BSF जवान पीके साहू पाकिस्तान से लौटे, भारत ने भी पाक रेंजर को सौंपा
भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद BSF जवान पीके साहू अटारी बॉर्डर से भारत लौटे। बदले में भारत ने भी एक पाक रेंजर को पाकिस्तान को सौंपा।

भारत और पाकिस्तान, दो पड़ोसी राष्ट्र जिनका इतिहास जटिलताओं और तनावों से भरा रहा है, ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया है जो संबंधों में संभावित नरमी का संकेत देता है। सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पूर्णब कुमार साहू, जिन्हें पीके साहू के नाम से जाना जाता है, 23 अप्रैल 2025 को गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान चले गए थे। लगभग तीन सप्ताह की हिरासत के बाद, उन्हें अटारी बॉर्डर के रास्ते भारत को सौंप दिया गया। इस मानवीय सद्भावना के जवाब में, भारत ने भी राजस्थान में अपनी सीमा के पास से गिरफ्तार किए गए एक पाकिस्तानी रेंजर को पाकिस्तान को वापस कर दिया। यह घटनाक्रम, जो दोनों देशों के बीच हालिया तनावपूर्ण माहौल के बाद सामने आया है, कई सवाल खड़े करता है: क्या यह सिर्फ एक मानवीय आदान-प्रदान है, या यह भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों की बर्फ पिघलने की शुरुआत है?
गलती से सीमा पार करना:
बीएसएफ जवान पीके साहू, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के निवासी हैं, पंजाब के फिरोजपुर जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा पर एक तदर्थ टीम के साथ तैनात थे। 23 अप्रैल को, जब वह शून्य रेखा के पास खेतों में काम कर रहे सीमावर्ती ग्रामीणों (किसानों) की सहायता कर रहे थे, तो अनजाने में वह अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए। उस समय वह अपनी वर्दी में थे और ड्यूटी पर थे। सीमा सुरक्षा बल ने तत्काल पाकिस्तानी समकक्षों को इस घटना की सूचना दी और जवान की सुरक्षित वापसी के लिए बातचीत शुरू की।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया:
पाकिस्तान रेंजर्स ने पीके साहू को हिरासत में ले लिया। ऐसे मामलों में, स्थापित प्रोटोकॉल के तहत, दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों के बीच फ्लैग मीटिंग आयोजित की जाती है ताकि गलती से सीमा पार करने वाले कर्मियों की वापसी सुनिश्चित की जा सके। इस मामले में भी, दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी रही।
भारत का जवाबी कदम:
इसी दौरान, राजस्थान के श्रीगंगानगर में भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर BSF के जवानों ने एक पाकिस्तानी रेंजर को गिरफ्तार किया। पाकिस्तानी रेंजर सीमा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहा था। सीमा पर तैनात सतर्क जवानों ने उसे पकड़ लिया। यह गिरफ्तारी, हालांकि पीके साहू की रिहाई के बदले में आधिकारिक तौर पर नहीं बताई गई, लेकिन एक समानांतर घटनाक्रम के रूप में देखी जा सकती है।
अटारी बॉर्डर पर प्रत्यार्पण:
14 मई 2025 को, पीके साहू को अटारी बॉर्डर के संयुक्त चेक पोस्ट के माध्यम से भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया। बीएसएफ ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि हैंडओवर शांतिपूर्वक और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार आयोजित किया गया था। जवान की वतन वापसी से उनके परिवार और BSF में खुशी की लहर दौड़ गई।
पाक रेंजर की वापसी:
उसी दिन, भारत ने भी अपनी हिरासत में लिए गए पाकिस्तानी रेंजर को पाकिस्तान को सौंप दिया। यह प्रत्यार्पण भी स्थापित प्रोटोकॉल के तहत शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। दोनों देशों द्वारा एक ही दिन में अपने-अपने कर्मियों को वापस करना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है।
हालिया तनाव और युद्धविराम:
यह आदान-प्रदान ऐसे समय में हुआ है जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हाल ही में काफी तनावपूर्ण रहे हैं। दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं आम थीं। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर मिसाइल और ड्रोन हमलों का भी आरोप लगाया था, जिससे सीमा पर स्थिति और नाजुक हो गई थी। भारत ने पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया है, जबकि पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की आलोचना की है। इन तनावों के बीच, दोनों देशों के बीच एक अप्रत्याशित युद्धविराम हुआ, जिसके बाद यह मानवीय आदान-प्रदान हुआ है।
क्या यह नरमी की शुरुआत है?
बीएसएफ जवान और पाकिस्तानी रेंजर का एक साथ प्रत्यार्पण निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है। यह दर्शाता है कि दोनों देश, तमाम तनावों के बावजूद, मानवीय मामलों को सुलझाने और स्थापित प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह घटनाक्रम भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में एक बड़े बदलाव या नरमी की शुरुआत का संकेत देता है।
सकारात्मक पहलू:
- मानवीय आधार: दोनों देशों ने मानवीय आधार पर अपने-अपने कर्मियों को वापस भेजा है। यह दर्शाता है कि दोनों पक्ष कम से कम व्यक्तिगत स्तर पर मानवीय मूल्यों का सम्मान करते हैं।
- प्रोटोकॉल का पालन: प्रत्यार्पण स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। यह दर्शाता है कि दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बल संचार और समन्वय के लिए तैयार हैं।
- तनाव कम करने की इच्छा: युद्धविराम के बाद यह आदान-प्रदान तनाव को और बढ़ने से रोकने की इच्छा का संकेत दे सकता है।
चुनौतियां बरकरार:
- गहरे मुद्दे: कश्मीर मुद्दा, सीमा पार आतंकवाद और अविश्वास जैसे गहरे मुद्दे अभी भी दोनों देशों के बीच संबंधों में बड़ी बाधाएं बने हुए हैं।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति: दीर्घकालिक शांति और सामान्य संबंधों के लिए दोनों देशों की सरकारों में मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होगी।
- अतीत के अनुभव: अतीत में भी कई बार इस तरह के मानवीय आदान-प्रदान हुए हैं, लेकिन वे व्यापक द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में विफल रहे हैं।
निष्कर्ष:
बीएसएफ जवान पीके साहू की वतन वापसी और पाकिस्तानी रेंजर का प्रत्यार्पण एक स्वागत योग्य कदम है। यह दर्शाता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद और सहयोग की गुंजाइश अभी भी मौजूद है, खासकर मानवीय मामलों में। हालांकि, दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने और स्थायी शांति स्थापित करने के लिए अभी भी एक लंबा और कठिन रास्ता तय करना होगा। गहरे मुद्दों का समाधान, राजनीतिक विश्वास बहाली और निरंतर सकारात्मक प्रयासों से ही भविष्य में बेहतर संबंधों की उम्मीद की जा सकती है। यह मानवीय आदान-प्रदान उस दिशा में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।