नाबालिग रेप कांड: जालौन पॉक्सो कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, दोषी को मिली उम्रकैद और भारी जुर्माना
जालौन पॉक्सो कोर्ट का बड़ा फैसला! नाबालिग रेप कांड के दोषी को मिली उम्रकैद और 70 हजार का जुर्माना। पीड़िता को 30 हजार मुआवजा भी मिलेगा। जानें पूरा मामला।

जालौन: उत्तर प्रदेश के जालौन जिले की पॉक्सो अदालत ने एक नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म और अपहरण के मामले में एक सख्त और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश मोहम्मद कमर (HJS) ने दोषी बीरपाल सिंह को उसके घिनौने अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने न सिर्फ उसे आखिरी सांस तक जेल में रहने का आदेश दिया है, बल्कि उस पर 70 हजार रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया है। इसके साथ ही, अदालत ने पीड़िता को मुआवजे के तौर पर 30 हजार रुपये देने का भी महत्वपूर्ण आदेश दिया है। साल 2023 में हुए इस जघन्य अपराध में पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए जांच पूरी की और कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की, जिसके परिणामस्वरूप अदालत ने भी त्वरित सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है।
क्या था पूरा मामला?
यह शर्मनाक घटना 13-14 जून 2023 की रात को घटी, जब आरोपी बीरपाल सिंह, जो कि कुरेहना गांव (थाना आटा, जिला जालौन) का रहने वाला है, ने एक 16 वर्षीय मासूम लड़की को अपने जाल में फंसाकर उसका अपहरण कर लिया। अगले दिन, 14 जून की सुबह, पीड़िता के पिता ने तुरंत पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने बिना देर किए तेजी से कार्रवाई की और महज दो दिन बाद, 16 जून को लड़की को आरोपी के चंगुल से छुड़ा लिया।
पुलिस द्वारा कराई गई मेडिकल जांच में यह पुष्टि हुई कि पीड़िता गर्भवती है। इसके बाद, पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के तहत अपने बयान में आरोपी द्वारा बार-बार दुष्कर्म किए जाने का सनसनीखेज आरोप लगाया।
आरोपी पर लगे गंभीर आरोप:
मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए, जांच अधिकारी ने आरोपी बीरपाल सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और पॉक्सो एक्ट की धारा 5जे(2)/6 (नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न) के तहत गंभीर आरोप लगाए। पुलिस ने आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस मामले में तेजी दिखाते हुए, 17 अगस्त 2023 को चार्जशीट दाखिल कर दी गई और 28 अगस्त को अदालत ने आरोपी के खिलाफ औपचारिक आरोप तय कर दिए।
अदालत में दमदार पैरवी और सजा का ऐलान:
अदालत में इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष ने पीड़िता को न्याय दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिला शासकीय अधिवक्ता लखनलाल निरंजन के मार्गदर्शन में, विश्वदीप गुर्जर और रणकेंद्र सिंह भदौरिया ने प्रभावी तरीके से पैरवी की। अभियोजन पक्ष ने अदालत के सामने छह महत्वपूर्ण गवाह पेश किए। इन गवाहों के बयानों और पेश किए गए ठोस सबूतों के आधार पर, न्यायालय ने आखिरकार बीरपाल सिंह को नाबालिग के साथ दुष्कर्म और अपहरण का दोषी पाया।
अदालत का सख्त संदेश:
फैसला सुनाते हुए, जज मोहम्मद कमर ने अपने सख्त रुख का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के जघन्य अपराध समाज में डर और असुरक्षा का माहौल पैदा करते हैं। पीड़िता को न्याय दिलाना और समाज को एक कड़ा संदेश देना बेहद जरूरी था, ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी घिनौनी हरकत करने की हिम्मत न कर सके। इसी को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने आरोपी बीरपाल सिंह को उम्रकैद (आजीवन कारावास) की सजा सुनाई और उस पर 70 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अतिरिक्त, अदालत ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माने की राशि में से 30 हजार रुपये पीड़िता को मुआवजे के तौर पर दिए जाएं, ताकि वह इस traumatic अनुभव से उबरने में कुछ हद तक सहायता प्राप्त कर सके।
जालौन पॉक्सो कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ पीड़िता के लिए न्याय की जीत है, बल्कि यह समाज के उन दरिंदों के लिए भी एक कड़ा संदेश है जो मासूमों को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं। यह फैसला दिखाता है कि कानून ऐसे अपराधियों को बख्शने के मूड में नहीं है और उन्हें उनके कर्मों की सख्त सजा मिलेगी।