'मुल्क में संकट आ जाएगा...': सिंधु जल समझौते पर भारत के कदम से पाकिस्तान में हड़कंप, पुनर्विचार की गुहार
सिंधु जल समझौते को ठंडे बस्ते में डालने के भारत के फैसले से पाकिस्तान में चिंता की लहर। शहबाज सरकार ने भारत से पुनर्विचार की अपील की, भावी जल संकट की आशंका जताई।

इस्लामाबाद/नई दिल्ली, बुधवार, 14 मई 2025 – सिंधु जल समझौते को ठंडे बस्ते में डालने के भारत सरकार के अप्रत्याशित फैसले के बाद पाकिस्तान सरकार में हड़कंप मच गया है। संभावित गंभीर जल संकट को भांपते हुए, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने भारत से अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की पुरजोर अपील की है। पाकिस्तान ने चेतावनी दी है कि इस कदम से देश में एक बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है।
पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैय्यद अली मुर्तुजा ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय में सचिव देवश्री मुखर्जी को एक औपचारिक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने भारत से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया है और कहा है कि पाकिस्तान इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है। सूत्रों के अनुसार, स्थापित नियमों के तहत यह पत्र आवश्यक कार्रवाई के लिए भारत के विदेश मंत्रालय को भेज दिया गया है।
हालांकि, सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान की इस गुहार पर भारत सरकार का रुख नरम नजर नहीं आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में स्पष्ट संकेत दिया था कि "खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।" भारत अब सिंधु नदी की तीन सहायक नदियों के पानी का अपने हितों के लिए पूर्ण उपयोग करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है और इस संबंध में तात्कालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
सिंधु जल समझौता: पाकिस्तान की जीवन रेखा:
दरअसल, यह घटनाक्रम हाल ही में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के ठीक अगले दिन सामने आया, जब भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया। इस समझौते को पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और नागरिकों के जीवन के लिए एक जीवन रेखा के रूप में देखा जाता है। पाकिस्तान की लगभग 21 करोड़ से अधिक आबादी अपनी पानी की जरूरतों के लिए सिंधु नदी और उसकी चार प्रमुख सहायक नदियों पर निर्भर है। इसके अतिरिक्त, देश की लगभग 90% कृषि भूमि की सिंचाई भी सिंधु नदी के पानी से ही होती है।
ऐतिहासिक रूप से, भारत ने पाकिस्तान के साथ 1965, 1971 और 1999 के युद्धों के दौरान भी सिंधु जल समझौते को निलंबित नहीं किया था। लेकिन पहलगाम में हुए भयावह हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध से पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी के प्रवाह को रोक दिया है और झेलम नदी पर किशनगंगा परियोजना से भी पानी के बहाव को कम कर दिया है।
पाकिस्तान के लिए सिंधु जल समझौते का निलंबन एक गंभीर चुनौती है, क्योंकि यह देश की कृषि, अर्थव्यवस्था और लाखों लोगों की दैनिक जरूरतों को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत सरकार पाकिस्तान की अपील पर क्या रुख अपनाती है और दोनों देशों के बीच इस संवेदनशील मुद्दे पर आगे क्या बातचीत होती है। इस घटनाक्रम से दोनों पड़ोसी देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में और अधिक जटिलता आने की संभावना है।