'वारफेयर का उस्ताद', AK-47 का शौकीन, इंजीनियर नक्सली बसवराजू ढेर, सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी

सुरक्षाबलों ने अबूझमाड़ में बड़ी कार्रवाई करते हुए 1.5 करोड़ के इनामी, इंजीनियर और वारफेयर एक्सपर्ट नक्सली बसवराजू को मार गिराया। 27 नक्सली ढेर।

'वारफेयर का उस्ताद', AK-47 का शौकीन, इंजीनियर नक्सली बसवराजू ढेर, सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी

नक्सलियों और माओवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे सघन अभियान में बुधवार को सुरक्षाबलों को उस वक्त एक बड़ी सफलता मिली, जब उन्होंने एक खूंखार नक्सली कमांडर को मार गिराया। नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके में जारी मुठभेड़ में अब तक 27 नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है, लेकिन इन सबके बीच एक नाम ऐसा था, जिसके नाम से पूरा क्षेत्र कांपता था - 'नंवबल्ला केशव राव उर्फ बसवराजू'।

बसवराजू सिर्फ एक नक्सली नहीं, बल्कि एक इंजीनियर, AK-47 राइफल का शौकीन और वारफेयर यानी युद्धकला का माहिर था। उसकी युद्धनीति इतनी खतरनाक होती थी कि कई बार सुरक्षाबल भी उसके बिछाए जाल में फंस जाते थे। यही कारण था कि सरकार ने उस पर 1.5 करोड़ रुपये का भारी इनाम घोषित कर रखा था।

बसवराजू को कई नामों से जाना जाता था - नंवबल्ला केशव राव, गनगन्ना, विजय, दरपू नरसिम्हा रेड्डी, नरसिम्हा, प्रकाश और कृष्णा, लेकिन उसका असली नाम नंवबल्ला केशव राव था। वह पिछले 35 सालों से माओवादी संगठन की केंद्रीय कमेटी का एक महत्वपूर्ण सदस्य था। आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले का रहने वाला यह 70 वर्षीय नक्सली, अपने संगठन में गहरी पैठ और खौफनाक रणनीतियों के लिए कुख्यात था। उसके पिता का नाम वासुदेवा राव था।

2018 में बना CPI माओवादी का महासचिव:

बसवराजू नवंबर 2018 में सीपीआई माओवादी का महासचिव बना और छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहा था। इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री हासिल करने के कारण, वह नक्सलियों के लिए बम बनाने और गुरिल्ला युद्ध की रणनीति तैयार करने में अद्वितीय क्षमता रखता था। वह संगठन के लिए घातक विस्फोटक और आधुनिक हथियार डिजाइन करने का विशेषज्ञ माना जाता था।

लिट्टे से ली थी ट्रेनिंग:

बसवराजू की खतरनाक युद्धकला का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने श्रीलंका के कुख्यात तमिल संगठन लिट्टे (LTTE) से गुरिल्ला युद्ध और विस्फोटकों का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इस ट्रेनिंग ने उसे नक्सली गतिविधियों में और भी घातक बना दिया था। वह हमेशा अपने पास अत्याधुनिक AK-47 राइफल रखता था और इस हथियार का शौकीन माना जाता था। संगठन में 24 सालों तक पोलित ब्यूरो सदस्य के तौर पर काम करने के साथ-साथ, उसने पार्टी के केंद्रीय सैन्य आयोग के प्रभारी के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

55 साल पहले छोड़ा था घर:

जानकारी के अनुसार, बसवराजू ने साल 1970 में ही अपना घर त्याग दिया था और पूरी तरह से नक्सली आंदोलन में शामिल हो गया था। वारफेयर में उसकी महारत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गणपति के बाद 2018 में उसे संगठन के महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अपने लंबे कार्यकाल में उसने ज्यादातर समय सैन्य कमान संभाली और संगठन में वह आक्रामक हमलों की योजना बनाने और उन्हें सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए ही जाना जाता था। उसकी रणनीतिक क्षमता का ही नतीजा था कि कई ऐसे हमले हुए, जिनकी सुरक्षाबलों को भनक तक नहीं लग पाई थी। 2019 में गढ़चिरौली जिले में हुआ वह भयावह हमला आज भी याद किया जाता है, जिसमें महाराष्ट्र पुलिस के 15 कमांडो शहीद हो गए थे और एक अन्य व्यक्ति की भी जान चली गई थी।

इन बड़े हमलों की प्लानिंग में था बसवराजू का हाथ:

  • 2010 दंतेवाड़ा हमला: 6 अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के चिंतलनार गांव के पास हुए इस घात लगाकर किए गए हमले में 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे। माना जाता है कि इस हमले की खतरनाक प्लानिंग भी बसवराजू ने ही तैयार की थी।
  • 2013 झीरम घाटी हमला: 25 मई 2013 को बस्तर जिले के दरभा इलाके की झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हुए नक्सली हमले में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल समेत 29 लोगों की जान चली गई थी। इस नरसंहार के पीछे भी बसवराजू की ही रणनीति बताई जाती है।
  • 2018 अराकू हमला: आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम जिले में नक्सलियों ने अराकू विधानसभा सीट से विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक एस सोमा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस दुस्साहसिक वारदात को विशाखापटनम से 125 किलोमीटर दूर डुंब्रीगुडा मंडल के थुटांगी गांव में अंजाम दिया गया था।
  • 2019 गढ़चिरौली हमला: 3 मई 2019 को घात लगाकर बैठे 100 से ज्यादा नक्सलियों ने गढ़चिरौली में हमला कर 15 QRT जवानों को शहीद कर दिया था। इस हमले की बर्बर प्लानिंग भी बसवराजू की ही मानी जाती है।

बसवराजू का मारा जाना नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान में एक बहुत बड़ी सफलता है। सुरक्षाबलों को उम्मीद है कि इस कुख्यात कमांडर के खात्मे से नक्सली संगठन को गहरा झटका लगेगा और उनके हौसले पस्त होंगे। अबूझमाड़ में अभी भी मुठभेड़ जारी है और माना जा रहा है कि सुरक्षाबल इलाके में नक्सलियों के सफाए के लिए और भी कड़ी कार्रवाई करेंगे।