सौरभ हत्याकांड: एक खौफनाक प्रेमकहानी जिसने इंसानियत को किया शर्मसार
सौरभ हत्याकांड में बंद पत्नी मुस्कान और प्रेमी साहिल ने जेल में फूट-फूटकर रोते हुए जमानत की गुहार लगाई। जानिए कैसे सामने आया इस जघन्य हत्या का सच और अब तक का घटनाक्रम।

सौरभ हत्याकांड: एक कानूनी विश्लेषण
केस का संक्षिप्त सारांश
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अपराध: पत्नी मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल द्वारा सौरभ राजपूत की योजनाबद्ध हत्या।
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स्थान: इंदिरानगर, मेरठ।
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तरीका: पहले बेहोश किया गया, फिर चाकू से हत्या और शव के टुकड़े कर नीले ड्रम में सीमेंट डालकर छुपाया गया।
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गिरफ्तारी: 18 मार्च को हत्या का खुलासा, 19 मार्च को न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
|| मुस्कान || || सौरभ || || साहील ||
मेरठ में हुए सौरभ राजपूत हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया है। एक पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही पति की नृशंस हत्या कर दी और फिर उसका शव काटकर ड्रम में डाल दिया। हत्या के बाद दोनों कातिल प्रेमी शिमला, मनाली और कसौल जैसे पर्यटन स्थलों पर घूमने चले गए, मानो कुछ हुआ ही नहीं हो।
अब, जब सच सामने आ चुका है और दोनों आरोपी जेल में हैं, तो वे फूट-फूटकर रो रहे हैं और जमानत के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। लेकिन क्या उनकी सजा रोने से कम हो सकती है? क्या नृशंस हत्या के बाद पश्चाताप की ये आंसू सच्चे हैं, या सिर्फ कानून से बचने की एक कोशिश?
मर्डर मिस्ट्री से मर्डर कन्फेशन तक: घटनाक्रम की पूरी कहानी
तीन मार्च 2025 की रात, इंदिरानगर निवासी सौरभ राजपूत की हत्या कर दी गई। हत्या की साजिश रची उसकी ही पत्नी मुस्कान ने, जो पिछले कई महीनों से साहिल शुक्ला नामक युवक से प्रेमसंबंध में थी।
उस रात, सौरभ को पहले बेहोश किया गया, फिर उसके सीने में चाकू घोंप दिया गया। हत्या यहीं खत्म नहीं हुई—शव को बाथरूम में ले जाकर उसके टुकड़े किए गए। गर्दन काटकर सिर अलग किया गया, दोनों हाथ कलाई से काट दिए गए। यह पूरी साजिश न सिर्फ पहले से योजनाबद्ध थी, बल्कि इसके बाद का कदम भी बेहद खौफनाक था।
NOTE:- यह वही नीला सीमेंट का ड्रम जिसमे सौरभ के शरीर को टुकड़ों मे काटकर भरा गया था ||
नीले ड्रम में बंद लाश और पहाड़ियों की सैर
चार मार्च को मुस्कान और साहिल ने एक नीला ड्रम खरीदा और शव के टुकड़ों को उसमें डालकर सीमेंट और डस्ट का घोल भर दिया, ताकि बदबू न फैले और कोई शक न हो।
और फिर, 4 मार्च की शाम को वे शिमला, मनाली और कसौल की सैर पर निकल पड़े। हत्या के कुछ ही दिनों बाद 11 मार्च को मनाली में साहिल का जन्मदिन भी मनाया गया। मानो ये सब एक प्लानिंग के तहत किया गया हो—हत्याकांड और हनीमून का यह मेल इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला था।
18 मार्च को हुआ हत्याकांड का खुलासा
17 मार्च की देर रात वापस मेरठ लौटने के बाद 18 मार्च को मुस्कान ने हत्या की बात खुद पुलिस के सामने कबूल कर दी। इसके बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों को गिरफ्तार कर लिया। 19 मार्च को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया।
जेल में टूटी मुस्कान और साहिल की हिम्मत
अब, जब मुस्कान और साहिल को जेल में दिन काटने पड़ रहे हैं, तो उनका चेहरा बदल चुका है। बुधवार को दोनों ने वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ. वीरेश राज शर्मा से मुलाकात की। मुस्कान दो अन्य महिला बंदियों के साथ पहुंची और हाथ जोड़कर रोने लगी। बोली—“हमारी जमानत करा दो...”।
साहिल भी अपने आंसू नहीं रोक सका और अधीक्षक से जमानत दिलाने की गुहार लगाई। दोनों ने भावुक होकर खुद को निर्दोष बताने की कोशिश की। लेकिन कानून सिर्फ आंसुओं से नहीं चलता।
जमानत याचिका पर कोर्ट का रुख सख्त
एक मई को मुस्कान और साहिल की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन किसी कारणवश नहीं हो सकी। अब अगली सुनवाई नौ मई को तय की गई है। सरकारी अधिवक्ता ने साफ तौर पर ब्रह्मपुरी पुलिस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए जमानत न देने की सिफारिश की है।
इस बीच जेल अधीक्षक ने दोनों आरोपियों को सरकारी वकील मुहैया करा दिया है, जो अदालत में उनका पक्ष रखेंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या इतनी जघन्य हत्या के बाद कोर्ट उन्हें राहत देगा?
क्या रोना पश्चाताप है या रणनीति?
मुस्कान और साहिल का जेल में रोना और जमानत के लिए हाथ जोड़ना अब चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोग इसे 'देर से आया पछतावा' मान रहे हैं, जबकि कई इसे 'कानून से बचने की चाल' बता रहे हैं।
साइकोलॉजिस्ट्स का मानना है कि अपराध के बाद अपराधी को जब अपनी स्वतंत्रता जाती नजर आती है, तब वह अपने किए पर पछताने का नाटक करता है। यह एक मानसिक सुरक्षा तंत्र है, जो उन्हें अंदर से टूटने से बचाता है।
समाज में गूंजते सवाल
यह केस केवल एक हत्या नहीं है। यह एक सामाजिक चेतावनी भी है।
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क्या हमारे समाज में रिश्ते इतने खोखले हो चुके हैं कि पत्नी अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर देती है?
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क्या सोशल मीडिया और आधुनिक जीवनशैली ने संबंधों को सिर्फ ‘इंस्टेंट कनेक्शन’ तक सीमित कर दिया है?
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क्या कानून अब भी भावनाओं के जाल से निकलकर केवल तथ्यों पर आधारित रह सकेगा?
निष्कर्ष: हत्या, भ्रम, पश्चाताप और न्याय
सौरभ राजपूत हत्याकांड एक ऐसा मामला है जिसमें प्रेम, धोखा, क्रूरता और अब पश्चाताप—सब कुछ एक ही कथा में समाहित है। मुस्कान और साहिल अब चाहे जितना भी रो लें, लेकिन कानून उन्हें उनके अपराध की सजा जरूर देगा।
इस केस ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अपराध करके कोई भी ज्यादा दिन तक बच नहीं सकता। चाहे कितनी भी सफाई से योजना बनाई जाए, सच सामने आ ही जाता है।