इज़रायल-ईरान युद्ध का भारत पर गहरा असर: क्रूड ऑयल से लेकर बासमती निर्यात तक प्रभावित, महंगाई बढ़ने का खतरा
इज़रायल-ईरान युद्ध अगर लंबा खिंचा तो भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से महंगाई बढ़ेगी, जबकि बासमती चावल, चीनी, चाय के निर्यात और इज़रायल से सैन्य आयात पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

इज़रायल और ईरान के बीच शुरू हुआ संघर्ष अगर लंबा खिंचता है, तो इसका असर केवल मध्य पूर्व तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भारत, एशिया और दुनिया के कई अन्य देश भी इससे बुरी तरह प्रभावित होंगे। इस टकराव की सबसे बड़ी वजह क्रूड ऑयल (कच्चे तेल) की कीमतों में संभावित वृद्धि है, जिससे वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। कच्चे तेल के अलावा, भारत के लिए बासमती चावल, चीनी, कॉफी और चाय का निर्यात भी बुरी तरह प्रभावित हो सकता है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा।
भारत के निर्यात पर दोहरी मार
आर्थिक विशेषज्ञों जैसे डॉ. दीपांशु गोयल, डॉ. राजीव सिंह, वेद जैन और पेट्रोलियम मामलों के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा के मुताबिक, अगर युद्ध लंबा खिंचा या दोनों देशों को ज्यादा नुकसान हुआ, तो जाहिर है कि भारत के निर्यातकों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा।
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बासमती चावल: ईरान भारतीय बासमती चावल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से ही भारतीय निर्यातकों को ईरान के आयातकों से समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है, जिससे पहले ही बासमती निर्यात प्रभावित हुआ है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 में भारत का कुल बासमती निर्यात ₹354 करोड़ था, जिसमें से ईरान को 23% यानी ₹81 करोड़ का बासमती निर्यात किया जाता था। अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण वित्त वर्ष 2024-25 में यह घटकर ₹75 करोड़ हो गया है। युद्ध जारी रहने पर इसमें और कितनी कमी आएगी, इसका आकलन ईरान को होने वाले नुकसान पर ही किया जा सकता है। निजी क्षेत्र को निर्यात के भुगतान में चार से आठ माह की देरी हो रही है, जबकि सरकारी प्राधिकार भी तीन से छह माह में भुगतान कर रहे हैं। युद्ध के जारी रहने पर भुगतान में देरी की अवधि का इजाफा होना तय है। भारतीय निर्यातकों की मानें तो ईरान से भुगतान आमतौर पर दुबई या अन्य तीसरे पक्ष के माध्यम से हो रहा है, जिससे प्रक्रिया जटिल हो गई है और समय लग रहा है।
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अन्य कृषि उत्पाद: बासमती चावल के अलावा, भारत को चीन, कॉफी और चाय के निर्यात पर भी नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है।
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इजरायल से व्यापार: वहीं, इजरायल को हीरे, आभूषण, अभियांत्रिक और इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति करने में बाधा भी भारतीय व्यापार को प्रभावित करेगी।
सैन्य आयात पर भी असर
इसके अलावा, भारत को इजरायल से सैन्य हथियार आयात करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इजरायल भारत का एक महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार है और पिछले 10 वर्षों में दोनों देशों के बीच रक्षा व्यापार में 33 गुना वृद्धि हुई है।
कच्चे तेल की कीमतें और महंगाई का खतरा
विशेषज्ञों के मुताबिक, इजरायल के हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतें 12 प्रतिशत बढ़कर 78.5 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गई थीं, हालांकि बाद में यह 75 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गईं, क्योंकि खबर आई कि इजरायल ने ईरान के तेल के ठिकानों पर हमला नहीं किया, बल्कि केवल परमाणु ठिकानों पर हमला किया था।
लेकिन इजरायली हमलों से यह डर है कि ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण रास्ता है जिससे दुनिया का लगभग 20 प्रतिशत तेल गुजरता है। अगर ईरान ऐसा करता है, तो जहाजों से सामान भेजने और बीमा कराने का खर्च बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। इसका सीधा असर भारत पर भी दिखाई देगा, जहाँ पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं। साथ ही, दूसरे देशों से भारत आने वाले अन्य सामानों की कीमत पर भी असर दिखाई दे सकता है, जिससे आम आदमी के लिए महंगाई एक बड़ी चुनौती बन जाएगी।
हरियाणा-पंजाब के किसानों पर असर
हरियाणा-पंजाब में बासमती उगाने वाले किसानों, व्यापारियों और निर्यातकों के लिए इजरायल-ईरान युद्ध एक बड़ी चिंता है, जिसके जारी रहने पर उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
भारत-इजरायल द्विपक्षीय व्यापार
भारत और इजरायल के बीच मजबूत द्विपक्षीय व्यापार है।
- भारत इजरायल को निर्यात करता है: हीरे, डीजल, विमानन टरबाइन ईंधन, रडार उपकरण, चावल और गेहूं।
- भारत इजरायल से आयात करता है: अंतरिक्ष उपकरण, पोटेशियम क्लोराइड, मैकेनिकल एप्लायंस, प्रिंटेड सर्किट और बड़ी मात्रा में सैन्य हथियार।
भारतीय नागरिक और वैश्विक चिंता
गौरतलब है कि भारत के 1958 से ईरान के साथ राजनयिक संबंध हैं। ईरान में करीब चार हजार भारतीय रहते हैं, जिनमें ज्यादातर छात्र या कारोबारी हैं। ये तेहरान के अलावा बिरिजंद, जाबोल, मशहद में भी रहते हैं। इजरायल में भी लगभग 18 से 20 हजार भारतीय नौकरी करते हैं, जो कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, लगभग 1000 भारतीय छात्र भी वहाँ रहते हैं।
दुनियाभर के देशों ने इस हमले के बाद संभावित वैश्विक अस्थिरता की चेतावनी दी है और कहा है कि इस क्षेत्रीय अस्थिरता से अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, वित्तीय बाजारों और विशेषकर तेल की कीमतों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। यह संकट वैश्विक कूटनीति के लिए एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत कर रहा है।