Agra : 20 साल बाद न्याय, पसंदीदा उम्मीदवार को वोट न देने पर हत्या, 6 को उम्रकैद
आगरा की अदालत ने 20 साल पुराने एक मामले में 6 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इन लोगों ने अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट न देने पर धर्मपाल नाम के व्यक्ति की हत्या कर दी थी।

आगरा की एक अदालत ने 2005 के एक दिल दहला देने वाले मामले में करीब 20 साल बाद अपना फैसला सुनाया है। अदालत ने उन 6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जिन्होंने अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देने से इनकार करने वाले एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी।
क्या था पूरा मामला?
यह घटना आगरा के लाडम मनखेड़ा में पंचायत चुनाव के दौरान हुई थी। 35 वर्षीय धर्मपाल और उनके भाई धर्मवीर को कुछ लोगों ने उनके पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देने के लिए कहा था। जांच के दौरान मृतक के भाई धर्मवीर ने पुलिस को बताया कि उन्होंने उस उम्मीदवार को वोट देने से मना कर दिया था। इसके बाद जितेंद्र सिंह, बबलू सिंह, पवन सिंह, सत्तू सिंह, गिर्राज सिंह, गोविंद सिंह और बलबीर सिंह नाम के 6 लोगों ने मिलकर धर्मपाल पर पहले लाठी से हमला किया और फिर उसे गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। धर्मपाल को एसएन मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
पुलिस ने अगले ही दिन भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 149 और 302 के तहत FIR दर्ज की। आरोपियों को 15 सितंबर 2005 को गिरफ्तार कर लिया गया था।
पुलिस ने बरामद की थी हत्या में प्रयुक्त बंदूक
जांच अधिकारी एनसी गंगावार ने बताया कि उन्होंने बाजरे के खेत से .315 बोर की एक बंदूक और दो गोलियां बरामद की थीं। गंगवार ने कहा कि जांच के दौरान आरोपी बबलू उन्हें उस खेत में ले गया, जहां आरोपियों ने हथियार छुपा रखे थे, और उसने यह भी बताया कि हत्या को कैसे अंजाम दिया गया था।
कोर्ट ने याचिका खारिज की, लगाया जुर्माना
इस मामले में एक आरोपी बलबीर सिंह ने अदालत में नरमी बरतने का अनुरोध करते हुए एक चार्जशीट दाखिल की थी। उसने कहा कि यह उसका पहला अपराध है, उसके दो छोटे बच्चे हैं और वह अपने परिवार में अकेला कमाने वाला है। हालांकि, अदालत ने उसकी यह याचिका खारिज कर दी।
अदालत ने इस केस में करीब 20 साल बाद सजा सुनाई। इस दौरान एक आरोपी सत्तू सिंह की 2006 में मुकदमे के दौरान ही मौत हो गई थी। अदालत ने प्रत्येक दोषी पर ₹28,000 का जुर्माना भी लगाया और चेतावनी दी कि यदि उन्होंने जुर्माना देने में आनाकानी की, तो उन्हें तीन साल की अतिरिक्त जेल होगी। अदालत ने जुर्माने की 70 प्रतिशत राशि धर्मपाल के परिवार को देने का भी आदेश दिया।
इस फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अपराध चाहे कितना भी पुराना हो, न्याय मिलकर रहता है।