जाति जनगणना के दो मॉडल… राहुल गांधी ने तेलंगाना वाले को क्यों बताया खास?

देश में आजादी के बाद पहली बार केंद्र सरकार ने सभी जातियों की गिनती कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। केंद्र के इस निर्णय का कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने न केवल स्वागत किया, बल्कि इसके लिए कांग्रेस की लंबे समय से चली आ रही मांग को इसका मूल कारण बताया। हालांकि सबसे दिलचस्प बात यह रही कि राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना के लिए तेलंगाना मॉडल को आदर्श बताया और इसे बिहार मॉडल से बेहतर ठहराया।
■ दो मॉडल: बिहार बनाम तेलंगाना
राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर देश के सामने दो मॉडल हैं—बिहार और तेलंगाना। बिहार पहला राज्य था जिसने वर्ष 2022 में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसके आधार पर महागठबंधन सरकार ने आरक्षण का दायरा बढ़ाया, लेकिन कानूनी चुनौतियों के चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।
वहीं, तेलंगाना में 2023 में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद फरवरी 2024 में घर-घर जाकर सामाजिक-आर्थिक और जातिगत सर्वेक्षण कराया गया। इसमें 57 सवालों वाली एक प्रश्नावली के जरिए 1.12 करोड़ घरों से 3.54 करोड़ लोगों की जानकारी जुटाई गई। इस प्रक्रिया में कुल 94,261 कर्मियों ने भाग लिया और हर एक ने लगभग 150 घरों का सर्वे किया।
■ तेलंगाना मॉडल क्यों खास?
राहुल गांधी ने तेलंगाना मॉडल की विशेषताएं गिनाते हुए कहा कि यह प्रक्रिया जनता की भागीदारी और जमीनी सर्वेक्षण पर आधारित थी, जबकि इसे नौकरशाही द्वारा थोपे गए तरीके से नहीं चलाया गया।
इस मॉडल में जाति के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षिक स्थिति के आंकड़े भी जुटाए गए। जैसे कि:
-
आय, रोजगार, शिक्षा, वोटर कार्ड, आधार संख्या
-
जाति व्यवसाय, स्वास्थ्य संबंधी जानकारी
-
जमीन स्वामित्व, बैंक खाता, राजनीतिक पृष्ठभूमि
-
सरकारी योजना और आरक्षण से मिले लाभ
यह व्यापक दृष्टिकोण न केवल जाति आधारित नीतियों की समीक्षा करने में मदद करेगा, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में नए रास्ते भी खोलेगा।
■ उपवर्गीकरण और आरक्षण का नया आधार
तेलंगाना सरकार ने जातिगत आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जातियों को तीन उप-वर्गों में बांटा। 15% आरक्षण में एक उपवर्ग को 1%, दूसरे को 9%, और तीसरे को 5% आरक्षण देने का निर्णय लिया गया।
इसी तरह ओबीसी को पांच उप-वर्गों में बांटकर आरक्षण बढ़ाया गया।
-
ओबीसी आरक्षण को 23% से बढ़ाकर 42% कर दिया गया
-
कुल आरक्षण बढ़कर 72% हो गया (10% ईडब्ल्यूएस सहित)
अब तक इस बढ़े हुए आरक्षण को किसी न्यायिक चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा है।
■ कांग्रेस का अगला एजेंडा
राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना के साथ-साथ 50% आरक्षण की सीमा खत्म करने की भी मांग की है। कांग्रेस का मानना है कि जब तक जातीय और सामाजिक आंकड़ों के आधार पर योजनाएं नहीं बनाई जाएंगी, तब तक हाशिए के समुदायों को न्याय नहीं मिलेगा।
■ निष्कर्ष
तेलंगाना का जातिगत सर्वेक्षण मॉडल मात्र एक जनगणना नहीं, बल्कि सामाजिक नीति निर्माण की नींव है। यह मॉडल केवल जातियों की गिनती नहीं करता, बल्कि उनकी सामाजिक-आर्थिक हकीकत को भी सामने लाता है। इसी कारण राहुल गांधी ने इसे ‘आदर्श मॉडल’ बताया और इसे पूरे देश में लागू करने की जरूरत बताई।
What's Your Reaction?






