Pakistan : 'गीदड़भभकी' और 'कंगाली' का डबल गेम, भारत से लड़ने के लिए दुनिया के सामने फैलाया 'कर्ज का कटोरा'!
पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली जगजाहिर! भारत से लड़ने के लिए दुनिया के सामने फैलाया कर्ज का कटोरा। जानें, क्यों भीख मांगने की नौबत आ गई।

पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ
नई दिल्ली: एक तरफ पाकिस्तान भारत को लगातार युद्ध की धमकियां दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ उसकी आर्थिक हालत इतनी खस्ता है कि उसे मामूली संघर्ष के बाद ही दुनिया के सामने हाथ फैलाने की नौबत आ गई है। यह हैरान करने वाला खुलासा तब हुआ जब पाकिस्तान सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से एक ऐसा ट्वीट किया गया, जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। इस ट्वीट में पाकिस्तान ने दुनियाभर के देशों से गुहार लगाई है कि वे उसे कर्ज दें, क्योंकि भारत के साथ जारी तनाव में उसे भारी नुकसान हुआ है!
पाकिस्तान सरकार के आर्थिक मामले के विभाग ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "सरकार ने दुश्मन द्वारा भारी नुकसान के बाद अंतरराष्ट्रीय भागीदारों से और अधिक कर्ज देने की अपील की है। बढ़ते युद्ध और शेयरों में गिरावट के बीच, हम अंतरराष्ट्रीय भागीदारों से तनाव कम करने में मदद करने का आग्रह करते हैं। देशवासियों से दृढ़ रहने का आग्रह।"
यह ट्वीट ऐसे समय में सामने आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव चरम पर है। भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत जवाबी कार्रवाई की है, जिससे पाकिस्तान में बौखलाहट है।
'शेर की खाल में गीदड़': पाकिस्तान का दोहरा रवैया
पाकिस्तान का यह रवैया 'शेर की खाल में गीदड़' जैसा है। एक तरफ वह अपनी जनता को भारत के खिलाफ युद्ध के लिए उकसा रहा है और बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ उसकी आर्थिक स्थिति इतनी नाजुक है कि वह एक छोटे से सैन्य संघर्ष का भी बोझ उठाने में सक्षम नहीं है। कर्ज मांगने की यह अपील उसकी आर्थिक बदहाली और अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर उसकी निर्भरता को साफ तौर पर दर्शाती है।
क्या कर्ज लेकर लड़ेगा पाकिस्तान?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान वास्तव में कर्ज लेकर भारत जैसे शक्तिशाली देश से लड़ने की सोच रहा है? आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति किसी भी बड़े सैन्य संघर्ष को वहन करने लायक नहीं है। देश पहले से ही भारी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसे संस्थानों से बेलआउट पैकेज पर निर्भर है। ऐसे में, नया कर्ज लेना उसकी अर्थव्यवस्था को और भी गहरे संकट में धकेल सकता है।
दुनिया से 'तनाव कम करने' की अपील या 'कर्ज' की गुहार?
पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के विभाग के ट्वीट में एक तरफ 'तनाव कम करने' की अपील की गई है, वहीं दूसरी तरफ 'और अधिक कर्ज' मांगा गया है। यह विरोधाभासी बयान पाकिस्तान की असल मंशा पर सवाल खड़े करता है। क्या वह वास्तव में तनाव कम करना चाहता है या फिर वह इस तनाव का बहाना बनाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आर्थिक मदद ऐंठना चाहता है?
बहरहाल, पाकिस्तान का यह ट्वीट उसकी कमजोर आर्थिक स्थिति और भारत के साथ जारी तनाव के बीच उसके अजीबोगरीब रवैये को उजागर करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या पाकिस्तान कर्ज लेकर अपनी 'गीदड़भभकी' को हकीकत में बदलने की कोशिश करता है।