Ghazipur: सात साल में हरा-भरा हुआ जंगल खाक! आग से 2 हजार पेड़ जले, जिम्मेदार कौन?

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में वन विभाग द्वारा सात साल पहले लगाए गए हजारों पेड़ आग की भेंट चढ़ गए। दुल्लहपुर थाना क्षेत्र के धामूपुर गांव में हुई इस घटना में लगभग 2000 पेड़ जलकर राख हो गए। आग लगने के कारणों की जांच जारी है, लेकिन ग्रामीणों ने खाली जमीन पर कब्जे की आशंका जताई है।

Ghazipur: सात साल में हरा-भरा हुआ जंगल खाक! आग से 2 हजार पेड़ जले, जिम्मेदार कौन?

गाजीपुर, शनिवार, 17 मई 2025। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के दुल्लहपुर थाना क्षेत्र के धामूपुर गांव में एक दुखद घटना सामने आई है। यहां मगंई नदी के किनारे वन विभाग द्वारा सात साल पहले बड़ी मेहनत से लगाए गए लगभग 2.5 हजार पेड़ों में भीषण आग लग गई। आग की लपटें इतनी ऊंची थीं कि पूरे इलाके में दहशत फैल गई। इस अग्निकांड में लगभग 2000 पेड़ जलकर राख हो गए, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा है।

परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के पैतृक गांव धामूपुर में वन विभाग ने 2018 में पौधारोपण अभियान के तहत ग्राम सभा की करीब दस बीघा खाली जमीन पर विभिन्न प्रजातियों के लगभग ढाई हजार पौधे लगाए थे। इन सात सालों में ये छोटे पौधे अब काफी बड़े पेड़ बन चुके थे, जिनमें आम, जामुन, महुआ, बबूल, अमरूद और शीशम जैसे पेड़ शामिल थे। इसके अतिरिक्त, वन विभाग ने 2023 में भी इसी क्षेत्र में कुछ और पौधे लगाए थे, जो अब अच्छी तरह से विकसित हो रहे थे।

गुरुवार की देर रात इस हरे-भरे इलाके में अचानक आग लग गई। ग्रामीणों ने बताया कि पूरी रात तेज लपटों के साथ पेड़ जलते रहे। आग की सूचना मिलने पर फायर ब्रिगेड को भी बुलाया गया, लेकिन गांव तक पहुंचने का रास्ता ठीक न होने के कारण दमकल की गाड़ियां मौके पर नहीं पहुंच पाईं। इस वजह से आग पर काबू पाने में काफी देर हो गई और भारी नुकसान हुआ।

आग लगने के कारणों को लेकर ग्रामीणों में अलग-अलग चर्चाएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वन विभाग द्वारा पौधारोपण किए जाने के कारण ग्राम सभा की इस खाली जमीन पर कुछ लोगों का कब्जा नहीं हो पा रहा था। इसलिए, उन्होंने जानबूझकर आग लगा दी, ताकि पेड़ नष्ट हो जाएं और जमीन खाली हो जाए, जिस पर वे बाद में कब्जा कर सकें। वहीं, कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया कि ग्राम सभा की इस जमीन पर कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से खेती भी की जाती है।

हालांकि, प्रभारी डीएफओ (जिला वन अधिकारी) विवेक यादव ने आग लगने के संभावित कारण के बारे में अलग जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि संभवतः किसी खेत में पराली जलाई गई थी, जिसकी वजह से आग फैलकर पेड़ों तक पहुंच गई और उन्हें नुकसान हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि आग की सूचना मिलने पर अग्निशमन विभाग के वाहन भेजे गए थे, लेकिन रास्ते की खराबी के कारण वे समय पर नहीं पहुंच सके।

प्रभारी डीएफओ ने यह भी कहा कि दो साल पहले लगाए गए कुछ बड़े हो चुके पौधों में अज्ञात कारणों से आग लग गई थी। उन्होंने बताया कि वन विभाग के अधिकारी भी फायर ब्रिगेड के साथ मौके पर पहुंचे थे, लेकिन रास्ते की समस्या के कारण वे भी तत्काल कार्रवाई नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि वह स्वयं भी मौके पर जा रहे हैं और नुकसान का आकलन करेंगे। हालांकि, वन विभाग के अधिकारी इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के जलने और झुलसने की बात से इनकार कर रहे हैं।

सात साल की कड़ी मेहनत और लाखों रुपये खर्च करके बसाए गए इस छोटे से जंगल का इस तरह से खाक हो जाना बेहद दुखद है। यह घटना न केवल पर्यावरण के लिए एक बड़ा नुकसान है, बल्कि उन लोगों के प्रयासों पर भी पानी फेरती है जिन्होंने इसे हरा-भरा बनाने में अपना योगदान दिया था। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस घटना की निष्पक्ष जांच कराता है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।