Pahalgam Attack : भारत कितने दिन रोकेगा चिनाब-झेलम का पानी? बगलिहार डैम की 'सफाई' की रणनीति समझिए!
"भारत कितने दिन रोकेगा चिनाब-झेलम का पानी? बगलिहार डैम बंद करने की असली रणनीति समझिए, क्या यह पाकिस्तान के खिलाफ वॉटर स्ट्राइक है?"

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस माहौल में सिंधु जल समझौते को लेकर भी अटकलें तेज हो गई हैं। खबरें आ रही हैं कि भारत ने बगलिहार और सलाल डैम के गेट बंद कर दिए हैं, जिससे पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी का प्रवाह काफी कम हो गया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने इसे 'जंग' की शुरुआत तक बता दिया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत वाकई में चिनाब और झेलम का पानी रोकने की क्षमता रखता है और बगलिहार डैम बंद करने की असली वजह क्या है?
पानी जमा करने की सीमित क्षमता:
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में पश्चिमी नदियों (चिनाब, झेलम, सिंधु) पर कई हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर के पास पानी जमा करने की पर्याप्त जगह नहीं है। चिनाब पर बने बगलिहार, दुलहस्ती और सलाल डैम हों या झेलम पर बने किशनगंगा और उरी प्रोजेक्ट, इनमें पानी का भंडारण सीमित है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत अपनी पूरी क्षमता से भी पानी रोके, तो भी वह सिंधु, चिनाब और झेलम के कुल पानी का सिर्फ एक फीसदी ही रोक पाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर इन डैम के गेट क्यों बंद किए गए?
गाद की सफाई या 'वॉटर स्ट्राइक' की तैयारी?
बगलिहार डैम के अधिकारियों का कहना है कि गेट रूटीन ड्रिल के तहत, जलाशय से गाद (मिट्टी और मलबा) निकालने के लिए बंद किए गए हैं। सफाई के बाद इसे फिर से पानी से भरा जाएगा। हालांकि, इस सफाई की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं। अमूमन गाद निकालने का काम अगस्त के महीने में होता है, लेकिन पहलगाम हमले के बाद मई में यह ऑपरेशन शुरू होने से इसे पाकिस्तान के खिलाफ 'वॉटर स्ट्राइक' के तौर पर देखा जा रहा है। पाकिस्तान भी इस नए 'हथियार' के इस्तेमाल से घबराया हुआ है, क्योंकि पानी रोकने या ज्यादा छोड़ने की रणनीति से उसे सूखे और बाढ़ जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उसकी 80 फीसदी खेती सिंधु के पानी पर निर्भर है।
समझौते को रोकने का संभावित फायदा:
विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ 'वॉटर स्ट्राइक' करके भारत औपचारिक जंग से पहले अपनी क्षमता का आकलन कर रहा है। पानी बंद करके भारत ने न केवल पाकिस्तान को चुनौती दी है, बल्कि अपनी पानी रोकने की क्षमता का भी जायजा लिया है। इस कार्रवाई से यह अंदाजा लग जाएगा कि पाकिस्तान को पानी के लिए तरसाने के लिए और कितने बांध या जलाशय बनाने की जरूरत है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान की ओर बहने वाली चार नदियों पर काम भी शुरू कर दिया है, जिससे भविष्य में बांध और जलाशय बनाने का रास्ता साफ हो सकता है।
माना जा रहा है कि बगलिहार और सलाल डैम बंद करके भारत ने दुनिया को यह संदेश भी दिया है कि अब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। सिंधु जल समझौते के कारण भारत अब तक झेलम, चिनाब और सिंधु नदी के 20 फीसदी पानी का भी इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। सरकार के इस फैसले के बाद जलाशय और बांध बनाने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं, जिससे अगले 5 से 8 सालों में पाकिस्तान को पानी के लिए और ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
फिलहाल, यह कहना मुश्किल है कि भारत कितने दिनों तक चिनाब और झेलम का पानी रोकेगा। बगलिहार डैम को गाद निकालने के बाद फिर से खोला जा सकता है। लेकिन इस घटना ने सिंधु जल समझौते और पानी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की संभावनाओं पर बहस जरूर छेड़ दी है।