानवरों की कुर्बानी को जरूरी नहीं बताया गया है. उनके अनुसार, त्योहारों पर खुशियां मनाने के लिए जीवों की हत्या करना किसी भी मायने में उचित नहीं है.
आचार्य ने अपने बयान में भारत के मूल सिद्धांत 'अहिंसा परमो धर्म' का हवाला दिया है. उनका मानना है कि त्योहारों को इको-फ्रेंडली होना चाहिए. उनके शब्दों में, "त्योहार के नाम पर जानवरों की जान लेना कतई नहीं है. यह गलत परंपरा बंद होनी चाहिए." उन्होंने इसे धर्म से जोड़ने पर भी आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि कोई भी धर्म किसी भी जीव की हत्या की इजाजत नहीं देता. अगर बलि देना इतना ही जरूरी है, तो इसके लिए नारियल और कद्दू की बलि दी जा सकती है.
इस पूरे मामले में VHP पहले ही अपनी मांग उठा चुकी है. VHP के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने मुस्लिम समुदाय से संवेदनशीलता दिखाने और 'ईको-फ्रेंडली ईद' मनाने की अपील की थी. उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब दीपावली और होली जैसे हिंदू त्योहारों पर तथाकथित पर्यावरण प्रेमी और न्यायपालिका का एक वर्ग पर्यावरण-अनुकूल त्योहार मनाने की अपील करता है, तो बकरीद पर होने वाली कुर्बानी को लेकर वे सब खामोश क्यों हो जाते हैं?
यह विवाद सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के कई हिस्सों में धार्मिक त्योहारों पर होने वाली प्रथाओं को लेकर बहस अक्सर छिड़ती रहती है. एक तरफ जहां धार्मिक स्वतंत्रता और परंपरा का सवाल है, वहीं दूसरी तरफ पशु क्रूरता, पर्यावरण प्रदूषण और अहिंसा के सिद्धांत भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं. अब देखना यह होगा कि बालमुकुंद आचार्य और VHP की इस अनोखी अपील का मुस्लिम समुदाय पर क्या असर होता है और क्या यह बहस भविष्य में त्योहारों को मनाने के तरीकों में कोई बदलाव ला पाएगी.