पहलगाम हमला: आतंकियों की धरपकड़ में गेमचेंजर साबित होगी 3डी मैपिंग तकनीक, जानें कैसे
एनआईए ने पहलगाम आतंकी हमले की जांच में अत्याधुनिक 3डी मैपिंग तकनीक का उपयोग शुरू कर दिया है। जानें यह तकनीक कैसे आतंकियों की सही लोकेशन और मूवमेंट का खुलासा करेगी।

पहलगाम हमला: आतंकियों की धरपकड़ में गेमचेंजर साबित होगी 3डी मैपिंग तकनीक, जानें कैसे
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र स्थित बायसरन घाटी में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर ला दिया है। इस हमले में कई निर्दोष लोग मारे गए और कई घायल हुए। इस भयावह हमले की गहन जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के हाथ में है, और अब वह इस मामले में अत्याधुनिक 3डी मैपिंग तकनीक का इस्तेमाल कर रही है।
इस तकनीक की मदद से ना सिर्फ़ घटनास्थल को डिजिटल रूप में पुनः तैयार किया जाएगा, बल्कि आतंकियों की एंट्री और एग्जिट के रास्ते, गतिविधियों और रणनीति को भी बारीकी से समझा जा सकेगा।
क्या होती है 3डी मैपिंग तकनीक?
3डी मैपिंग एक आधुनिक तकनीक है जिसके माध्यम से किसी स्थान, वस्तु या घटना का तीन आयामी (थ्री-डायमेंशनल) मॉडल तैयार किया जाता है।
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यह मॉडल इतना सटीक और इंटरएक्टिव होता है कि मानो आप उस स्थान पर खुद मौजूद हों।
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इसे ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) या वर्चुअल रियलिटी (VR) प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए देखा और विश्लेषित किया जा सकता है।
3डी मैपिंग कैसे करती है काम?
एनआईए इस मैपिंग के लिए सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन वीडियो, LiDAR स्कैनर्स और जमीनी इनपुट्स का इस्तेमाल कर रही है।
मुख्य स्रोत:
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ड्रोन द्वारा शूट किए गए उच्च रेजोल्यूशन वीडियो
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घटनास्थल के चश्मदीदों से जानकारी
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पीड़ितों और उनके परिजनों के बयान
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स्थानीय दुकानदार, घोड़े चलाने वाले और अन्य स्थानीय नागरिकों से इनपुट
इन सभी जानकारियों को एकत्रित कर थ्री-डायमेंशनल नक्शा तैयार किया जा रहा है, जिसमें आतंकियों की हर गतिविधि, उनके आने-जाने के रास्ते, और फायरिंग की दिशा तक दर्ज की जाएगी।
3डी मैपिंग से कैसे मदद मिलेगी?
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घटनास्थल का वर्चुअल रिक्रिएशन:
एनआईए घटनास्थल की वर्चुअल रूप में हूबहू प्रतिकृति तैयार करेगी, जिससे हर एंगल से विश्लेषण संभव होगा। -
आतंकियों की मूवमेंट ट्रैकिंग:
कौन किस समय कहां था, यह 3डी डेटा से साफ़ तौर पर सामने आएगा। -
बिना घटनास्थल पहुंचे गवाहों से पूछताछ:
घटनास्थल की डिजिटल मॉडलिंग के ज़रिए सैकड़ों गवाहों से वर्चुअली पूछताछ की जा सकती है। -
जटिल भूगोल को सरल बनाना:
पहलगाम की जटिल, संकरी और जंगलों से घिरी टेढ़ी-मेढ़ी जमीन को 3डी मॉडल से समझना आसान होगा।
अब तक की जांच में क्या सामने आया?
सूत्रों के मुताबिक, हमले के बाद आतंकी दक्षिण कश्मीर के घने जंगलों में भाग निकले।
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पहला इनपुट: अनंतनाग के हापत नार गांव के जंगलों में मौजूदगी।
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दूसरा इनपुट: आतंकियों को कुलगाम के जंगलों की ओर जाते देखा गया।
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सुरक्षाबलों ने जंगलों में उन्हें चारों ओर से घेर लिया था, लेकिन भारी गोलीबारी के बाद भी आतंकी फरार हो गए।
क्यों खास है यह तकनीक आतंकवाद के खिलाफ?
3डी मैपिंग तकनीक पहले भी अमेरिका और इजराइल जैसे देशों में आतंकी हमलों की जांच में काम आई है।
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नक्शा सटीकता से बताएगा कि हमले की योजना किसने बनाई और किस दिशा से आया हमला।
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तकनीक आतंकियों के छिपने के स्थानों की भविष्यवाणी भी कर सकती है।
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इससे तैयार डिजिटल सबूत अदालत में भी प्रभावी होते हैं।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञ मानते हैं कि 3डी मैपिंग तकनीक से जांच प्रक्रिया तेज और निष्पक्ष होती है।
"घटनास्थल की डिजिटलीकृत समझ से हम ऐसे कई सुराग ढूंढ सकते हैं जो पारंपरिक तरीकों से छूट जाते हैं,"
— फॉरेंसिक एक्सपर्ट, प्रो. अनिल शर्मा
आगे की कार्रवाई
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NIA अगले कुछ दिनों में पूरा 3डी मॉडल तैयार करेगी।
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सुरक्षाबलों की टीम 3डी मॉडल के आधार पर घने जंगलों में सटीक सर्च ऑपरेशन करेगी।
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आतंकियों की प्रोफाइलिंग और मूवमेंट पैटर्न का डेटा इकट्ठा किया जा रहा है।
निष्कर्ष
पहलगाम हमला एक बार फिर दिखाता है कि आतंकवादी किस हद तक जाकर निर्दोष नागरिकों की जान ले सकते हैं। लेकिन तकनीकी प्रगति, खासकर 3डी मैपिंग तकनीक, जांच एजेंसियों को अब कहीं ज्यादा सक्षम बना रही है।
यह तकनीक ना सिर्फ आतंकियों की धरपकड़ में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में होने वाले हमलों को रोकने में भी महत्वपूर्ण हथियार साबित हो सकती है।