वट सावित्री पूजा 2025: बिना बरगद के पेड़ के घर पर वट सावित्री पूजा कैसे करें? यहां जानें सही विधि
वट सावित्री पूजा 2025: बिना बरगद के पेड़ के घर पर वट सावित्री पूजा कैसे करें? यहां जानें सही विधि।

वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाओं के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है, जो इस वर्ष 26 मई 2025 को रखा जाएगा। इस व्रत में वट वृक्ष, यानी बरगद के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट वृक्ष में त्रिदेव - ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। यह वृक्ष दीर्घायु और स्थिरता का प्रतीक है, और सावित्री ने इसी वृक्ष के नीचे अपने पति सत्यवान के जीवन को यमराज से वापस पाया था।
हालांकि, कई बार ऐसा संभव नहीं हो पाता कि पूजा के लिए आसपास बरगद का पेड़ उपलब्ध हो। ऐसे में, यदि आपके घर के पास बरगद का पेड़ नहीं है, तो भी आप वट सावित्री की पूजा विधिपूर्वक कर सकती हैं। यहां कुछ विकल्प दिए गए हैं:
1. बरगद की टहनी का उपयोग:
- यदि संभव हो, तो व्रत से एक दिन पहले किसी से बरगद के पेड़ की एक छोटी टहनी तोड़कर घर ले आएं।
- इस टहनी को गमले में लगाएं और उसे पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- अब इस टहनी को ही वट वृक्ष मानकर विधि-विधान से पूजा करें।
- आप टहनी पर कच्चा सूत बांधकर सात बार परिक्रमा भी कर सकती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है।
2. बरगद की डाली का उपयोग:
- आप ऐसी बरगद की डाली भी ला सकती हैं जिस पर फल लगे हों।
- इस डाली को किसी गमले में लगाएं और व्रत वाले दिन इसे वट वृक्ष मानकर पूजा करें।
3. तुलसी के पौधे के पास पूजा:
- यदि आपको बरगद का पेड़ या उसकी टहनी/डाली भी उपलब्ध न हो, तो आप तुलसी के पौधे के पास बैठकर वट सावित्री की पूजा कर सकती हैं।
- तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। आप तुलसी के पौधे को साक्षी मानकर सभी रस्में निभा सकती हैं।
4. बरगद के पेड़ की तस्वीर:
- आप बाजार से बरगद के पेड़ की तस्वीर लाकर भी पूजा कर सकती हैं।
- तस्वीर को अपने पूजा स्थान पर रखें और उसे वट वृक्ष मानते हुए विधिपूर्वक पूजा करें।
घर पर वट सावित्री पूजा की विधि:
- व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- अपने पूजा स्थान को गोबर, गंगाजल या हल्दी वाले जल से पवित्र करें।
- उस स्थान पर आटे से चौक बनाएं और उस पर कलश स्थापित करें।
- कलश पर लाल या पीला कपड़ा बांधें और उसमें जल, अक्षत और फूल डालें।
- कलश के पास सावित्री, सत्यवान और यमराज की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- यदि आपने बरगद की टहनी या डाली लगाई है, तो उसे भी स्थापित करें।
- देवताओं और वट वृक्ष के प्रतीक को रोली, चंदन, अक्षत, फूल और धूप-दीप अर्पित करें।
- फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष या उसके प्रतीक के चारों ओर सात बार लपेटें।
- वट सावित्री व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
- अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करें।
- पूजा के अंत में आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
- बड़ों का आशीर्वाद लें।
महत्वपूर्ण बात यह है कि वट सावित्री व्रत में श्रद्धा और भक्ति का भाव सबसे महत्वपूर्ण है। यदि आपके आसपास बरगद का पेड़ उपलब्ध नहीं है, तो ऊपर बताए गए विकल्पों का पालन करके भी आप इस महत्वपूर्ण व्रत को पूर्ण कर सकती हैं और इसका फल प्राप्त कर सकती हैं।