वाराणसी:शिव प्रसाद गुप्त जिला मंडली चिकित्सालय बना दलालों का अड्डा, सरकार के दावों की उड़ रही धज्जियां
वाराणसी के जिला मंडली चिकित्सालय कबीर चौरा में दलाली अपने चरम पर है। डॉक्टरों और स्टाफ की मिलीभगत से आम मरीजों का शोषण हो रहा है, जिससे योगी सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

वाराणसी, उत्तर प्रदेश — राज्य सरकार जहाँ एक ओर स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं ज़मीनी सच्चाई इससे ठीक उलट है। वाराणसी स्थित श्री शिव प्रसाद जिला मंडली चिकित्सालय कबीर चौरा दलालों का अड्डा बनता जा रहा है। यहाँ डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ की मिलीभगत से दलाली का ऐसा नेटवर्क खड़ा हो गया है जो न केवल गरीब मरीजों को लूट रहा है, बल्कि पूरे सरकारी तंत्र की पोल भी खोल रहा है।
अस्पताल में दलाली का नेटवर्क
सूत्रों के अनुसार, अस्पताल के गेट से लेकर वार्डों तक ऐसे लोगों की भरमार है जो मरीजों और उनके परिजनों को बहला-फुसलाकर निजी लैब, प्राइवेट क्लिनिक, और मेडिकल स्टोर्स तक भेजते हैं। बदले में इन्हें कमीशन दिया जाता है। यह पूरा तंत्र सुनियोजित तरीके से काम कर रहा है और अस्पताल प्रबंधन की या तो इसमें मिलीभगत है या फिर वह जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है।
डॉक्टर और स्टाफ पर लगे गंभीर आरोप
स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ डॉक्टरों और वार्ड स्टाफ की सक्रिय भागीदारी से यह दलाली फल-फूल रही है। मरीजों को सरकारी सुविधाएं न देकर निजी व्यवस्था की ओर धकेला जा रहा है। कहा जा रहा है कि अगर कोई मरीज सरकारी दवाएं मांगता है तो बहाने बनाकर उसे बाहर की दवाएं खरीदने को मजबूर किया जाता है।
मरीजों की व्यथा
70 वर्षीय रामनिवास, जो इलाज के लिए सुल्तानपुर से आए हैं, बताते हैं, “डॉक्टर ने कहा कि बाहर से टेस्ट करवा लो। अस्पताल की मशीन खराब है। बाद में पता चला कि मशीन बिल्कुल ठीक है, लेकिन बाहर भेजने के पीछे दलालों का खेल है।” ऐसी कहानियाँ यहां आम होती जा रही हैं।
योगी सरकार की साख पर असर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार और दलाली के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति का दावा करती है। ऐसे में वाराणसी जैसे वीआईपी शहर में इस तरह की गतिविधियाँ सरकार की साख पर बड़ा सवाल उठाती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में अगर स्वास्थ्य सेवाओं की यह स्थिति है, तो बाकी जिलों की हालत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
निगरानी और जवाबदेही की कमी
अस्पताल प्रबंधन पर निगरानी की घोर कमी साफ़ नजर आती है। सीएमओ और जिला प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई कड़ी कार्रवाई अब तक नहीं की गई है। यह लापरवाही दलालों के हौसले और बढ़ा रही है।
मीडिया की भूमिका
स्थानीय मीडिया द्वारा समय-समय पर इस मुद्दे को उठाया गया है, लेकिन अभी तक न तो सरकार ने कोई ठोस कदम उठाया है और न ही प्रशासन ने कोई विस्तृत जांच की है। यदि समय रहते इस समस्या पर लगाम नहीं लगाई गई, तो सरकारी अस्पतालों में आम जनता का भरोसा पूरी तरह खत्म हो सकता है।
जनता की मांग
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग है कि:
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अस्पताल परिसर से दलालों को तुरंत हटाया जाए।
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दोषी डॉक्टरों और स्टाफ पर सख्त कार्रवाई हो।
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सीसीटीवी निगरानी को अनिवार्य किया जाए।
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एक स्वतंत्र जांच कमेटी गठित की जाए।
निष्कर्ष
जिला मंडली चिकित्सालय, कबीर चौरा में चल रही दलाली व्यवस्था सरकार की स्वास्थ्य नीतियों के दावों की सच्चाई उजागर करती है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को खोखला करेगा, बल्कि जनता और सरकार के बीच की विश्वास की डोर को भी कमजोर करेगा। अब देखना यह है कि क्या योगी सरकार इस गम्भीर मुद्दे पर कोई सख्त कदम उठाती है या फिर यह भी एक और ‘अनदेखा’ मामला बनकर रह जाएगा।