Prayagraj Students Protest : प्रयागराज में अभ्यर्थियों का धरना जारी, विज्ञापन हटाए जाने से आक्रोश

यूपी शिक्षक भर्ती 2025: प्रयागराज में अभ्यर्थियों का धरना जारी, विज्ञापन हटाए जाने से आक्रोश। सरकार से नौकरी की मांग।

Prayagraj Students Protest  : प्रयागराज में अभ्यर्थियों का धरना जारी, विज्ञापन हटाए जाने से आक्रोश

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर अभ्यर्थियों का धरना प्रयागराज में लगातार जारी है। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि वे पिछले सात वर्षों से शिक्षक बनने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें नौकरी नहीं मिली। छात्र नेता रजत सिंह के नेतृत्व में चल रहा यह आंदोलन दिन-ब-दिन तेज़ होता जा रहा है। अभ्यर्थियों का साफ कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, तब तक वे धरना स्थल से नहीं हटेंगे।

धरने में शामिल अभ्यर्थियों ने बताया कि हाल ही में करीब दो लाख पदों पर शिक्षक भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन कुछ ही देर बाद उसे सोशल मीडिया से हटा दिया गया। इससे अभ्यर्थियों में भारी नाराजगी है। उनका आरोप है कि सरकार भर्ती प्रक्रिया को लेकर गंभीर नहीं है और बेरोजगार युवाओं के साथ छल किया जा रहा है।

एबीपी न्यूज़ से बातचीत में छात्र नेता रजत सिंह ने कहा, 'हम सब योग्य हैं, वर्षों से पढ़ाई कर रहे हैं, कोचिंग कर रहे हैं, और घर से पैसे मंगवा-मंगवा कर अपनी तैयारी पूरी की है। अब जब शिक्षक के एक लाख से ज्यादा पद खाली हैं, तब भी हमें नौकरी नहीं दी जा रही। विज्ञापन निकाल कर उसे डिलीट कर देना, यह हमारे साथ मजाक है। हमारी उम्र निकलती जा रही है, अब हम कब तक इंतजार करें?'

प्रदर्शन कर रहे कई अभ्यर्थियों का कहना है कि वे साधारण परिवारों से आते हैं और अब परिवार भी आर्थिक रूप से टूट चुका है। ऐसे में सरकार को उनकी स्थिति पर संवेदनशीलता से विचार करना चाहिए। 'हम अच्छे घरों से नहीं हैं, घर वाले थक चुके हैं, हम खुद मानसिक रूप से परेशान हैं, लेकिन अब हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है,' एक अभ्यर्थी ने बताया।

धरनास्थल पर बड़ी संख्या में अभ्यर्थी जुटे हुए हैं और उन्होंने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन अब पीछे नहीं हटेगा। उनका कहना है, 'अब सरकार तय करे कि उसे लाखों बेरोजगार युवाओं को शिक्षक की नौकरी देनी है या फिर नहीं।'

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत एक लाख से अधिक पद वर्षों से खाली हैं। कोर्ट के आदेशों और बार-बार आंदोलनों के बावजूद भर्ती प्रक्रिया या तो लटकाई जा रही है या फिर तकनीकी कारणों से टाल दी जाती है। अभ्यर्थियों का गुस्सा अब आंदोलन का रूप ले चुका है, जो अगर जल्द नहीं सुना गया तो राज्यभर में इसका असर देखा जा सकता है।