लखीमपुर खीरी में कुदरत का कहर: आंधी ने ली पिता-पुत्री समेत तीन की जान, चारों तरफ तबाही

लखीमपुर खीरी में आंधी ने मचाई तबाही, पिता-पुत्री समेत तीन की मौत, सैकड़ों पेड़ गिरे, रेल और सड़क यातायात बाधित, बिजली गुल।

लखीमपुर खीरी में कुदरत का कहर: आंधी ने ली पिता-पुत्री समेत तीन की जान, चारों तरफ तबाही

लखीमपुर खीरी: बुधवार की सुबह लखीमपुर खीरी जिले के लिए एक दुखद खबर लेकर आई। अचानक आए तेज आंधी-तूफान ने जिले में भारी तबाही मचाई, जिसके कारण अलग-अलग हादसों में एक बुजुर्ग महिला और एक पिता-पुत्री समेत तीन लोगों की जान चली गई। कुदरत के इस प्रकोप से जिलेभर में सैकड़ों पेड़ धराशायी हो गए, जिससे सड़क और रेल यातायात बुरी तरह से बाधित हो गया, वहीं विद्युत पोल गिरने से पूरे इलाके की बिजली गुल हो गई।

जिले के निघासन क्षेत्र में आंधी ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया। यहां दो अलग-अलग घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। मझगईं और पलिया क्षेत्र में भी सड़कों पर पेड़ गिरने से रास्ते अवरुद्ध हो गए, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

मझगईं थाना क्षेत्र के गांव छेदुई पतिया फार्म में रहने वाले रक्षपाल सिंह (45) बुधवार सुबह अपने परिवार के साथ घर में ईंटों की दीवार पर पड़े छप्पर के नीचे सो रहे थे। सुबह अचानक आई तेज आंधी में दीवार के साथ छप्पर गिर गया, जिसके नीचे रक्षपाल सिंह, उनकी पत्नी सर्वजीत कौर (40), दूसरी पत्नी सीता कौर (38), 13 वर्षीय पुत्र गुरजीत और 10 वर्षीय पुत्री रमनदीप दब गए। पड़ोसियों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया और उन्हें मलबे से बाहर निकाला, लेकिन तब तक उनकी 10 वर्षीय बेटी रमनदीप की मौत हो चुकी थी। गंभीर रूप से घायल रक्षपाल सिंह को जिला अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में उन्होंने भी दम तोड़ दिया। अन्य तीनों घायलों का निघासन सीएचसी में इलाज चल रहा है।

इसी तरह, निघासन क्षेत्र के गांव ग्रंट नेंबर 12 में 80 वर्षीय फुलवासा अपने घर में दीवार के सहारे पड़ी टीनशेड के नीचे सो रही थीं। सुबह करीब 6:30 बजे आई तेज आंधी से टीनशेड और उस पर रखी ईंटें वृद्धा पर गिर गईं, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं। परिजन उन्हें आनन-फानन में फूलबेहड़ सीएचसी ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सीएचसी अधीक्षक कमलेश नारायण ने बताया कि महिला की मौत सिर में गंभीर चोट लगने के कारण हुई है।

पलिया क्षेत्र में भी आंधी ने भारी तबाही मचाई। कई जगहों पर विशाल पेड़ गिर गए, जिससे पलिया-भीरा मुख्य मार्ग पूरी तरह से बाधित हो गया। इस मार्ग पर करीब दस जगहों पर पेड़ गिरने से यातायात ठप हो गया। वन विभाग और स्थानीय ग्रामीणों की मदद से दोपहर बाद तक पेड़ों को काटकर रास्ता खोलने का काम जारी रहा। इलाके में बारिश और ओलावृष्टि ने भी लोगों की मुश्किलें बढ़ा दीं।

आंधी के कारण कई घरों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। मेलाघाट में संकटा प्रसाद, संदेश कुमार, आदेश कुमार, रामदेव, धीरज कुमार और शिशुपाल के घरों पर वर्षों पुराने पेड़ गिर गए, जिससे घरों के अंदर का लिंटर तक चटक गया। हालांकि, गनीमत यह रही कि इन हादसों में कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन ग्रामीणों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। अतरिया गांव में एक पुराना पेड़ गिरने से दिनेश कश्यप, दुलारे कश्यप और हजारी कश्यप आदि की एक गाय और एक बछिया की मौत हो गई, साथ ही उनके घरों को भी क्षति पहुंची है। पलिया कोतवाली में खड़ी स्टाफ की गाड़ियों पर भी पेड़ गिर गए, जिससे कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं।

मझगईं क्षेत्र में भी बुधवार सुबह आए तूफान ने जमकर कहर बरपाया। लोगों के घरों पर पड़ी टीनशेड और छप्पर उड़ गए, वहीं पेड़ गिरने से कई लोग घायल हो गए। सबसे अधिक नुकसान मझगईं, नौगवां, बेला, कोठिया, त्रिलोकपुर और बल्लीपुर में हुआ है। दीवार और पेड़ गिरने से वनघुसरी निवासी मंजीत कुमार की 35 वर्षीय पत्नी रेनू देवी, इमलिया निवासी मेवालाल की 15 वर्षीय पुत्री सोनिका, बेला कलां के 50 वर्षीय कैसर निशा और उनके 55 वर्षीय पति लियाकत भी घायल हुए हैं।

पलियाकलां में आंधी-तूफान से पूरे शहर की बिजली व्यवस्था चरमरा गई है। ग्रामीण क्षेत्रों का हाल तो और भी बुरा है। पलिया शहरी क्षेत्र में करीब 35 बिजली के खंभे गिर गए हैं, जिन्हें ठीक करने के लिए विद्युत निगम के कर्मचारी युद्ध स्तर पर जुटे हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि विद्युत आपूर्ति देर रात या फिर गुरुवार तक बहाल होने की संभावना है।

आंधी के कारण रेलवे ट्रैक पर भी कई जगह विशाल पेड़ गिर गए, जिसके चलते पलिया से मैलानी और मैलानी से नानपारा के बीच ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद रहा। पलिया रेलवे स्टेशन के पास ही एक बड़ा पेड़ गिर गया, जिसे काटने के लिए रेल कर्मियों के साथ-साथ अन्य लोग भी जुटे रहे। इसके अलावा रेलवे लाइन पर शारदा पुल के आगे भी करीब चार छोटे-बड़े पेड़ गिर गए, जिसके कारण पलिया-मैलानी और नानपारा-मैलानी की ट्रेनों को फिलहाल के लिए निरस्त कर दिया गया है। निघासन क्षेत्र के गंगाबेहड़, बोधिया, बम्हनपुर, बनघुसरी, मुर्गहा, दौलतपुर, खैरहना, धर्मापुर, मुन्नापुरवा, भदुरैहिया, सिसवारा, धोबीपुरवा, सलीमाबाद, हक्कलपुरवा, लोखेंदरपुर और रकेहटी समेत दर्जनों गांव आंधी की चपेट में आए। सैकड़ों घरों के छप्पर उड़ गए या दीवारें गिर गईं, और कई मवेशियों की भी मौत हो गई।

प्रशासन ने तत्काल राहत प्रक्रिया शुरू कर दी है। घटनास्थल पर पहुंचे एसडीएम निघासन राजीव निगम और मझगई थाना प्रभारी राजू राव ने नुकसान का जायजा लिया। एसडीएम ने बताया कि क्षेत्रीय लेखपाल को सर्वे के लिए भेज दिया गया है और पीड़ित परिवारों को तत्काल राहत सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है, साथ ही शासन स्तर से आर्थिक सहायता दिलाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

विद्युत संविदा कर्मचारियों की हड़ताल के चलते पहले से ही चरमराई जनपद की बिजली व्यवस्था आंधी के कारण और भी चौपट हो गई है। कई जगह बिजली लाइन पर पेड़ गिरने से आपूर्ति ठप हो गई है। विभाग के पास कर्मचारियों की कमी के कारण दो घंटे का काम 10-10 घंटे में हो रहा है, जिससे बिजली न मिलने से उपभोक्ता बेहाल हैं। निघासन डिवीजन के एक्सईएन रवींद्र कुमार यादव ने बताया कि हड़ताल के चलते संकट गहरा गया है। सीमित टीजीटू कर्मियों को उपकेंद्र संचालन में लगाया गया है और आपूर्ति बहाल करने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि देर शाम तक स्थिति सामान्य हो जाएगी।