???????? बहावलपुर और कोटली... 'ऑपरेशन सिंदूर' से पहले क्यों टल गए थे बालाकोट एयरस्ट्राइक के ये टारगेट?

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। जानिए क्यों बालाकोट एयरस्ट्राइक में बहावलपुर और कोटली जैसे टारगेट्स को छोड़ा गया था।

???????? बहावलपुर और कोटली... 'ऑपरेशन सिंदूर' से पहले क्यों टल गए थे बालाकोट एयरस्ट्राइक के ये टारगेट?

ऑपरेशन सिंदूर: जब भारत ने फिर दिखाया सर्जिकल प्रिसिजन

पुलवामा की तरह एक और बड़े आतंकी हमले के बाद भारत ने एक बार फिर निर्णायक कार्रवाई की। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें कई पर्यटक भी शामिल थे। जवाब में भारतीय सेना और वायु सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया।

इन हमलों में खास बात यह रही कि बहावलपुर और कोटली जैसे टारगेट को शामिल किया गया — वे ही ठिकाने जिन्हें बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019) के समय रणनीतिक कारणों से छोड़ दिया गया था।


बालाकोट में क्यों नहीं किए गए थे ये हमले?

1. बहावलपुर: जैश-ए-मोहम्मद का गढ़

बहावलपुर, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है और यहां जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद जब भारत ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक की योजना बनाई थी, तब बहावलपुर को सबसे पहले प्राथमिकता दी गई थी। लेकिन:

  • यह जगह घनी आबादी के बीच स्थित है।

  • हमले के दायरे में पाकिस्तानी सेना की यूनिट्स भी आ सकती थीं।

  • हमला अंतरराष्ट्रीय आक्रोश और युद्ध जैसे हालात पैदा कर सकता था।

इसलिए उस समय बालाकोट को चुना गया — एक दुर्गम और सैन्य दृष्टि से कम संवेदनशील स्थान

2. कोटली: आतंकी लॉजिस्टिक्स का केंद्र

कोटली पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में है। इसे लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकी संगठनों के लॉजिस्टिक्स और फंडिंग हब के रूप में देखा जाता है। लेकिन यहां हमला करने से:

  • पाकिस्तान के राजनीतिक प्रोपेगेंडा को बल मिलता।

  • PoK में हमले को संप्रभुता के उल्लंघन के रूप में प्रचारित किया जा सकता था।

  • तत्काल युद्ध की आशंका बन सकती थी।

इसलिए भारत ने इन टारगेट्स को रणनीतिक संयम के तहत बालाकोट ऑपरेशन से अलग रखा।


अब क्यों हुए ये हमले?

1. साफ इंटेलिजेंस और ऑपरेशनल तैयारी

2024-25 के दौरान भारत ने आतंकी नेटवर्क्स पर गहन खुफिया जानकारी हासिल की। इससे सेना को बहावलपुर और कोटली जैसे टारगेट्स पर सटीक हमला करने का आत्मविश्वास मिला।

2. प्रधानमंत्री की मंजूरी

पहलगाम हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने सेना को खुली छूट दी। इस बार केवल प्रतीकात्मक कार्रवाई नहीं, वास्तविक नुकसान पहुंचाना उद्देश्य था

3. अंतरराष्ट्रीय समर्थन

भारत ने पहले ही राजनयिक स्तर पर पाकिस्तान को घेर लिया था। ऐसे में जवाबी कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी समर्थन मिला।


किन ठिकानों पर हुई कार्रवाई?

पाकिस्तान द्वारा पुष्टि किए गए तीन प्रमुख ठिकाने:

  • बहावलपुर – जैश-ए-मोहम्मद का बेस

  • कोटली – लश्कर-ए-तैयबा का लॉजिस्टिक सेंटर

  • मुजफ्फराबाद – जमात-उद-दावा का ट्रेनिंग कैम्प

अन्य छः ठिकानों के बारे में भारत ने विवरण साझा नहीं किया, लेकिन सूत्रों के अनुसार इनमें शामिल हैं:

  • मुरीदके – हाफिज सईद का गढ़

  • मानसेहरा, बग्घर, और अन्य सीमा क्षेत्रों में आतंकी लॉन्च पैड्स


ऑपरेशन की खास बातें

  • किसी भी पाकिस्तानी सेना या सरकारी ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया।

  • सभी ऑपरेशन रात के अंधेरे में, बिना सिविलियन हानि के संपन्न किए गए।

  • हमले में स्पाइस-2000 जैसी प्रिसिजन गाइडेड बमों का प्रयोग हुआ।

  • पाकिस्तान ने केवल 3 हमलों की पुष्टि की — बाकी की जानकारी को मीडिया से रोका गया।


रणनीतिक संदेश क्या था?

  • भारत अब केवल स्ट्राइक की धमकी नहीं, सटीक जवाब दे रहा है।

  • PoK और पंजाब में आतंक का कोई भी ठिकाना अब सुरक्षित नहीं है।

  • पाकिस्तान को रणनीतिक और राजनीतिक रूप से अलग-थलग करने का प्रयास सफल हो रहा है।