हरहुआ सामूहिक विवाह: मंत्री-विधायक देखते रहे, भोजन के लिए मची लूट, दूल्हा-दुल्हन भी भूखे!

वाराणसी के हरहुआ में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में भोजन वितरण में भारी दुर्व्यवस्था देखने को मिली। मंत्री, विधायक और अधिकारियों की मौजूदगी में खाने की लूट मची, दूल्हा-दुल्हन तक भूखे रहे, परिजन भी परेशान लौटे।

हरहुआ सामूहिक विवाह: मंत्री-विधायक देखते रहे, भोजन के लिए मची लूट, दूल्हा-दुल्हन भी भूखे!

वाराणसी के हरहुआ ब्लॉक स्थित काशी कृषक इंटर कॉलेज में गुरुवार को आयोजित सामूहिक विवाह समारोह पूरी तरह से दुर्व्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया। माननीय मंत्री जी, माननीय विधायक जी और तमाम आला अधिकारियों की मौजूदगी में भोजन वितरण में ऐसी अराजकता फैली कि लोग खाने के लिए आपस में जूझते नजर आए। हद तो तब हो गई जब खुद दूल्हा और दुल्हन भी भोजन से वंचित रह गए, और उनके परिजन भी भूखे ही वापस लौटने को मजबूर हुए। इस पूरे घटनाक्रम ने कार्यक्रम आयोजित करने वालों की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्टाम्प पंजीयन राज्य मंत्री रविन्द्र जायसवाल इस सामूहिक विवाह समारोह के मुख्य अतिथि थे। इसके अलावा अजगरा के विधायक त्रिभुवन राम और एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा जैसे जनप्रतिनिधि भी कार्यक्रम में मौजूद थे। इतनी महत्वपूर्ण हस्तियों की उपस्थिति के बावजूद, भोजन वितरण का इंतजाम पूरी तरह से चरमरा गया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे ही भोजन वितरण शुरू हुआ, लोगों की भारी भीड़ खाने के स्टालों पर टूट पड़ी। आलम यह था कि खाने की 'लूट' मच गई। स्टालों पर मौजूद कर्मचारी भीड़ को संभालने में पूरी तरह से नाकाम रहे और कई तो भगदड़ जैसी स्थिति देखकर स्टाल छोड़कर भाग खड़े हुए।

इस अफरा-तफरी का सबसे बुरा असर नवविवाहित जोड़ों पर पड़ा। बताया जा रहा है कि दूल्हा और दुल्हन भी इस आपाधापी में अपना भोजन तक नहीं ले पाए और उन्हें भूखे ही रहना पड़ा। उनके साथ आए परिजन भी भोजन पाने के लिए संघर्ष करते रहे और अंततः निराश होकर खाली पेट ही वापस लौट गए।

भोजन वितरण में मेनू का भी कोई ध्यान नहीं रखा गया। जिसे जो मिला, जैसे मिला, वही खाता नजर आया। गुणवत्ता और व्यवस्था की कमी हर तरफ साफ दिखाई दे रही थी। सवाल यह उठता है कि जब इतने बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था और इतने गणमान्य लोग मौजूद थे, तो भोजन वितरण जैसी बुनियादी व्यवस्था क्यों इतनी लचर रही? क्या वाकई में आयोजकों की ओर से सभी को सम्मानजनक ढंग से भोजन कराने की इच्छाशक्ति में कमी थी?

इस पूरी दुर्व्यवस्था को लेकर कार्यक्रम में मौजूद लोगों में भारी नाराजगी देखने को मिली। वहीं, अधिकारियों ने इस मामले पर लीपापोती करते हुए सिर्फ ठेकेदार पर कार्रवाई करने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ ठेकेदार ही इस पूरी अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार है? क्या इतने बड़े आयोजन की निगरानी करने वाले अधिकारियों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?

हरहुआ में आयोजित इस सामूहिक विवाह समारोह में भोजन वितरण की यह शर्मनाक स्थिति निश्चित रूप से आयोजकों और प्रशासन के लिए एक बड़ा सबक है। भविष्य में ऐसे आयोजनों में इस तरह की लापरवाही और दुर्व्यवस्था दोबारा न हो, यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। आखिर, किसी भी आयोजन की सफलता उसमें शामिल होने वाले हर व्यक्ति की संतुष्टि पर निर्भर करती है, और इस मामले में तो दूल्हा-दुल्हन और उनके परिजन तक मूलभूत आवश्यकता से वंचित रह गए, जो बेहद निंदनीय है।