दाहोद लोकोमोटिव वर्कशॉप: 'मेक इन इंडिया' का जीता जागता प्रमाण, बदलेगी देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर
दाहोद लोकोमोटिव वर्कशॉप 'मेक इन इंडिया' की शक्ति का प्रतीक, 21,405 करोड़ की लागत से बना प्लांट रोजगार और निर्यात बढ़ाएगा, देश की अर्थव्यवस्था को देगा बड़ा बढ़ावा।

फिल्म ‘उपकार’ का वह प्रसिद्ध गीत, ‘मेरे देश की धरती, सोना उगले-उगले हीरा मोती’, जब आया था, तो यह देश के मेहनती किसानों का प्रतिनिधित्व करता था। आज, यह गीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ पहल के लिए एकदम सटीक बैठता है। इसी पहल की ताकत है कि कभी विरोध करने वाले डोनाल्ड ट्रंप के बावजूद, दिग्गज टेक कंपनी Apple भारत में अपने iPhone का निर्माण करना चाहती है। इसी कड़ी में, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में ‘दाहोद लोकोमोटिव मैन्यूफैक्चरिंग वर्कशॉप’ का उद्घाटन किया, जो आने वाले समय में न केवल देश की अर्थव्यवस्था को कई तरह से बदलेगा, बल्कि सचमुच ‘सोना-चांदी’ पैदा करके देगा।
भारतीय रेलवे द्वारा 21,405 करोड़ रुपये की भारी लागत से निर्मित ‘दाहोद लोकोमोटिव मैन्यूफैक्चरिंग वर्कशॉप’ रणनीतिक रूप से गुजरात में स्थापित किया गया है। इसका एक बड़ा मकसद यहां से अफ्रीकी और यूरोपीय देशों को उच्च क्षमता वाले लोकोमोटिव (रेलवे इंजन) का निर्यात करना है। यह अत्याधुनिक प्लांट देश की अर्थव्यवस्था की दिशा और गति बदलने का सामर्थ्य रखता है।
यह विशाल मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 10,000 से अधिक लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करेगा। इस कारखाने को महज तीन वर्षों के भीतर तैयार कर लिया गया है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2022 में इस महत्वाकांक्षी परियोजना का शिलान्यास किया था। रोजगार सृजन के अलावा, यह कारखाना ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
इस वर्कशॉप में उच्च क्षमता और उत्कृष्ट प्रदर्शन वाले इलेक्ट्रिक इंजन विकसित किए जाएंगे, जिनकी वर्तमान में भारत को आयात पर निर्भरता है। इतना ही नहीं, यहां निर्मित होने वाले इंजन का उल्टा निर्यात किया जाएगा, जो वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती हुई मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता का प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही, यह भारत के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी बनेगा।
ऐसे बदलेगा देश की इकोनॉमी:
दाहोद लोकोमोटिव मैन्यूफैक्चरिंग वर्कशॉप से निर्मित पहला लोकोमोटिव प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को समर्पित भी कर दिया है। इस वर्कशॉप में अत्याधुनिक तकनीक से लैस 9000 हॉर्स पावर के शक्तिशाली इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव तैयार किए गए हैं।
यह एक अकेला लोकोमोटिव एक बार में लगभग 4600 टन तक के भारी कार्गो वजन को खींचने की क्षमता रखता है, जो लगभग दो पूरी मालगाड़ियों के वजन के बराबर है। इस प्रकार, ये शक्तिशाली इंजन भारत की माल ढुलाई क्षमता को कई गुना बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और परिवहन लागत को काफी हद तक कम करेंगे। इसकी बदौलत, भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक अधिक प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी के रूप में उभरेगा।
इतना ही नहीं, यह वर्कशॉप बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करेगी और निर्यात को बढ़ावा देगी, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को एक मल्टीप्लायर इफेक्ट का लाभ मिलेगा। यह कारखाना भारतीय रेलवे के महत्वाकांक्षी ‘डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर’ के रणनीतिक मार्ग पर स्थित है। इस महत्वपूर्ण अवस्थिति के कारण भी, यह भारत में माल परिवहन की लागत को कम करने में अत्यंत सहायक सिद्ध होगा।
दाहोद लोकोमोटिव मैन्यूफैक्चरिंग वर्कशॉप में प्रति वर्ष 120 उच्च-क्षमता वाले इलेक्ट्रिक इंजन विकसित करने की क्षमता है। हालांकि, भविष्य में इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 150 इंजन प्रति वर्ष तक किया जा सकता है। सरकार ने अगले दस वर्षों में इस वर्कशॉप से लगभग 1200 इंजन बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। यह परियोजना न केवल भारत की रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेगी, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को एक महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक बढ़ावा मिलेगा। यह सचमुच भारत की धरती से ‘सोना’ उगलने जैसा ही है।