वाराणसी: दालमंडी चौड़ीकरण प्रस्ताव के खिलाफ स्थानीय मकान मालिकों और दुकानदारों का तीखा विरोध
वाराणसी के दालमंडी चौड़ीकरण प्रस्ताव का स्थानीय दुकानदारों और मकान मालिकों ने किया तीव्र विरोध। व्यापार और आजीविका पर मंडरा रहे संकट के बीच वैकल्पिक मार्ग को अपनाने की मांग।

वाराणसी। काशी का ऐतिहासिक बाज़ार दालमंडी इन दिनों चौड़ीकरण के एक प्रस्ताव को लेकर विवाद का केंद्र बना हुआ है। इस प्रस्ताव के विरोध में दालमंडी गली के मकान मालिकों और दुकानदारों ने अपनी एकजुटता दिखाते हुए तीव्र आपत्ति जताई है।
पिछले पाँच से छह महीनों से मीडिया और सोशल मीडिया में चल रही खबरों ने दालमंडी के व्यापारियों और स्थानीय निवासियों के बीच गहरी चिंता पैदा कर दी है। वर्षों से यहां रहकर अपना व्यापार चला रहे दुकानदारों का कहना है कि इस प्रस्ताव के कारण पूरे इलाके में अनिश्चितता का माहौल बन गया है। व्यापारी एक-दूसरे को माल देने से कतराने लगे हैं और आसपास के क्षेत्रों से खरीददारों का आना भी कम हो गया है, जिससे व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
दालमंडी को पूर्वांचल का सबसे बड़ा खुदरा केंद्र माना जाता है, जहां लगभग 10,000 दुकानें हैं और हर दुकान में औसतन 4 से 5 लोग कार्यरत हैं। ऐसे में यह क्षेत्र लगभग 50,000 परिवारों की आजीविका का केंद्र है। चौड़ीकरण के नाम पर यदि दुकानों और मकानों को हटाया जाता है, तो न केवल इन हजारों परिवारों की रोज़ी-रोटी प्रभावित होगी बल्कि वाराणसी की सांस्कृतिक और व्यापारिक विरासत को भी नुकसान पहुँचेगा।
प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि चौड़ीकरण का एक वैकल्पिक मार्ग पहले से प्रस्तावित था, जो सनातन धर्म इंटर कॉलेज से शुरू होकर दशाश्वमेध थाना, सोनार मंडी होते हुए काशी विश्वनाथ धाम तक जाता है। इस मार्ग पर दुकानों की संख्या बेहद कम है (लगभग 50) और सिर्फ एक मस्जिद स्थित है। इसके विपरीत, दालमंडी मार्ग पर तीन सौ से अधिक मकान और चार मस्जिदें हैं, जिससे इस क्षेत्र का चौड़ीकरण कहीं अधिक विवादास्पद और महंगा साबित हो सकता है।
स्थानीय लोगों की मांग है कि पूर्व में प्रस्तावित सनातन धर्म इंटर कॉलेज मार्ग को ही चौड़ीकरण के लिए स्वीकृति दी जाए, जिससे सरकार का खर्च भी कम हो और दालमंडी जैसे प्राचीन बाजार की पहचान और रोजगार संरचना भी सुरक्षित रह सके।