IIT BHU News : कमाल का ड्रोन! बिना इंटरनेट भेजेगा संदेश, सफल परीक्षण, सेना को मिलेगी ताकत
IIT BHU ने बनाया अनोखा ड्रोन, बिना इंटरनेट भेजेगा संदेश और विजुअल, सेना के लिए मददगार साबित होगा।

IIT BHU News : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT BHU) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आधुनिक ड्रोन विकसित किया है जो कई मायनों में अद्वितीय है। यह ड्रोन बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी के भी लंबी दूरी तक संदेश और आसपास के दृश्य (विजुअल) रियल टाइम में भेज सकता है। IIT BHU के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग की एक शोध टीम ने इस स्व-संचालित और आत्मनिर्भर ट्रांसमिशन प्रणाली (SSTA) को विकसित करने में सफलता हासिल की है।
यह अनूठी तकनीक ड्रोन का उपयोग करके डेटा को उन दुर्गम क्षेत्रों तक भी पहुंचा सकती है जहां किसी भी प्रकार की पारंपरिक संचार व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। इस आविष्कार से भारतीय सेना को सीमावर्ती और दुर्गम इलाकों में महत्वपूर्ण सूचनाएं भेजने में बड़ी मदद मिलेगी। IIT BHU में इस ड्रोन की कई सफल टेस्टिंग भी की जा चुकी है।
विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हरि प्रभात गुप्ता ने इस महत्वपूर्ण तकनीक को विकसित किया है। इस नवाचार में विशेष रूप से निर्मित उपकरणों और ड्रोन-आधारित रिले नेटवर्क को जोड़ा गया है, जिसने एक विश्वसनीय और लंबी दूरी की संचार व्यवस्था का नया मार्ग खोल दिया है। इस ड्रोन में खाली जगहों पर लाइट ऑटोमैटिक रूप से बुझने की भी क्षमता है, जो प्राकृतिक प्रकाश की उपलब्धता के अनुसार अपनी लाइट व्यवस्था को दुरुस्त कर लेता है।
भविष्य में अंतरिक्ष से पृथ्वी तक संचार संभव:
यह महत्वपूर्ण शोध कार्य टीआईआई-यूएई, आईडीएपीटी हब फाउंडेशन और सर्ब द्वारा समर्थित है। शोध टीम अब इस तकनीक का उपयोग स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, भूमिगत और दुर्गम क्षेत्रों में संचार के साथ-साथ भविष्य में अंतरिक्ष से पृथ्वी तक संचार के क्षेत्र में भी करने की दिशा में काम कर रही है। इस परियोजना का अगला चरण एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) आधारित ऑटोमैटिक ड्रोन पथ अनुकूलन और सुरक्षित संचार के लिए एन्क्रिप्शन स्तरों का एकीकरण करना है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किफायती भी:
डॉ. हरि प्रभात गुप्ता के अनुसार, यह ड्रोन एक गतिशील जाल नेटवर्क बनाता है जो भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेता है। यह प्रणाली विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र, सीमा निगरानी, सीमावर्ती क्षेत्रों में संचार और आपदा प्रबंधन के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हो सकती है। इसका उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा, आपातकालीन बचाव कार्यों और ऑफ-ग्रिड मिशन-आधारित संचालन में भी किया जा सकता है।
बहुमंजिला इमारतें भी होंगी लैस:
संस्थान के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने इस शोध के लिए वित्तीय और संरचनात्मक दोनों तरह का सहयोग प्रदान किया है। उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान अगली उपलब्धि के लिए भी सहयोग कर रहा है, जिसके तहत मौजूदा बहुमंजिला इमारतों को LoRaWAN सक्षम प्रणाली (लॉन्ग रेंज वाइड एरिया नेटवर्क) से लैस किया जाएगा। यह तकनीक इमारतों में भी लंबी दूरी के संचार को सुगम बनाएगी।
IIT BHU के इस आधुनिक ड्रोन का सफल परीक्षण भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण प्रगति है, जो दुर्गम क्षेत्रों में संचार को और अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाएगा।